ब्लॉग: अंग्रेजी की गुलामी तोड़ने का समय, मोदी सरकार से भारत की अधूरी 'आजादी' को पूरी आजादी में बदलने की आस

By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 26, 2022 02:26 PM2022-08-26T14:26:57+5:302022-08-26T14:26:57+5:30

मेडिकल की किताबों के हिंदी अनुवाद का काम मध्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दिया है. यदि सभी प्रांतों की सरकारें और विश्वविद्यालय भिड़ जाएं तो कोई विषय ऐसा छूटेगा नहीं कि जिसकी किताबें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध न होंगी.

Indian education system hoping for a revolution after all subjects being taught in indian languages | ब्लॉग: अंग्रेजी की गुलामी तोड़ने का समय, मोदी सरकार से भारत की अधूरी 'आजादी' को पूरी आजादी में बदलने की आस

भारतीय शिक्षा में क्रांति की आशा

विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने आज आशा जताई है, यह कहकर कि विभिन्न विषयों की लगभग 1500 अंग्रेजी पुस्तकों का अनुवाद शिक्षा मंत्रालय भारतीय भाषाओं में करवाएगा और यह काम अगले एक साल में पूरा हो जाएगा. यदि देश के सारे विश्वविद्यालयों को इस काम में जुटा दिया जाए तो 1500 क्या, 15 हजार किताबें अपनी भाषा में अगले साल तक उपलब्ध हो सकती हैं. 

हमारे करोड़ों बच्चे यदि अपनी मातृभाषा के माध्यम से पढ़ेंगे तो वे अंग्रेजी रटने की मुसीबत से बचेंगे, अपने विषय को जल्दी सीखेंगे और उनकी मौलिकता का विकास भी भलीभांति होगा. भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए लेकिन अंग्रेजी की गुलामी हमारी शिक्षा, सरकार, अदालत और व्यापार में भी सर्वत्र ज्यों की त्यों चली आ रही है. 

इस गुलामी को चुनौती देने का अर्थ यह नहीं है कि हमारे बच्चे अंग्रेजी न सीखें या अंग्रेजी पढ़ने और बोलने को हम पाप समझने लगें. अंग्रेजी ही नहीं, कई विदेशी भाषाओं के लाखों जानकारों का भारत में स्वागत होना चाहिए लेकिन भारत को यदि महाशक्ति या महासंपन्न बनना है तो उसे हर क्षेत्र में स्वभाषाओं को प्राथमिकता देनी होगी. यह काम मोदी सरकार कर सके तो वह भारत की अधूरी आजादी को पूरी आजादी में बदल देगी. 

इस मुद्दे को आजकल हमारे गृहमंत्री अमित शाह भी जमकर उठा रहे हैं. लेकिन मुश्किल यह है कि हमारी सारी सरकारों को चलानेवाले असली मालिक हमारे नौकरशाह ही हैं. यह सरकार उनके चंगुल से बाहर निकल सके तो यह शायद कुछ चमत्कार कर सके. यदि भारत शिक्षा के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी काम कर दिखाए तो हमारे पड़ौसी देशों की शिक्षा-व्यवस्था का भी अपने आप उद्धार हो सकता है. अब विवि अनुदान आयोग इतनी जबर्दस्त पहल कर रहा है तो मैं कहूंगा कि इसका नाम सिर्फ ‘अनुदान’ से ही जोड़कर क्यों रखा जाए? इसका नाम इसके शानदार काम के अनुसार रखा जाना चाहिए. 

मेडिकल की किताबों के हिंदी अनुवाद का काम म.प्र. की शिवराज चौहान सरकार ने शुरू कर दिया है. यदि सभी प्रांतों की सरकारें और विश्वविद्यालय भिड़ जाएं तो कोई विषय ऐसा छूटेगा नहीं कि जिसकी किताबें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध न होंगी. बल्कि इसका एक शुभ परिणाम यह होगा कि हर विषय की मौलिक पुस्तकें स्वभाषा में भी उपलब्ध होने लगेंगी. 

कोई आश्चर्य नहीं कि वे अंग्रेजी की किताबों से बेहतर और सरल हों. यदि देश में पढ़ाई का माध्यम स्वभाषाएं होंगी तो गरीबों, ग्रामीणों, पिछड़ों, आदिवासियों के बच्चों को भी आगे बढ़ने के समान अवसर मिलेंगे. भारत सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक राष्ट्र बन सकेगा.

Web Title: Indian education system hoping for a revolution after all subjects being taught in indian languages

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