लाइव न्यूज़ :

रिसेपः साझा बाजार में चीन की चौधराहट, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 17, 2020 19:02 IST

ऐसी व्यवस्था यूरोपीय संघ में है लेकिन ऐसा एशिया में पहली बार हो रहा है. इस बाजार में दुनिया का 30 प्रतिशत व्यापार होगा. इस संगठन में चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और द. कोरिया के अलावा आसियान के 10 राष्ट्र शामिल होंगे.

Open in App
ठळक मुद्देसाझा बाजार का अर्थ यह हुआ कि इन सारे देशों का माल एक-दूसरे के यहां मुक्त रूप से बेचा और खरीदा जा सकेगा. 2017 में ट्रम्प के अमेरिका ने इस संगठन का बहिष्कार कर दिया और भारत इसका सहयोगी होते हुए भी इससे बाहर रहना चाहता है.भारत ने पिछले साल ही इससे बाहर रहने की घोषणा कर दी थी.

दुनिया के सबसे बड़े साझा बाजार (रिसेप) की घोषणा वियतनाम में हो गई है. इसमें 15 देश शामिल होंगे और अगले दो वर्ष में यह चालू हो जाएगा. साझा बाजार का अर्थ यह हुआ कि इन सारे देशों का माल एक-दूसरे के यहां मुक्त रूप से बेचा और खरीदा जा सकेगा.

उस पर तटकर या अन्य रोक-टोक नहीं रहेगी. ऐसी व्यवस्था यूरोपीय संघ में है लेकिन ऐसा एशिया में पहली बार हो रहा है. इस बाजार में दुनिया का 30 प्रतिशत व्यापार होगा. इस संगठन में चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और द. कोरिया के अलावा आसियान के 10 राष्ट्र शामिल होंगे.

2008 में इसका विचार सामने आया था. इसे पकने में 12 साल लग गए लेकिन 2017 में ट्रम्प के अमेरिका ने इस संगठन का बहिष्कार कर दिया और भारत इसका सहयोगी होते हुए भी इससे बाहर रहना चाहता है. भारत ने पिछले साल ही इससे बाहर रहने की घोषणा कर दी थी. इसके दो कारण थे. एक तो यह कि भारत को डर था कि उसका बाजार इतना बड़ा है कि उस पर कब्जा करने के लिए चीन किसी भी हद तक जा सकता है. उसका अमेरिकी बाजार आजकल सांसत में है. इसीलिए वह अपने सस्ते माल से भारतीय बाजारों को पाट डालेगा.

दूसरा यह कि आसियान के ज्यादातर देशों के साथ भारत का मुक्त-व्यापार समझौता है और उसके कारण भारत का निर्यात कम है और आयात बहुत ज्यादा है. पिछले साल आसियान देशों के साथ भारत का निर्यात 37.47 बिलियन डॉलर का था जबकि आयात 59.32 बिलियन डॉलर का रहा. चीन के साथ भी घोर व्यापारिक असंतुलन पहले से ही है.

अब यदि यह साझा बाजार लागू हो गया तो मानकर चलिए कि कुछ ही वर्षो में यह चीनी बाजार बन जाएगा. इसीलिए भारत का संकोच स्वाभाविक है. लेकिन भारत के बिना यह साझा बाजार अधूरा ही रहेगा. इसीलिए इस संगठन ने घोषणा की है कि उसके द्वार भारत के लिए सदा खुले रहेंगे. वह जब चाहे, अंदर आ जाए.

मेरी राय है कि देर-सबेर भारत को इस ‘क्षेत्नीय विशाल आर्थिक भागीदारी’ (रिसेप) संगठन में जरूर शामिल होना चाहिए लेकिन अपनी शर्तो पर. वह चाहे तो चीन की चौधराहट को चुनौती दे सकता है. भारत को चाहिए कि वह दक्षिण एशिया के देशों में इसी तरह का एक संगठन (साझा बाजार) ‘रिसेप’ के पहले ही खड़ा कर दे. यदि दक्षेस (सार्क) देशों का साझा बाजार हम खड़ा कर सकें तो न सिर्फ 10 करोड़ लोगों को तुरंत रोजगार मिल सकता है बल्कि यह इलाका दुनिया के सबसे समृद्ध क्षेत्न के रूप में विकसित हो सकता है.

टॅग्स :दिल्लीचीनअमेरिकाऑस्ट्रेलियाशी जिनपिंगनरेंद्र मोदी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतVIDEO: पीएम मोदी ने गुवाहाटी में भारत के पहले नेचर-थीम वाले एयरपोर्ट टर्मिनल का किया उद्घाटन

भारतकर्नाटक नेतृत्व मुद्दा: दिल्ली कब बुलाया जाएगा?, डीके शिवकुमार ने कहा-मैं आपको सूचित करूंगा, बिना बताए कुछ नहीं करूंगा

क्रिकेटआईएलटी20 इतिहास में पहली बार, दुबई कैपिटल्स ने शारजाह वॉरियर्स को 63 रन से हराया, मोहम्मद नबी ने किया कारनामा, 19 गेंद, 38 रन के बाद 4 ओवर में झटके 3 विकेट

भारतDelhi Fog: दिल्ली में छाया घना कोहरा, 100 से ज्यादा उड़ानें रद्द, यात्रियों के लिए जारी एडवाइजरी

भारतप्रदूषित हवा का मसला केवल दिल्ली का नहीं है...!

भारत अधिक खबरें

भारतकश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

भारतईटानगर नगर निगमः भाजपा ने 20 में से 14 सीट पर दर्ज की शानदार जीत, पासीघाट नगर परिषद पर पीपीए ने का कब्जा, 8 में से 5 सीट, ईटानगर-पासीघाट में कांग्रेस 0

भारतबिहार सीएम नीतीश कुमार की सास विद्यावती देवी के हुआ निधन, मुख्यमंत्री के पुत्र निशांत कुमार ने लिखा- प्यारी नानी मां के देहांत से मन व्यथित...

भारतSIR 2026 Voter List: एड्रेस बदलने की वजह से नहीं भर पा रहे SIR फॉर्म? इन डॉक्यूमेंट्स से बन जाएगा काम

भारतभाजपा के पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कांग्रेस नेत्री पल्लवी राज सक्सेना से रचाई शादी, देवास के आर्य समाज मंदिर से वायरल हुई तस्वीरें