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Exam Paper Leak: परीक्षा में धांधली के सरगनाओं को पकड़ने की जरूरत, 7 साल, 15 राज्य, 70 पेपर लीक और 1.7 करोड़ अभ्यर्थी प्रभावित

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: March 25, 2025 05:31 IST

Exam Paper Leak: आरोपियों के पास किसी हैकर के माध्यम से सीईटी के विद्यार्थियों का डाटा आता था, जिसके बाद ये लोग उन विद्यार्थियों से संपर्क करते थे.

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ठळक मुद्देसीईटी की परीक्षा में सिस्टम को ही हैक करके पेपर लिख देता था! सीईटी की परीक्षा के लिए उनके बताए परीक्षा केंद्रों का ही चयन करें. वीपीएन के इस्तेमाल से हैकर को सिस्टम का आईपी ऐड्रेस नहीं मिल सकता.

Exam Paper Leak: परीक्षा में धांधली की समस्या देश में पिछले कई वर्षों से चली आ रही है. हालांकि पेपर लीक के दर्जनों मामले उजागर किए जा चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस पर अभी भी लगाम नहीं लग पा रही है. इसके उलट अब तो ऐसे-ऐसे हाईटेक तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिसकी शायद हम कल्पना भी नहीं कर सकते. मुंबई अपराध शाखा ने चार लोगों के जिस रैकेट का पर्दाफाश किया है, वह सीईटी की परीक्षा में सिस्टम को ही हैक करके पेपर लिख देता था! आरोपियों के पास किसी हैकर के माध्यम से सीईटी के विद्यार्थियों का डाटा आता था, जिसके बाद ये लोग उन विद्यार्थियों से संपर्क करते थे.

विद्यार्थियों से आरोपी कहते थे कि वे सीईटी की परीक्षा के लिए उनके बताए परीक्षा केंद्रों का ही चयन करें. बताया जाता है कि सीईटी की परीक्षा वीपीएन पर की जाती है ताकि कोई उस सिस्टम को हैक न कर सके, क्योंकि किसी भी सिस्टम को हैक करने के लिए उसका आईपी ऐड्रेस पता होना चाहिए और वीपीएन के इस्तेमाल से हैकर को सिस्टम का आईपी ऐड्रेस नहीं मिल सकता.

तो क्या हैकर की ‘अंदर’ के लोगों से भी मिलीभगत थी? जाहिर है कि पकड़े गए आरोपी मोहरे ही होंगे, बड़ी मछलियां कोई और होंगी. इसलिए हैकर को पकड़ना बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं है कि परीक्षा में धांधली करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं हो रही है. राजस्थान में राज्य सरकार परीक्षा घोटालों में शामिल लोगों पर लगातार शिकंजा कस रही है और अब तक वहां 86 लोकसेवक बर्खास्त किए जा चुके हैं.

यह कार्रवाई अलग-अलग पेपर लीक मामलों में की गई है. करीब नौ माह पुराने आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले सात वर्षों में 15 राज्यों में 70 से अधिक परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं. इनमें भर्ती परीक्षाएं और बोर्ड परीक्षाएं शामिल हैं. पेपर लीक से 1.7 करोड़ अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं. हालांकि अभी पिछले साल ही केंद्र ने पेपर लीक को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाया है जिसके अंतर्गत दोषी पाए जाने वालों को दस साल तक की जेल की सजा और एक करोड़ रु. तक का जुर्माना हो सकता है. इसके बावजूद ऐसे मामलों का लगातार सामने आना चिंताजनक है.

पेपर लीक करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करना तो जरूरी है ही, प्रश्नपत्रों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का भी अधिकाधिक इस्तेमाल किया जाना चाहिए. दरअसल पेपर लीक करने वाले तो तकनीक का जमकर इस्तेमाल करते हैं लेकिन जिन पर पेपर की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है, वे इसमें पीछे रह जाते हैं. इसलिए दोषियों को सजा के साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीक और कड़ी निगरानी भी जरूरी है, ताकि देश के युवाओं के भविष्य को बर्बाद होने और प्रतिभावानों को हतोत्साहित होने से बचाया जा सके.

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