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प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: चारों तरफ से घिरी हुई हैं वित्त मंत्री

By Prakash Biyani | Updated: January 8, 2020 11:51 IST

वित्त वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी रह गई है जो वर्षात में 4.3 फीसदी से भी कम रहेगी. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स के अनुसार सितंबर 2019 तक वित्तीय घाटा 5.61 लाख करोड़ रु पए से ज्यादा हो गया है.

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कमजोर बल्लेबाज को फील्डर्स चारों तरफ से घेर लेते हैं. उसके आसपास वे दोनों हाथ ऐसे फैला लेते हैं मानो उसने बॉल को छुआ तो उससे बल्ला भी छीन लेंगे. वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ऐसे ही चक्रव्यूह में फंस गई हैं. 1 फरवरी 2020 को वे बजट पेश करेंगी. उन्हें जीडीपी की लगातार घटती ग्रोथ को संभालना है. राजस्व वसूली लक्ष्य से कम हो रही है उसे बढ़ाना है. बेरोजगारी घटाना है जो 45 सालों के उच्चतम स्तर पर 6.1 फीसदी हो गई है. कॉर्पोरेट कर में कटौती के बाद अपेक्षा की जा रही है कि वे आयकर में छूट देंगी. इन सबके साथ उन्हें वित्तीय घाटा नियंत्रित रखना है यानी उनके पास कमाई के सोर्स कम हैं परंतु उन्हें खर्च बढ़ाना है.

वित्त वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी रह गई है जो वर्षात में 4.3 फीसदी से भी कम रहेगी. कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स के अनुसार सितंबर 2019 तक वित्तीय घाटा 5.61 लाख करोड़ रु पए से ज्यादा हो गया है. यह वर्षात तक जीडीपी का 4.2 फीसदी हो जाएगा जबकि लक्ष्य था 3.3 फीसदी. वित्तीय घाटा बढ़ने के बड़े कारणों में से एक है राजस्व घटना. केंद्र और राज्य सरकारों की जीएसटी वसूली इस साल दो लाख करोड़ रुपए कम होने के आसार हैं.

इसी तरह सरकार ने सरकारी कंपनियों के विनिवेश से 1.05 लाख  करोड़  रुपए जुटाने का मंसूबा संजोया था जबकि 17,364 करोड़ रुपए ही जुटाए हैं. दिसंबर 2019 में वित्त मंत्नी ने कहा था कि सरकार भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की 53.29 फीसदी इक्विटी बेचकर 60 हजार करोड़ रुपए जुटाएगी, पर इसके साथ कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और शिपिंग कॉर्पोरेशन का विनिवेश इस वित्तीय वर्ष में नहीं हो सकेगा.

बेहतर होगा कि जुलाई 2019 के बजट की तरह वित्त मंत्नी बजट को आंकड़ों के जंजाल में नहीं फंसाएं और अर्थव्यवस्था की सच्चाई पेश करें ताकि पूरे साल वे कठिन फैसले ले सकें और लागू कर सकें. उनके अन्य विकल्प हैं- दिवालिया प्रकरणों की वसूली में तेजी ताकि बैंकों का डूबा हुआ कर्ज वसूल हो तो उनकी कर्ज वितरण क्षमता बढ़े और मार्केट में लिक्विडिटी बढ़े. 

रियल एस्टेट क्षेत्न के रुके प्रोजेक्ट चालू हों तो अनस्किल्ड लेबर को रोजगार मिले. 60 फीसदी लोगों को रोजगार देने वाले छोटे और मध्यम आकार के उद्योग नोटबंदी व जीएसटी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्हें कर्ज चाहिए और आसानी से बिजनेस करने की सुविधाएं भी. अब यह तो एक फरवरी को ही पता चलेगा कि चारों तरफ से लपकने के लिए तैयार फील्डर्स के बीच निर्मलाजी अपनी टीम के लिए कैसे रन बटोरती हैं. 

टॅग्स :निर्मला सीतारमण
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