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विजय रूपाणीः गुजरात में उप-चुनाव के बाद सियासी मनसुख रहेगा या नहीं? कोरोना वायरस के बाद अब वाइस की चर्चा!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: October 24, 2020 21:35 IST

गुजरात मोदी-शाह के लिए बेहद महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह उनका गृहराज्य है और पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां तगड़ा सियासी झटका खा चुकी है. विजय रूपाणी का वर्तमान कार्यकाल भी अब तक कोई खास प्रभाव दिखाने वाला नहीं रहा है.

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ठळक मुद्देवर्ष 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव हैं, ऐसी स्थिति में बीजेपी पिछला बार की तरह का सियासी झटका झेलने की हालत में नहीं है.यह कहा जा रहा है कि गुजरात में हो रहे उप-चुनाव के नतीजे सीएम रूपाणी का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे. लिहाजा ऐसे बदलाव का उस चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा और नए चेहरे पर लोग सख्त प्रतिक्रिया भी नहीं देंगे.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी के लिए सत्ता का समीकरण साधना आसान नहीं रहा है, क्योंकि, एक तो- इस वक्त केन्द्र सरकार में मौजूद दो बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाहगुजरात से हैं, लिहाजा अपना सियासी कद तेजी से बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं है, दूसरा- मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में जो राजनीतिक पकड़ नरेन्द्र मोदी ने बनाई है, ऐसी पकड़ बनाना उनके लिए बेहद मुश्किल है और तीसरा- मोदी और शाह से ज्यादातर नेताओं के सीधे संपर्क-संबंध हैं, इसलिए सख्त सियासी अनुशासन कायम करना भी आसान नहीं है.  

गुजरात मोदी-शाह के लिए बेहद महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह उनका गृहराज्य है और पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां तगड़ा सियासी झटका खा चुकी है. विजय रूपाणी का वर्तमान कार्यकाल भी अब तक कोई खास प्रभाव दिखाने वाला नहीं रहा है. वर्ष 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव हैं, ऐसी स्थिति में बीजेपी पिछला बार की तरह का सियासी झटका झेलने की हालत में नहीं है.

विजय रूपाणी के सियासी तौर-तरीकों और कार्यशैली को लेकर भी कईं सवालिया निशान हैं. इसीलिए, यह कहा जा रहा है कि गुजरात में हो रहे उप-चुनाव के नतीजे सीएम रूपाणी का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे. यदि इन चुनावों में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली तो गुजरात में बड़ा बदलाव हो सकता है. यह इसलिए भी अभी जरूरी माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लिहाजा ऐसे बदलाव का उस चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा और नए चेहरे पर लोग सख्त प्रतिक्रिया भी नहीं देंगे.

बड़ा सवाल यह है कि क्या गुजरात में उप-चुनाव के बाद विजय रूपाणी को सियासी मनसुख रहेगा या नहीं. फिलहाल तो गुजरात में कोरोना वायरस के बाद कोरोना वाइस की खासी चर्चा है. खबर है कि कांग्रेस ने भारत के चुनाव आयोग से शिकायत की है कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी द्वारा कोरोना वायरस से बचने के लिए सावधानियों के बारे में एक कॉलर ट्यून संदेश दिया जा रहा है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है.

याद रहे, गुजरात में तीन नवंबर को आठ विधानसभा क्षेत्रों के लिए उप-चुनाव होंगे. हालांकि, सीएम रूपाणी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया और कहा कि यह त्यौहार के मौसम में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए शिक्षित करने के प्रयासों का एक हिस्साभर था.

कांग्रेस ने ईसीआई और गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में सीएम रूपाणी और सत्तारुढ़ बीजेपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. कॉलर ट्यून के संदेश में रूपाणी ने लोगों को सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करके संयम के साथ नवरात्रि त्योहार मनाने की सलाह दी है.

कांग्रेस का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के बाद एक कॉलर ट्यून के रूप में उनका संदेश पेश किया गया था. सीएम रूपाणी की इस पर प्रतिक्रिया है कि- कॉलर ट्यून में चुनाव संबंधी कोई अपील नहीं थी. इसमें केवल मेरी आवाज़ है और मेरा नाम भी नहीं है.

सीएम विजय रूपाणी का सियासी सफर सातवें दशक में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में छात्र कार्यकर्ता के रूप में जुड़कर शुरू हुआ, इसके बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से जुड़ गए. बाद में वे भारतीय जनता पार्टी बनने के साथ ही उसमें आ गए. बीजेपी में प्रभावी भूमिका निभाने के नतीजे में वे 7 अगस्त 2016 से गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गए!

 

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