आरएसएस से जुड़े इस शख़्स ने किया था दावा कि तमिल के ब्राम्हण केशव कृष्णा थे जीसस क्राइस्ट?
By मोहित सिंह | Updated: May 11, 2018 15:54 IST2018-05-08T09:59:46+5:302018-05-11T15:54:16+5:30
Ganesh Damodar (Baba Rao ) Savarkar Book: गणेश दामोदर सावरकर द्वारा लिखित एक किताब ने शुरू कर दिया था धर्म के नाम पर राजनीति का महाद्वंद। वीर सावरकर के बड़े भाई और 'बाबाराव सावरकर' नाम से प्रसिद्ध गणेश दामोदर सावरकर ने अपनी किताब में जीसस क्राइस्ट को लेकर कर दी थी कुछ ऐसी टिप्पणी जो बनी एक बड़े विवाद का कारण।

Ganesh Damodar Savarkar Book: Jesus Christ was a tamil Brahmin Keshao Krishna
कुछ सालों पहले एक किताब के रूप में एक बहुत बड़ा विवाद सामने आया था. 1946 में वीर सावरकर के भाई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 5 संस्थापकों में से एक गणेश दामोदर (बाबाराव) सावरकर द्वारा लिखी गयी किताब में जीसस क्राइस्ट का एक तमिल हिन्दू ब्राम्हण होना बताया गया है. ये किताब 70 साल के बाद फिर एक बार दुनिया के सामने 26 फरवरी 2016 को सबके सामने लायी गयी और हो गया विवाद।
अगर इस किताब की बात मानी जाए तो, ये रहे वो तथ्य जो जीसस क्राइस्ट को तमिल ब्राम्हण सिद्ध करते हैं.
1. गणेश दामोदर की माने तो क्रिस्चैनिटी हिन्दू सभ्यता से ही उदित हुई है.
2. आज के Palestinian और Arab territories, पहले Hindu land हुआ करते थे.
3. जीसस क्राइस्ट ने प्राचीन भारत की यात्रा की थी और उन्होंने यहाँ पर योग सीखा।
4. जीसस क्राइस्ट का असली नाम केशव कृष्णा था और वे एक गहरे सावले रंग के तमिल ब्राम्हण थे.
5. जीसस क्राइस्ट को 12 साल की उम्र में जनेऊ पहनाया गया था जो उन्होंने सदैव पहना।
6. क्रिस्चैनिटी कोई अलग धर्म नहीं है, ये हिन्दू धर्म से ही निकला है.
7. जीसस क्राइस्ट की जान हिन्दू धर्म के अनुयायी द्वारा बचाई गयी थी जिनको योग और spiritual science का ज्ञान था.
8. जीसस क्राइस्ट आयुर्वेदिक जड़ीबूटी और पौधों की मदद से मृत्युशैया से बचाये गए थे और उनको कश्मीर ले जाया गया था.
9. कश्मीर में ही जीसस क्राइस्ट ने भगवान शिव की आराधना की थी और अपने अंतिम समय तक हिमालय में ही जीवन व्यापन किया था.
10. दामोदर सावरकर का दावा था कि जीसस क्राइस्ट का परिवार भारतीय सभ्यता की तरह कपड़े पहनते थे और उनके शरीर पर हिन्दू सभ्यता के निशान मौजूद होते थे.
पता नहीं इस किताब में कितनी सच्चाई है लेकिन ये सच है कि इस किताब के प्रकाश में आने के बाद धर्म को लेकर एक नया बखेड़ा शुरू हुआ और लोगों ने धर्म के नाम पर सियासत करना शुरू कर दिया।
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