कोविड के इलाज के लिए राजधानी के रसूखदारों का VIP 'सिस्टम'

By हरीश गुप्ता | Updated: April 29, 2021 18:22 IST2021-04-29T11:16:08+5:302021-04-29T18:22:58+5:30

कोरोना संकट के बीच जब विशेषज्ञ जरूरतमंद लोगों के लिए अस्पताल के बेड खाली रखने की बात कर रहे हैं, ऐसे में हमारी ही कई नेताओं का असंवेदनशील रवैया जारी है।

Harish Gupta' blog: Influential people found way out in this Corona crisis | कोविड के इलाज के लिए राजधानी के रसूखदारों का VIP 'सिस्टम'

कोरोना संकट से जूझता देश (फाइल फोटो)

कोरोनाकाल में जब एम्स (AIIMS) जैसे संस्थानों ने लुटियंस की दिल्ली में रईस और शक्तिशाली लोगों के दबाव में आने से मना कर दिया तो वीआईपी वर्ग ने सारे प्रोटोकॉल को दरकिनार कर अपना रास्ता खोज लिया. 

विशेषज्ञ भले ही चिल्ला-चिल्ला कर कहें कि अगर हालत गंभीर न हो तो कोविड पॉजीटिव रोगियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है और आईसीयू/ऑक्सीजन बेड पर कब्जा जमाकर नहीं रखना चाहिए लेकिन वीआईपी भला क्यों चिंता करने लगे! 

जब वे एम्स में प्रवेश पाने में नाकाम रहे, तो निजी अस्पतालों ने अपने दरवाजे खोल दिए और उनके मालिकों ने उनका स्वागत किया. कुछ ने तो फोन करके पहले ही पूछ लिया कि ‘‘आप कब आ रहे हैं सर?’’ 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने जो किया वह अभूतपूर्व था. जब एम्स ने उन्हें कमरा देने में असमर्थता व्यक्त की तो वे मालिकों को फोन कर अपोलो में भर्ती हो गए. लेकिन अगले दिन उन्होंने अचानक हरियाणा के मेदांता में शिफ्ट होने का फैसला किया. क्यों? क्योंकि उनके करीबी दोस्त भूपिंदर सिंह हुड्डा वहां भर्ती थे. 

मेदांता ने उन्हें हुड्डा के बगल में कमरा दिया. जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, मोदी सरकार में एक वरिष्ठ मंत्री ने भी एम्स के बजाय मेदांता जाने का विकल्प चुना, जहां मंत्रियों के लिए अलग व्यवस्था की गई है. ये शक्तिशाली मंत्री आनंद शर्मा के करीबी भी हैं. 

इससे पता चलता है कि कोविड मरीजों का एक आरामदायक क्लब था, जिन्होंने अस्पतालों में भी एक साथ अच्छा समय बिताया. अस्पताल ने मंत्री के बारे में एक आधिकारिक बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि उनमें कोविड के लक्षण थे और उनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आई. कहा जाता है कि कम से कम 15-20 राजनेता ऐसे हैं जिन्होंने होम आइसोलेशन के बजाय अस्पताल में भर्ती होना पसंद किया.

पुरस्कृत होंगे सुनील अरोड़ा!

Sunil Arora Ex CEC India
Sunil Arora Ex CEC India
राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की चर्चा आम है कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को कोविड की दूसरी लहर की सबसे खराब परिस्थितियों के दौरान भी पांच राज्यों में चुनाव कराकर सराहनीय काम करने के लिए पुरस्कृत किया जा सकता है. 

दो मई के बाद जब भी फेरबदल होगा तो अरोड़ा को गोवा में राज्यपाल के रूप में भेजा जा सकता है. यदि ऐसा होता है तो सुनील अरोड़ा पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के बाद दूसरे ऐसे संवैधानिक प्रमुख होंगे, जिन्हें पिछले साल मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया है. 

यहां तक कि अपने पहले कार्यकाल में भी पीएम मोदी ने पूर्व सीजेआई पी. सदाशिवम को राज्यपाल का पद देकर पुरस्कृत किया था. आलोचकों का तर्क है कि पूर्व सीजेआई, सीईसी, सीएजी को सेवानिवृत्ति के बाद लाभदायक पद नहीं दिए जाने चाहिए. 

लेकिन मोदी के प्रशंसक इन आलोचकों का यह कहकर मजाक उड़ाते हैं कि कांग्रेस ने पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा सीट देकर सबसे खराब मिसाल कायम की थी. जैसे कि यह पर्याप्त नहीं था, उसने पूर्व सीईसी एम. एस. गिल को मनमोहन सरकार में मंत्री पद से पुरस्कृत किया. 

संवैधानिक पदों के धारकों को सेवानिवृत्ति के बाद लाभदायक पद देने से रोकने के लिए अतीत में कई प्रयास किए गए थे. लेकिन अब राजनीतिक आकाओं की ऐसा करने में दिलचस्पी नहीं है. अशोक लवासा जैसे अवांछित व्यक्ति, जिन्होंने चुनाव आयोग में कई बार अपनी असहमति दर्ज कराई थी, को दरकिनार कर दिया गया.
योगी सातवें आसमान पर सुनने में यह भले ही अजीब लगे, लेकिन सच है. 

योगी सातवें आसमान पर

Yogi Adityanath
Yogi Adityanath
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों सातवें आसमान पर हैं. दावा किया जा रहा है कि उनका राज्य सफल रहा है और पिछले साल भारत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी संकट से निपटने के लिए योगी की हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन में भी सराहना की गई. 

योगी देश के शायद एकमात्र ऐसे सीएम हैं, जिनके विज्ञापन हर दिन छपते हैं. वे मोदी और अमित शाह के बाद भाजपा के तीसरे सबसे लोकप्रिय स्टार प्रचारक हैं. जाहिर है कि वे एक बड़ी भूमिका के लिए कतार में हैं. लेकिन फिर चीजें एक अलग मोड़ लेने लगीं. पता चला कि अध्ययन का हार्वर्ड विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं था और यह गुड़गांव स्थित एक संस्थान द्वारा संचालित किया गया था जो केवल हार्वर्ड से संबद्ध है. 

वास्तव में, जब महाराष्ट्र में कोविड की तबाही देखी जा रही थी, योगी ने दावा किया कि यूपी में कोविड नियंत्रण में है. लेकिन यह डींग जल्दी ही दु:स्वप्न में बदल गई और एक से 26 अप्रैल की अवधि में महाराष्ट्र के 24 प्रतिशत की तुलना में 42 प्रतिशत की वृद्धि के साथ यूपी भारत की कोविड राजधानी बन गया. 

यहां तक कि यूपी में मृत्यु दर भी महाराष्ट्र से अधिक थी. लेकिन योगी ने कुछ ऐसा किया जो अविश्वसनीय था. उन्होंने न केवल इसे मीडिया द्वारा फैलाई गई अफवाह करार देकर सच्चाई से मुंह मोड़ लिया, बल्कि वे शायद देश के पहले मुख्यमंत्री बने जिन्होंने राज्य में ‘ऑक्सीजन की कमी’ का मुद्दा उठाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करने की धमकी दी. 

हालांकि उनकी यह धमकी काम नहीं आई क्योंकि अग्रणी चैनलों ने यह दिखाना जारी रखा कि कैसे ऑक्सीजन की कमी कोहराम मचा रही है और शवों के अंतिम संस्कार के लिए लाइन लगी है. लेकिन किसी को भी पछतावा नहीं है.

Web Title: Harish Gupta' blog: Influential people found way out in this Corona crisis

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