डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: शिक्षा से संबंधित सेवाओं पर कर लगाया जाना तर्कसंगत नहीं

By डॉ एसएस मंठा | Published: July 21, 2019 01:01 PM2019-07-21T13:01:03+5:302019-07-21T13:01:03+5:30

जिस देश में लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए अपनी जमीन तक बेचने को तैयार रहते हों, अपनी पेंशन तक की रकम खर्च कर देने में आगापीछा न देखते हों, उस देश में शिक्षा पर टैक्स लगाना कितना उचित है? लेकिन भारत में शिक्षा से संबंधित कई चीजों पर टैक्स लगाया जाता है.

Dr. SS Mantha Blog: It is not logical to impose taxes on services related to education | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: शिक्षा से संबंधित सेवाओं पर कर लगाया जाना तर्कसंगत नहीं

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

जिस देश में लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए अपनी जमीन तक बेचने को तैयार रहते हों, अपनी पेंशन तक की रकम खर्च कर देने में आगापीछा न देखते हों, उस देश में शिक्षा पर टैक्स लगाना कितना उचित है? लेकिन भारत में शिक्षा से संबंधित कई चीजों पर टैक्स लगाया जाता है.

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जहां कई अच्छे आयाम हैं, वहीं कुछ चिंताएं भी पैदा हुई हैं. जैसे-जैसे मूल्यवर्धन होता है, वैसे-वैसे वस्तु एवं सेवा कर लगाया जाता है. शैक्षिक संस्थाओं को - चाहे वे शालेय शिक्षा प्रदान करने वाली हों या व्यावसायिक शिक्षा - जीएसटी सेवा देने वाले संस्थान के रूप में परिभाषित करता है और वस्तु तथा सेवा देना- दोनों ही चीजें जीएसटी के दायरे में आती हैं.

लेकिन शिक्षा से संबंधत चीजों पर कर लगाना शिक्षा क्षेत्र के लिए घातक साबित हो सकता है, क्योंकि शिक्षा मुनाफा कमाने का साधन नहीं हो सकती. टैक्स लगाने का मतलब क्या यह नहीं है कि सरकार शिक्षा के व्यवसायीकरण को मंजूरी दे रही है? देश में 60 प्रतिशत से अधिक युवा आबादी को देखते हुए, उन्हें शिक्षा न्यूनतम दरों पर उपलब्ध होनी चाहिए. इसलिए मूलभूत सेवाओं से संबंधित चीजों पर कर लगाना तर्कसंगत नहीं लगता है.

ऐसी स्थिति में शिक्षा में मूल्य श्रृंखला कैसे बनेगी? संस्थान शिक्षकों की नियुक्ति करते हैं और आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराते हैं. विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति करने से, उद्योगों के अनुकूल शिक्षा देने और इंटर्नशिप कराने से अच्छे विद्यार्थी तैयार होते हैं. लेकिन अन्य वस्तुओं की तरह शैक्षिक संस्थान अपने उत्पाद अर्थात विद्यार्थियों का उद्योग को विक्रय नहीं कर सकते. एक तरफ तो यह कहा जाता है कि विद्यार्थियों के पास रोजगार के लिए आवश्यक कौशल नहीं है और दूसरी ओर कौशल प्रदान करने वाली सेवाओं पर कर लगाया जाता है! यह कितना उचित है?

सरकार ने बजट में रोबोटिक्स, डिजिटल मार्केटिंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग और मशीन लर्निग क्षेत्र में कौशल विकास के लिए अवसर उपलब्ध कराने की घोषणा की है. लेकिन ये उच्च प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा प्रदान किए जाने वाले उच्च कौशल हैं. अगर उन पर जीएसटी लगाया जाएगा तो उनके द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण और महंगा हो जाएगा. इसलिए जरूरत इस बात की है कि शिक्षा से संबंधित सेवाओं पर  जीएसटी या तो खत्म कर दी जाए या उसकी सीमा अधिकतम पांच प्रतिशत तय कर दी जाए. फ्रांस, जर्मनी, द. कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, स्विट्जरलैंड, जापान, कनाडा जैसे अनेक देश शिक्षा से संबंधित सेवाओं पर कोई टैक्स नहीं लेते हैं. भारत सरकार को भी इस दिशा में विचार करना चाहिए.

Web Title: Dr. SS Mantha Blog: It is not logical to impose taxes on services related to education

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