ब्लॉग: उम्मीद के पहले आती तबाही के लिए क्या तैयार हैं हम?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 10, 2023 15:02 IST2023-06-10T15:02:53+5:302023-06-10T15:02:53+5:30

आर्कटिक महासागर में ग्रीनलैंड एक विशाल भूभाग और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो अक्सर जमा हुआ ही रहता आया है, लेकिन हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि ग्रीनलैंड पिछले एक हजार वर्षों में पहली बार सबसे ज्यादा गर्म होने लगा है।

How prepared are we for the catastrophe that comes earlier than expected? | ब्लॉग: उम्मीद के पहले आती तबाही के लिए क्या तैयार हैं हम?

ब्लॉग: उम्मीद के पहले आती तबाही के लिए क्या तैयार हैं हम?

यह खबर कि आर्कटिक महासागर अब पहले के अनुमानों से एक दशक पहले अर्थात 2030 के दशक में ही बर्फ से रहित हो जाएगा, निश्चित रूप से डराने वाली है। हकीकत यह है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आज हर जगह तापमान बढ़ रहा है।  ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में तो 30 साल पहले के मुकाबले तीन गुना तेजी से बर्फ पिघल रही है और इस ध्रुवीय पिघलाव की वजह से समुद्री जलस्तर तेजी से बढ़ सकता है।

आर्कटिक महासागर में ग्रीनलैंड एक विशाल भूभाग और दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो अक्सर जमा हुआ ही रहता आया है, लेकिन हाल के अध्ययनों में पाया गया है कि ग्रीनलैंड पिछले एक हजार वर्षों में पहली बार सबसे ज्यादा गर्म होने लगा है। गर्मी का असर वैसे तो धरती पर सब जगह देखने को मिल रहा है लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्ष 1979 से 2021 के दौरान आर्कटिक दुनिया के शेष हिस्सों की अपेक्षा चार गुना अधिक तेजी से गर्म हुआ है।

दरअसल बर्फ सूरज की किरणों को रिफ्लेक्ट कर देती है जिससे गर्मी बढ़ने नहीं पाती, लेकिन बर्फ एक बार जब पिघलना शुरू हो जाती है तो पानी धूप को सोखने लगता है जिससे महासागर गर्म होने लगता है और बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया गुणात्मक रूप से बढ़ने लगती है।

आर्कटिक चूंकि महासागर है और ज्यादातर समुद्री बर्फ से ढंका रहता है, इसलिए अंटार्कटिक की अपेक्षा महासागरीय तापमान बढ़ने से ज्यादा प्रभावित भी होता है. जबकि अंटार्कटिक में अधिकांशतः बर्फ से ढंकी हुई भूमि है. ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि के कारण पर्यावरण के तबाह होने की चेतावनी वैज्ञानिक पिछले कई वर्षों से देते रहे हैं, लेकिन वह तबाही इतनी जल्दी आ जाएगी, शायद वैज्ञानिकों ने भी ऐसा नहीं सोचा था।

शोधकर्ताओं ने पाया है कि बर्फ पिघलने के कारण आर्कटिक महासागर में अम्लता का स्तर तीन से चार गुना ज्यादा बढ़ रहा है। इससे समुद्री जीवों और पौधों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। आर्कटिक क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट (स्थायी रूप से जमी हुई जमीन) में बड़ी मात्रा में मीथेन का भंडारण है।

आर्कटिक की बर्फ पिघलने से पर्माफ्रॉस्ट भी तेजी से पिघलेगा, जिससे मीथेन बाहर आएगी। इसके अलावा हजारों साल से जमी बर्फ के नीचे ऐसे-ऐसे वायरस दबे हैं, जिनके बाहर आने से दुनिया में तबाही मचने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

सभी जानते हैं कि पर्यावरण बिगड़ रहा है और एक दिन वह बड़ी आपदा अवश्य लाएगा। अब तक हमें लगता रहा है कि वह आपदा सुदूर भविष्य में आएगी लेकिन तबाही जिस तेजी से अनुमान से पहले आती दिख रही है, क्या हम उसका सामना करने के लिए तैयार हैं?

Web Title: How prepared are we for the catastrophe that comes earlier than expected?

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