BLOG: हिंद महासागर में मिली बड़ी कामयाबी
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 29, 2018 04:38 AM2018-06-29T04:38:58+5:302018-06-29T04:38:58+5:30
सेशल्स के साथ दोस्ती अथवा कूटनीति का नया युग सही अर्थो में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्र से शुरू हुआ। उनकी यात्र के दौरान ही असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी।
रहीस सिंह
नई दिल्ली, 29 जून: सेशल्स के राष्ट्रपति डैनी फॉरे की भारत यात्र के दौरान असम्पशन द्वीप पर भारत को नौसैनिक अड्डे के निर्माण के लिए पुन: स्वीकृति मिल गई जिस पर पिछले लगभग एक महीने से आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं। भारत की यह सफलता सामान्य नहीं है बल्कि बहुआयामी और कूटनीतिक लिहाज से बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। बड़ी उपलब्धि इसलिए क्योंकि चीन लगातार अपनी पैठ हिंद महासागर के द्वीपों में बना रहा है और यह भी माना जा रहा है कि पिछले दिनों सेशल्स में विपक्ष ने भारत को लेकर जो विरोध किया था, उसमें चीन का अहम किरदार था।
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बड़ी उपलब्धि इसलिए क्योंकि सेशल्स को राजी कर पाना भारत के लिए बेहद मुश्किल कार्य हो गया था। यहां तक कि विपक्ष के तीखे विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने भारत का प्रस्ताव रद्द तो कर ही दिया था साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जब वे भारत जाएंगे तो असम्पशन आइलैंड में नौसैनिक अड्डा निर्मित करने के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री से कोई बातचीत नहीं करेंगे। लेकिन भारत ने नाराजगी जताने की बजाय अपनी कोशिशें जारी रखीं और सेशल्स का विश्वास जीतने में सफल हो गया। बड़ी उपलब्धि इसलिए भी, कि यदि भारत सेशल्स को राजी नहीं कर पाता तो असम्पशन नौसैनिक अड्डा चीन या फिर कोई यूरोपीय देश, मसलन फ्रांस, निर्मित करता और चीन का हिंद महासागर में इस तरह से सैन्य विस्तार का मतलब है संगत अनुपात में भारत के लिए चुनौतियों और खतरों का बढ़ना। आखिरकार भारत हारी बाजी जीत गया।
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सेशल्स के साथ दोस्ती अथवा कूटनीति का नया युग सही अर्थो में वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्र से शुरू हुआ। उनकी यात्र के दौरान ही असम्पशन द्वीप पर नौसैनिक अड्डा बनाए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी थी। किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा यह लगभग 34 वर्षो के बाद की गई यात्र थी। इससे पहले इंदिरा गांधी ने इस देश की यात्र (वर्ष 1981 में) की थी। ध्यान रहे कि लगभग 84 हजार की आबादी वाला अफ्रीकी देश सेशल्स भले ही एक बहुत छोटा देश हो लेकिन भारत के लिए सामरिक दृष्टि से वह बेहद महत्वपूर्ण है।
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सेशल्स में नौसैनिक अड्डे के निर्माण का अधिकार भारत को मिलने का तात्पर्य है कि भारत अब चीन के समानांतर रक्षा उपस्थिति बढ़ाने की प्रक्रिया से जुड़ेगा और आगे बढ़ेगा। इससे भारत दियागो-गार्सिया और जिबूती पर निगरानी रख सकता है और असम्पशन-चाबहार सामरिक रेखा बनाकर चीन की ग्वादर-जिबूती सामरिक लाइन को कमजोर कर सकता है। इस दृष्टि से असम्पशन पर भारत को मिली सफलता एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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