डॉ कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का ब्लॉग: देउबा के दौरे से भारत-नेपाल संबंधों के सुधरने की उम्मीद

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 7, 2022 03:46 PM2022-04-07T15:46:34+5:302022-04-07T15:49:20+5:30

एक वक्त नेपाल की पहचान हिंदू राष्ट्र के तौर पर स्थापित थी, लेकिन राजशाही खत्म होने के बाद से नेपाल ने हिंदू राष्ट्र की छवि को छोड़ कर लोकतांत्रिक मूल्यों पर अपनी नई व्यवस्था को अपनाया। बीते कुछ सालों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से वहां चीन की दखलंदाजी बढ़ गई। 

India-Nepal relations expected to improve with Sher Bahadur Deuba's visit | डॉ कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का ब्लॉग: देउबा के दौरे से भारत-नेपाल संबंधों के सुधरने की उम्मीद

डॉ कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का ब्लॉग: देउबा के दौरे से भारत-नेपाल संबंधों के सुधरने की उम्मीद

Highlightsचीन के करीब जाते-जाते नेपाल और भारत के बीच संबंध खराब होने लगे।वामपंथी युग खासतौर पर पुष्प कमल दहल प्रचंड के बाद केपी ओली के दौर में ये संबंध और अधिक खराब हुए।भारत ने हमेशा से नेपाल की हर मुसीबत में मदद की है।

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने हाल ही में अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान दिल्ली के हैदराबाद भवन में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। भारत-नेपाल संबंधों के लिहाज से ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है। इसी क्रम में उन्होंने भारत में सत्ताधारी दल भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य नेताओं से भी मुलाकात की। अभी कुछ महीने पहले ही नेपाली कांग्रेस पार्टी के तीन सदस्यों का दल प्रकाश शरण महत के नेतृत्व में भारत आया था एवं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व व भारत के विदेश मंत्री से मिला था। इसके बाद वह दल काशी भी आया था और कहा जा सकता है कि वहीं से ही इस यात्ना की रणनीति बननी शुरू हो गई थी। उनकी यात्ना दोनों देशों के अद्वितीय सामाजिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का संकेत देती है, जबकि चीन हिमालयी देश में पैठ बनाने की पूरी कोशिश कर रहा है।

देउबा की यात्ना चीनी विदेश मंत्री वांग यी की नेपाल यात्ना के कुछ दिनों बाद हुई है। ऐसे में यह दौरा अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चीन नेपाल में विकास परियोजनाओं में निवेश करने के लिए अपनी बेल्ट एंड रोड पहल पर जोर दे रहा है। वहीं नेपाल की संसद द्वारा अमेरिका से विवादास्पद 50 करोड़ डॉलर के सहायता अनुदान को मंजूरी देने के हफ्तों बाद वांग ने नेपाल का दौरा किया। इस अमेरिकी अनुदान ने चीन को नाराज कर दिया था।
भारत और नेपाल के संबंध सदियों पुराने हैं। पिछले दिनों नेपाल में जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार थी तब उनकी नजदीकियां चीन से बढ़ने लगी थीं। हालांकि केपी शर्मा ओली के हटने के बाद जबसे शेर बहादुर देउबा के हाथ में नेपाल की कमान आई है, तब से रोटी-बेटी का संबंध निभाने वाले भारत और नेपाल के रिश्ते पहले जैसे होते दिख रहे हैं।

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली के हैदराबाद भवन पहुंचे थे। यहां पीएम मोदी ने उनका स्वागत किया। पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद नेपाली पीएम, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्न काशी भी गए। काशी कई मायनों में नेपाल के लिए महत्वपूर्ण है जैसे नेपाली कांग्रेस पार्टी की नींव बीपी कोइराला ने काशी में ही रखी थी। वे यहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्न भी रहे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में नेपाल के विद्यार्थी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं और पूर्व में भी रहे हैं जिन्होंने बाद में नेपाल की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई है जैसे बीपी कोइराला, गिरिजा प्रसाद कोइराला, प्रदीप गिरि, खुम बहादुर खड़का, प्रकाश कोइराला, शशांक कोइराला आदि। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत नेपाल अध्ययन केंद्र भारत नेपाल संबंधों पर काम करता है एवं यहां के शोधार्थी अपने नेपाल के ऊपर किए कार्य हेतु देश-विदेश तक जाने जाते हैं। इस सेंटर का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने ही किया था। भारत से नेपाल के रिश्तों का प्रतीक है काशी का नेपाली मंदिर जिसे पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। काशी के मीर घाट पर मौजूद इस मंदिर में लोगों की अपार आस्था है। नेपाल से आए छात्न यहां शिक्षा लेते हैं और सनातनी परंपरा का प्रसार करते हैं। 

वाराणसी के मीर घाट के किनारे मौजूद पशुपतिनाथ का मंदिर भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है। नेपाल के राजा रणबहादुर शाह ने यहां पहले तपस्या की और 1800 ईस्वी में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण कराया। पगोडा शैली का ये मंदिर नेपाल के पशुपतिनाथ के मंदिर की तर्ज पर बना है। यहां की पूजन पद्धति भी नेपाल जैसी ही है। एक वक्त नेपाल की पहचान हिंदू राष्ट्र के तौर पर स्थापित थी, लेकिन राजशाही खत्म होने के बाद से नेपाल ने हिंदू राष्ट्र की छवि को छोड़ कर लोकतांत्रिक मूल्यों पर अपनी नई व्यवस्था को अपनाया। बीते कुछ सालों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से वहां चीन की दखलंदाजी बढ़ गई। 

चीन के करीब जाते-जाते नेपाल और भारत के बीच संबंध खराब होने लगे। वामपंथी युग खासतौर पर पुष्प कमल दहल प्रचंड के बाद केपी ओली के दौर में ये संबंध और अधिक खराब हुए। सितंबर 2021 में शेर बहादुर देउबा एक बार फिर नेपाल के प्रधानमंत्री बने। उसके बाद से दिल्ली और काठमांडू के बीच संबंध लगातार फिर से बेहतर हो रहे हैं। भारत में कई नेपाली छात्न पढ़ाई करते हैं। भारत ने हमेशा से नेपाल की हर मुसीबत में मदद की है। दोनों देशों के राजनीतिक संबंध भले अच्छे रहें या खराब, लेकिन नेपाल और भारत के आम लोगों के संबंध हमेशा से बेहतरीन रहे हैं। दोनों देशों का सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हमेशा कायम रहा है। नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की भारत यात्ना से दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे।

Web Title: India-Nepal relations expected to improve with Sher Bahadur Deuba's visit

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