डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉगः अंतरिम चुनौतियों से निपटने का प्रयास?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 3, 2019 08:13 AM2019-02-03T08:13:59+5:302019-02-03T08:13:59+5:30

मध्यम वर्ग को आखिरकार बजट से खुश होने का मौका मिला है, क्योंकि पांच लाख तक की सालाना आय को टैक्स से पूरी तरह छूट दी गई है, जो कि अधिकतम 12500 रु. होती है.

Dr. S. S. Manda's Blog: Attempts to deal with interim challenges? | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉगः अंतरिम चुनौतियों से निपटने का प्रयास?

फाइल फोटो

विगत एक फरवरी को कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहने को तो अंतरिम बजट पेश किया, लेकिन उसका स्वरूप पूर्ण बजट के जैसा दिखाई दिया. संसद में इसका विरोध होने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि कोई भी पार्टी अपने खुद के समीकरणों के चलते इसमें किए गए प्रावधानों का विरोध करने का खतरा नहीं उठा सकती.

कोई भी प्रावधान, जो किसानों की मदद करे, उसका स्वागत होना चाहिए. बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत पांच एकड़ से कम वाले किसानों के खाते में दो-दो हजार रु. की तीन किस्तों में, हर साल छह हजार रु. डालने का प्रावधान किया गया है. इसका मतलब है कि तीन से चार सदस्यों वाले किसान परिवार को प्रतिदिन 17 रु. से भी कम मिलेंगे.

अपेक्षा यह रखी गई है कि इस राशि से किसान अपने खेतों में बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदने में सक्षम हो सकेंगे. लेकिन खेती के लिए सिर्फ बीज और खाद की ही जरूरत नहीं पड़ती. किसान पहले ही कर्ज के भारी बोझ से जूझ रहे हैं और इस मामूली राशि से शायद ही उनकी कुछ खास मदद हो पाएगी. जिस तरह शहरी मध्यम वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए आयकर छूट की सीमा  पांच लाख रुपए तक बढ़ाई गई है, जो कि उसकी न्यूनतम आवश्यकताओं को मान्यता देने के समान है, उसी तरह छोटे और सीमान्त किसानों के लिए भी अधिक प्रभावी व्यवस्था की जानी चाहिए थी.

मध्यम वर्ग को आखिरकार बजट से खुश होने का मौका मिला है, क्योंकि पांच लाख तक की सालाना आय को टैक्स से पूरी तरह छूट दी गई है, जो कि अधिकतम 12500 रु. होती है. इसी तरह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पेंशन एक अच्छा विचार है, जिसके दायरे में पंद्रह हजार रु. मासिक तक कमाने वालों को शामिल किया गया है. 18 वर्ष की आयु के श्रमिक को 55 रु. और  29 वर्ष के श्रमिक को हर माह सौ रु. के अंशदान पर, 60 साल की उम्र के बाद तीन हजार रु. प्रतिमाह पेंशन मिलेगी. इस हिसाब से देखें तो 2050 के बाद ही श्रमिक पेंशन के पात्र हो पाएंगे. सवाल यह है कि अगर पेंशन रुकती है तो जमा राशि किसको मिलेगी? प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के लिए प्रशिक्षित करने का दावा किया गया है. लेकिन सवाल यह है कि रोजगार के अवसर हैं कहां?

बजट में पांच साल में एक लाख गांवों को डिजिटल करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण की योजना हमारे गांवों में सामान्य सुविधाओं की भी कमी को देखते हुए बहुत महत्वाकांक्षी लगती है. जब तक अंतिम आदमी तक सेवाओं की विश्वसनीयता में सुधार नहीं होता है, डिजिटल गांवों या डिजिटल शहरों का सपना वास्तव में दूर की कौड़ी ही बना रहेगा.

Web Title: Dr. S. S. Manda's Blog: Attempts to deal with interim challenges?

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