लाइव न्यूज़ :

दरकिनार कर दी गई हैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं, कपिल सिब्बल का ब्लॉग

By कपील सिब्बल | Updated: November 19, 2020 12:29 IST

पिछले कुछ दिनों से, भारत में इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जहां कई बार जीत के दावे इसलिए किए जाते हैं क्योंकि जांच के नतीजे संबद्ध पक्ष के अनुकूल होते हैं. हालांकि, दुखद सच्चाई यह है कि पूर्वनिर्धारित परिणामों को प्राप्त करने के लिए जांच में अक्सर हेरफेर किया जाता है.

Open in App
ठळक मुद्देराजनीतिक जोड़-तोड़ वाले मुकदमों में, अक्सर निदरेष ही पीड़ित बन जाते हैं और दोषी अपनी बेगुनाही के प्रति आश्वस्त होते हैं. विपरीत दृष्टिकोण वाले पत्रकारों को गलत तरीकों से परेशान किया जाता है और राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है.सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के आयोजन और उसमें भाग लेने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया जाता है.

जांच प्रक्रिया अगर कानूनी प्रावधानों के अनुरूप हो और बिना किसी तोड़मरोड़ के उसका पालन किया जाए तो अभियुक्त को सजा दिलाई जा सकती है. लेकिन अगर जांच दागदार है और जांच करने वाले या तो पक्षपाती हैं या प्रक्रिया को पैसे के लालच में भ्रष्ट करते हैं, आरोपी की मदद करते हैं या आरोपी की मदद करने के लिए निदरेष को फंसाते हैं तो नतीजा कभी भी वैसा नहीं होगा.

पिछले कुछ दिनों से, भारत में इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है जहां कई बार जीत के दावे इसलिए किए जाते हैं क्योंकि जांच के नतीजे संबद्ध पक्ष के अनुकूल होते हैं. हालांकि, दुखद सच्चाई यह है कि पूर्वनिर्धारित परिणामों को प्राप्त करने के लिए जांच में अक्सर हेरफेर किया जाता है. राजनीतिक जोड़-तोड़ वाले मुकदमों में, अक्सर निदरेष ही पीड़ित बन जाते हैं और दोषी अपनी बेगुनाही के प्रति आश्वस्त होते हैं. यह हमारी जांच प्रक्रियाओं की व्यथा है. विपरीत दृष्टिकोण वाले पत्रकारों को गलत तरीकों से परेशान किया जाता है और राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है.

युवा छात्रों पर कथित रूप से सरकार को अस्थिर करने के लिए सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के आयोजन और उसमें भाग लेने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया जाता है. फर्जी मुठभेड़ें होती हैं और सरकार खुद ही अपनी पीठ थपथपाते हुए घोषणा करती है कि सार्वजनिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रविरोधी अपराधियों का सफाया कर दिया गया है. दलित और अल्पसंख्यक अक्सर पक्षपातपूर्ण जांच का शिकार होते हैं. भारत जैसे लोकतंत्र के लिए, जो वर्तमान में काफी नाजुक दौर में है, यह समय है कि इच्छित परिणाम हासिल करने के  लिए भ्रष्ट प्रक्रियाओं से दूर रहा जाए.

प्रक्रियाओं में समय लगता है और परिणामों पर पहुंचने के लिए श्रमसाध्य प्रयासों की आवश्यकता होती है. लेकिन सरकार में अक्सर धैर्य नहीं होता है. वह कभी-कभी यह घोषणा करना चाहती है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक टीका बस उपलब्ध ही होने वाला है, यह अच्छी तरह से जानते हुए भी कि इस प्रक्रिया में कई चरणों के परीक्षण की आवश्यकता होती है, जिसके परिणाम तब तक ज्ञात नहीं हो सकते जब तक कि टीके प्रभावी और सुरक्षित साबित नहीं हो जाते.

आईसीएमआर की यह घोषणा कि 15 अगस्त, 2020 तक लॉन्च के लिए एक वैक्सीन तैयार हो जाएगी, इसी तरह की अधीरता का परिणाम था. इसी कारण से, सरकार प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन किए बिना परिणामों के बारे में कई मोर्चो पर अवास्तविक दावे करती है. हमने सुना है कि वित्त मंत्री ने आर्थिक कायापलट की भविष्यवाणी करते हुए इसके पुन: सशक्त होने के बारे में बात की, जबकि संकेतक निरंतर आर्थिक गिरावट की ओर इशारा कर रहे हैं. इससे पहले, हमने प्रधानमंत्री को भविष्यवाणी करते हुए सुना कि कोरोनो वायरस के खिलाफ युद्ध 21 दिनों में जीत लिया जाएगा, बिना यह जाने हुए कि वायरस हमारा क्या हाल करने वाला है.

सरकार पाकिस्तानी आतंकियों पर करारा प्रहार करने, चीनी घुसपैठियों को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कहती है, जबकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों के कम होने का कोई संकेत नहीं है, न ही चीनी अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों से हटने का इरादा रखते हैं. इसी तरह, साल-दर-साल हम इस बारे में सुनते हैं कि अगले साल प्रदूषण के स्तर को सफलतापूर्वक कम किया जाएगा, जबकि ऐसे परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते. लोकतंत्र जितना ही कम प्रक्रियाओं पर निर्भर करते हैं, उतने ही अधिक तानाशाही द्वारा संचालित परिणाम सामने आते हैं.

हम अक्सर संसद में ऐसी चर्चा के गवाह होते हैं जिसमें संभावित परिणाम के आधार पर किसी मुद्दे पर बहस के लिए अनुमति दी जाती है. कई विधेयकों को बिना चर्चा के पारित कर दिया जाता है. सामयिक मुद्दों को, जिन पर तत्काल चर्चा की आवश्यकता होती है, उन्हें या तो समय ही नहीं दिया जाता है या बहुत कम समय आवंटित किया जाता है.

सरकार का दावा है कि हाल ही में घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे बच्चों के पढ़ाने और आकलन करने के तरीके में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. लेकिन जब हमारे पास प्रशिक्षित और कुशल शिक्षक नहीं हैं, जो नीतिगत ढांचे के साथ एकरूप हों तो घोषित परिणाम कैसे हासिल होंगे? यदि परीक्षाएं छात्रों की योग्यता के मूल्यांकन का आधार नहीं बनेंगी तो  वांछित परिणामों को प्राप्त करने के लिए किस तरह के मूल्यांकन के लिए आवश्यक रूपरेखा तैयार की गई है? अफसोस की बात है कि निर्धारित प्रक्रियाओं के लिए कोई भी जगह नहीं है.

यही हाल स्वास्थ्य सेवा का भी है. अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से सुसज्जित नहीं हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में सक्षम डॉक्टरों द्वारा सेवा नहीं दी जाती है तो यह कैसे सुनिश्चित होगा कि तंत्र प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर पाएगा? कुशल राजमिस्त्री द्वारा नींव का निर्माण किए बिना किसी मजबूत संरचना को स्थापित नहीं किया जा सकता है. जिन पर हमारे देश के भविष्य का मार्गदर्शन करने और निर्णय लेने का जिम्मा है, वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए पर्याप्त कुशल नहीं हैं. यह भारतीय लोकतंत्र की व्यथा है.

चीन अपने अधिनायकवादी शासन के कारण परिणाम हासिल करता है. लेकिन लोकतंत्र में, अधिनायकवाद की संस्कृति नहीं होने के कारण इन प्रक्रियाओं को केवल बातचीत करके, सुनकर और सभी हितधारकों को विश्वास में लेकर ही वांछित परिणामों को हासिल किया जा सकता है. लेकिन इसका अभाव है. भारत के लोग एक ऐसे शासन के बीच में फंस गए हैं जो केवल नतीजों पर विश्वास करता है. लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं दरकिनार कर दी गई हैं.

टॅग्स :कोविड-19 इंडियानरेंद्र मोदीजम्मू कश्मीरपाकिस्तानचीनवर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन
Open in App

संबंधित खबरें

भारतVIDEO: कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेक दिए, पीएम मोदी...

भारतVIDEO: नेहरू ने इसरो नहीं बनाया होता आपका मंगलयान ना होता, लोकसभा में प्रियंका गांधी

भारतटीएमसी सांसद ने PM मोदी द्वारा बंकिम चंद्र को ‘बाबू’ की जगह ‘दा’ कहने पर जताई आपत्ति, प्रधानमंत्री को भाषण के बीच में रोका, VIDEO

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

भारतजब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था?, पीएम मोदी ने कहा-संविधान का गला घोंट दिया गया था, वीडियो

भारत अधिक खबरें

भारतGoa Nightclub Fire: आग लगने के कुछ घंटों बाद मालिक इंडिगो फ्लाइट से फुकेट भागा, हादसे में 25 लोगों की हुई मौत

भारतVIDEO: कांग्रेस महिला विरोधी है, अपशब्द बोलते रहते हैं, कंगना रनौत...

भारतनवजोत कौर सिद्धू को उनके विवादित बयान के कारण कांग्रेस पार्टी से किया गया सस्पेंड

भारतउमर अब्दुल्ला ने बताया कैसे एक ठुकराई हुई लड़की ने पुलिस से अपने एक्स- बॉयफ्रेंड के बारे में शिकायत की और फिर हुआ दिल्ली ब्लास्ट की साज़िश का पर्दाफ़ाश

भारत'आप यहां चुनाव के लिए हैं, हम यहां देश के लिए हैं': प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी, बीजेपी पर हमला किया