Sanju Teaser Release: डियर मीडिया 'संजू बाबा' किसी नेक काम के लिए नहीं गए थे जेल
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 26, 2018 01:09 PM2018-04-26T13:09:52+5:302018-04-26T13:12:05+5:30
संजू ट्रीजर रिलीज़: कल संजय दत्त की बायोपिक 'संजू' का ट्रीजर मीडिया ने जिस तरह से कवर किया है उसको देख कर मुझे संजय दत्त की येरवडा जेल से बाहर आने का दिन याद आ गया. ऐसा लग रहा था मानो भारत माँ का एक जांबाज सपूत जंग के मैदान से लौटा हो और मीडिया उसके स्वागत के लिए पलकें बिछाये इंतज़ार कर रही थी.
थोड़ी व्यस्तता की वज़ह से संजय दत्त की जेल से रिलीज़ का मीडिया द्वारा महिमा मंडन का एक्सक्लूसिव कवरेज ना देख पाया और ना ही कुछ लिख पाया। आज यूट्यूब पर मैंने कई न्यूज़ देखी और ऐसा लगा कि सारी मीडिया बस संजय दत्त के बाहर निकलने का ही इंतज़ार कर रही हो. ऐसा लग रहा था कि पूरा देश अपनी पलक पावड़े बिछाये देश के इस जांबाज सिपाही का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.
हर किसी का इंटरव्यू लिया जा रहा था जो कहीं ना कहीं से संजय दत्त से जुड़ा हुआ था, मीडिया ने पूरा उत्सव वाला माहौल बना रखा था. पूरी रिहाई का लाइव कवरेज करने की होड़ लगी हुई थी.
ये देश की त्रासदी ही है कि मीडिया को ये खबर सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लगी, सही भी है आज कल पत्रकारिता पर बिज़नेस हावी हो गया है और न्यूज़ चैनेल्स भी वही बेच रहे हैं जिसको लोग देखना चाहते हैं, एक नया शब्द ‘Trending’ बहुत ज्यादा लोकप्रिय है और इसके अनुसार उस दिन संजय दत्त की खबर सबसे ट्रेंडिंग थी.
तो हम बात कर रहे थे संजय दत्त की रिहाई की, ऐसा लग रहा था जैसे भारत माता का एक जाबांज सिपाही सरहद पर से जंग जीतकर सालों के बाद घर वापस आ रहा है, ऐसा लगा कि देश को अपने मुन्नाभाई का एक दिन भी जेल में रहना गंवारा नहीं था. संजय दत्त देश के ख़ातिर जेल में नहीं गए थे उनको देश के खिलाफ द्रोह के आरोप में जेल भेजा गया था. उनके घर से भारी मात्रा में अवैध असलहे मिले थे जिनका यूज़ 1993 में मुंबई के सीरियल ब्लॉस्ट में किया गया था और उस ब्लॉस्ट में कई मासूमों की जान चली गयी थी.
अगर किसी को याद ना हो तो हम यहाँ संजय दत्त का एक बयान पढ़ाना चाहते हैं –
“बम ब्लॉस्ट के दौरान मुझे लगातार फोन पर धमकियाँ मिल रही थीं और अपनी और बहनों की सेफ्टी के लिए मुझे हथियार रखना पड़ा. लेकिन मुंबई पुलिस मेरी बात ना समझ कर मुझे ही अपराधी बता रही है. ”
पुलिस ने एक मासूम को सिर्फ अवैध हथियार रखने जैसे छोटे जुर्म में गिरफ़्तार कर लिया और उनको एक आतंकवादी सिद्ध करने का साज़िश शुरू हो गयी.
कुछ और सबूत पर नज़र डाली जाए तो पता चलेगा कि संजय दत्त लगातार दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के संपर्क में थे. दाऊद इब्राहिम के बॉलीवुड पार्टनर हनीफ लकड़ावाला और समीर हिंगोरा जो D-Comapny की तरफ से मैग्नम वीडियो की देखभाल करते थे, का बेहद करीबी रिश्ता संजय दत्त से था.
संजय दत्त को D – Company द्वारा ही हनीफ और समीर की मदद से AK -56 राइफल मिली थी. संजय दत्त पहले ही हनीफ और समीर की मदद और अपने पाली हिल वाले बंगले में हैण्ड ग्रेनेड छुपाना कबूल किया था. अगर गवाह की बात मानी जाये तो ये बारूद और असलहे एक कार में संजय दत्त के घर लाये गए थे और संजय दत्त ने खुद उन्हें अपने गैरेज में रखवाया था. पूरे ब्लास्ट के दौरान संजय दत्त लगातार इब्राहिम के संपर्क में रहे.
क्या आपको नहीं लगता इतना सारा बारूद और असलहे एक परिवार की रक्षा के लिए कुछ ज्यादा थे? और संजय दत्त क्यों नहीं एक जिम्मेदार नागरिक की तरह मदद के लिए मुंबई पुलिस के पास गए या उन्हें सूचना दी?
और इसके बाद, संजय दत्त अपनी सज़ा के दौरान ज्यादा समय पैरोल पर ही रहे. सिर्फ अच्छे व्यवहार की वज़ह से उनकी करनी छुप नहीं जाती और ना ही उनको रिहाई पर इतने भव्य स्वागत की कोई ज़रुरत थी.
‘संजय दत्त ने मुड़ कर तिरंगे को सलाम किया’ ये भी एक बड़ी खबर बन गयी और लोगो ने इसमें भी एक्सक्लूसिव स्टोरी बनाना शुरू कर दिया। हर दिन ना जाने कितने भारतीय तिरंगे को सलाम करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं और हर स्कूल में राष्ट्रगान जन गण मन हर बच्चे की ज़ुबान पर हर सुबह होता है. वो कभी भी एक खबर नहीं बनती।
संजय दत्त को तो तिरंगे को सलाम करना ही चाहिए था और अपनी की गयी गलतियों के लिये माफी मांगनी चाहिए थी. संजय दत्त ने कभी भी देश के लिए कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया है अगर किया है तो ऐसी हरकत जो देश द्रोह की श्रेणी में आती है.