Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में आप को लेकर भाजपा चिंतित?, जानें 90 सीट पर विश्लेषण
By हरीश गुप्ता | Updated: August 29, 2024 05:52 IST2024-08-29T05:52:02+5:302024-08-29T05:52:02+5:30
Haryana Assembly Elections 2024: कांग्रेस आलाकमान लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा को पार्टी का संभावित चेहरा बनाकर दलित समुदाय को भी अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रहा है.

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Haryana Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर में भाजपा भले ही थोड़ी सहज हो, लेकिन हरियाणा की बात करें तो नेतृत्व बेहद चिंतित है. आम धारणा के विपरीत, हरियाणा में अकेले सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का आम आदमी पार्टी का फैसला भगवा पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. राज्य में बहुसंख्यक समुदाय जाट पूरी तरह से कांग्रेस नेतृत्व के साथ है, वहीं मुस्लिम भी उसकी मदद कर रहे हैं. कांग्रेस आलाकमान लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा को पार्टी का संभावित चेहरा बनाकर दलित समुदाय को भी अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश कर रहा है.
यह बताना दिलचस्प होगा कि शैलजा ने हाल ही में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और हुड्डा के खिलाफ कड़ी शिकायत की थी. सोनिया गांधी दोनों नेताओं के बीच किसी तरह का मेल-मिलाप करा सकती हैं ताकि सार्वजनिक बहस से बचा जा सके. भाजपा की विशेष चिंता यह है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ रही है.
जिससे मध्यम वर्ग और अन्य गैर-जाट समुदायों वाले शहरी क्षेत्रों में उसका वोट बैंक कट सकता है. आप ने 2024 में कांग्रेस के साथ रणनीतिक गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने नौ लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि आप को कुरुक्षेत्र की एकमात्र सीट लड़ने को मिली थी. कांग्रेस ने 2019 के शून्य की तुलना में पांच सीटें जीतीं और आप को एक भी सीट नहीं मिली.
भाजपा ने पांच सीटें खो दीं और उसका वोट शेयर भी 2019 के 58.21% से गिरकर 46.11% हो गया. कांग्रेस का वोट शेयर 2019 के 28.51% से बढ़कर 2024 में 43.67% हो गया. आप को भी सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ने के बावजूद 3.94% वोट मिले. फिर भी, भाजपा ने अपनी बढ़त साबित कर दी क्योंकि उसने 90 सीटों में से 44 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई.
जबकि कांग्रेस ने 42 क्षेत्रों में जीत हासिल की और आप ने चार में. यह तर्क दिया जाता है कि आप भाजपा के गैर-जाट वोटों में सेंध लगाएगी. दिलचस्प बात यह है कि अन्य दो प्रमुख जाट बहुल दलों; इनेलो और दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने लोकसभा चुनावों के दौरान क्रमशः 1.74% और 0.87% वोट प्राप्त किए.
जब एक कानाफूसी से मचा महाराष्ट्र में हड़कंप
महाराष्ट्र के कद्दावर भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के बारे में एक कानाफूसी ने न केवल मुंबई बल्कि राष्ट्रीय राजधानी में भी हलचल मचा दी. एक प्रमुख सोशल मीडिया वेबसाइट की एक पंक्ति में कहा गया कि मोदी सरकार ने फडणवीस को दिल्ली में सरकारी बंगला आवंटित किया है. यह अप्रत्याशित था क्योंकि सरकारी बंगले केंद्रीय मंत्रियों या समकक्षों, नौकरशाहों, न्यायाधीशों आदि को आवंटित किए जाते हैं. मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को भी सरकारी बंगला आवंटित किया जाता है.
देवेंद्र फड़नवीस का नाम पहले जेपी नड्डा की जगह अंतरिम भाजपा प्रमुख के पद के लिए संभावितों में से एक के रूप में सामने आया था, लेकिन कई लोगों ने आश्चर्य जताया कि उन्हें यह बंगला क्यों दिया गया, क्योंकि नड्डा के कार्यकाल को जनवरी 2025 में विधानसभा चुनावों तक बढ़ा दिया गया है. भाजपा अध्यक्ष के रूप में नड्डा के उत्तराधिकारी पर कोई भी निर्णय उचित समय पर लिया जाएगा.
मनोहरलाल खट्टर के अधीन आवास और शहरी विकास मंत्रालय में भी कोई इस मुद्दे पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं था. दिल्ली में वरिष्ठ भाजपा नेता कुछ भी कुछ बोलने को तैयार नहीं थे क्योंकि यह बात शायद सिस्टम में ‘शीर्ष दो’ लोगों को ही पता हो. यह कानाफूसी अपने आप ही खत्म हो गई. लेकिन इससे यह संकेत जरूर मिलता है कि महाराष्ट्र में कुछ पक रहा है जो जनवरी 2025 में महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों के बाद ही सामने आ सकता है.
ज्योतिषियों की पूछ-परख फिर बढ़ी
जून 2024 में भाजपा के 272 लोकसभा सीटों के जादुई आंकड़े से चूकने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में ज्योतिषियों की फिर से धूम मच गई है. पिछले दस सालों से ज्योतिषियों की नींद उड़ी हुई थी, क्योंकि भाजपा स्पष्ट बहुमत हासिल कर रही थी और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को करारी शिकस्त दी थी.
दूसरी बात, प्रधानमंत्री की कार्यशैली ऐसी है कि सरकार में क्या चल रहा है, इसकी भनक किसी को नहीं लग पाती थी. लेकिन 2024 में स्थिति बदल गई, क्योंकि गैर-भाजपा दलों को एहसास हो गया कि अगर सही रणनीति अपनाई जाए तो भाजपा को हराया जा सकता है.
राजनीति के मैदान में अपना धंधा लगभग खो चुके ज्योतिषी अब जोर-शोर से वापस आ गए हैं और हर तरह के नेताओं के घरों पर उन्हें अक्सर देखा जा सकता है. यह कोई रहस्य नहीं है कि मंत्रियों समेत कुछ वरिष्ठ नेताओं के पास लंबे समय से उनके ‘पारिवारिक ज्योतिषी’ हैं और वे उनसे सलाह लेते रहते हैं.
राज्यसभा के एक सांसद के बारे में बताया जाता है कि वे ज्योतिष के विशेषज्ञ हैं. एक वरिष्ठ मंत्री के करीबी नेता ने फुसफुसाते हुए बताया कि ‘मंत्री जी अपने समय की कसौटी पर खरे उतरे और विश्वसनीय ज्योतिषी से परामर्श किए बिना कोई कदम नहीं उठाते.’ लेकिन यह सब बहुत ही गुप्त तरीके से किया जा रहा है.
76,000 करोड़ की परियोजना
प्रधानमंत्री 30 अगस्त को महाराष्ट्र के दौरे पर 76,000 करोड़ रुपए की लागत वाली वधावन बंदरगाह परियोजना की आधारशिला रख सकते हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुछ महीने पहले ही इसे मंजूरी दी थी और यह भारत की सबसे बड़ी बंदरगाह परियोजनाओं में से एक होगी. यह आगामी भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के लिए प्रवेश द्वार के रूप में काम करेगा. यह बंदरगाह पालघर जिले में स्थित है.
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री समय की कमी के कारण पालघर की यात्रा करने के बजाय मुंबई से ही वर्चुअल तरीके से यह काम कर सकते हैं. पता चला है कि कुछ किसान समूह कई कारणों से इस परियोजना के पक्ष में नहीं हैं. अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है.