जब अमित शाह ने दिखाया अपना ‘रौद्र’ रूप?, गृह मंत्री बोले- सफाई कीजिए...

By हरीश गुप्ता | Updated: November 28, 2024 05:19 IST2024-11-28T05:18:28+5:302024-11-28T05:19:27+5:30

Delhi Police Law: गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपना रौद्र रूप उन सभी को दिखाया जो दिल्ली की कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालते हैं- केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से

Delhi Police Law Amit Shah showed 'Raudra' form blog harish gupta Home Secretary Govind Mohan Intelligence Bureau chief LG VK Saxena Commissioner Sanjay Arora | जब अमित शाह ने दिखाया अपना ‘रौद्र’ रूप?, गृह मंत्री बोले- सफाई कीजिए...

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Highlightsदिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा और अधिकारियों की टीम तक.महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी अभियान समाप्त होने के बाद बुलाया गया था.दिल्ली को सुरक्षित रखने के लिए पूरी ताकत से काम करना होगा.

Delhi Police Law: ऋग्वेद के श्लोकों में भगवान शिव का बहुत बार उल्लेख है; एक शक्तिशाली धनुर्धर, उग्र देवता ‘रुद्र’ और अन्य विशेषणों के धारक. जब भगवान शिव ने अपना ‘रौद्र रूप’ दिखाया, तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए थे. पता चला है कि गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपना रौद्र रूप उन सभी को दिखाया जो दिल्ली की कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालते हैं- केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से

लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख, उपराज्यपाल वीके सक्सेना से लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा और उनके अधिकारियों की टीम तक. दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की तीन बदमाशों द्वारा हत्या के मद्देनजर 22 नवंबर, 2024 को महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी अभियान समाप्त होने के बाद उन्हें बुलाया गया था.

बैठक में मौजूद लोगों ने कहा कि अमित शाह बेहद गुस्से में थे और उन्होंने कमिश्नर और उनकी टीम को स्पष्ट रूप से कहा कि दिल्ली को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें पूरी ताकत से काम करना होगा. यहां तक कि उन्होंने उपराज्यपाल सक्सेना से पूछा कि वे इस मोर्चे पर क्या कर रहे हैं. दिल्ली के शीर्ष पुलिस अधिकारी की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कथित तौर पर कहा, ‘सफाई कीजिए.’

इस फटकार का नतीजा अगले ही दिन देखने को मिला जब कांस्टेबल किरण पाल की हत्या के मुख्य आरोपी को मुठभेड़ में मार गिराया गया. शायद दिल्ली पुलिस ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीख ली है- वह राज्य, जो पुलिस मुठभेड़ों के लिए जाना जाता है. दिल्ली पुलिस के कामकाज से परिचित लोगों का कहना है कि राजधानी में इस तरह के उग्र दृश्य लगभग 40 साल बाद.

जब अरुण नेहरू आंतरिक सुरक्षा राज्य मंत्री थे, देखने को मिले. वे गृह मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले आखिरी सख्त और अपने काम से काम रखने वाले व्यक्ति थे. आखिरी खूंखार गैंगस्टर राजेश भारती 2018 में दिल्ली के छतरपुर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. उसके बाद कई मुठभेड़ हुईं लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें मारने के बजाय घायल ही किया क्योंकि ऊपर से कोई सुरक्षा नहीं थी.

शिंदे दिल्ली जाने के इच्छुक नहीं!

महाराष्ट्र की पहेली के पीछे एक दिलचस्प कहानी सामने आई है, हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस के बीच राज्य में चल रही गतिविधियों को लेकर दिल्ली में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सोमवार सुबह 25 नवंबर को इस मुद्दे पर अपनी पहली बैठक की. कोर कमेटी में प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस. जयशंकर मौजूद थे. बताया जाता है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद नहीं थे. चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं.

शिंदे की पार्टी की राजनीतिक मजबूरी है क्योंकि उनका मानना है कि प्रतिद्वंद्वी के साथ संघर्ष को उसके तार्किक अंत तक ले जाना होगा. हालांकि विधानसभा चुनावों में लड़ाई जीत ली गई है लेकिन आगामी मुंबई नगर निगम चुनावों और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के मद्देनजर बहुत अधिक काम किया जाना है.

सोमवार सुबह की बैठक के दौरान जो दिलचस्प बात सामने आई वह यह थी कि तब तक किसी भी वरिष्ठ भाजपा नेता ने नेतृत्व के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे से बात नहीं की थी.  मीडिया में कहा गया कि भाजपा हाईकमान ने इस अहम पद पर दावा करने का फैसला किया है. लेकिन तब तक किसी ने गठबंधन के सहयोगियों से बात नहीं की थी. बुधवार शाम को पहला संकेत मिला कि भाजपा हाईकमान महाराष्ट्र में सभी सहयोगियों से बातचीत करेगा. दिलचस्प बात यह है कि कई लोगों का मानना है कि शिंदे गठबंधन के लिए मूल्यवान हैं और बेहद विनम्र हैं तथा शांत रहना पसंद करते हैं.

प्रधानमंत्री ने मौजूद नेताओं से यह भी कहा कि कई बार उन्हें यह संकोचपूर्ण लगता है कि शिंदे दुबारा कहे बिना अपनी सीट पर नहीं बैठते. इसलिए, अकेले प्रधानमंत्री को ही इस पेचीदा मुद्दे पर फैसला लेना पड़ सकता है, हालांकि भाजपा के लिए यह ऐतिहासिक क्षण है. भाजपा राज्य पर शासन करने का अपना पहला मौका तब तक नहीं गंवा सकती जब तक कि इसके लिए बहुत ही मजबूर करने वाले कारण न हों.

महाराष्ट्र के बाद भाजपा की आकांक्षा

दिल्ली में भाजपा 1993 के बाद से सूखे का सामना कर रही है, जब उसने आखिरी बार विधानसभा चुनाव जीता था. इस बार शीर्ष स्तर पर यह निर्णय लिया गया है कि पार्टी को आप नेता अरविंद केजरीवाल से सत्ता छीननी होगी. महाराष्ट्र के नतीजों से उत्साहित आलाकमान ने अगले साल फरवरी में राज्य में फिर से जीत हासिल करने की रणनीति बनाने और उसे लागू करने का काम अमित शाह को सौंपा है.

खबरों की मानें तो भाजपा नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव में अपने कुछ मौजूदा और पूर्व सांसदों और प्रमुख नेताओं को उतारने का फैसला किया है. पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और दिल्ली की पूर्व लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारा जा सकता है.

भाजपा आप और कांग्रेस के नेताओं में भी सेंध लगा रही है और पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत (आप) और अरविंदर सिंह लवली (कांग्रेस) जैसे नेताओं को अपने पाले में शामिल कर रही है. दिल्ली के उपराज्यपाल सक्सेना पहले ही आप की मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी की तारीफ करते हुए कह चुके हैं, “वह अपने पूर्ववर्ती से हजार गुना बेहतर हैं” जो भविष्य में कुछ संभावनाओं की ओर इशारा करता है.

आतिशी ने तारीफ का जवाब नहीं दिया, हालांकि वह एलजी के साथ समारोह में मौजूद थीं. आप नेतृत्व चिंतित है क्योंकि उनका मानना है कि आने वाले दिनों में उनके कई नेता पार्टी छोड़ सकते हैं. हाल के महीनों में आप की विश्वसनीयता को काफी नुकसान पहुंचा है, खासकर दो साल पहले केजरीवाल के लिए एक आलीशान बंगला ‘शीश महल’ विवाद के मद्देनजर.

भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को दिल्ली से मैदान में उतारने पर भी विचार कर रही है, क्योंकि उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली से चुनाव लड़ा था. अमित शाह का विशेष ध्यान महिलाओं, दलितों और झुग्गी बस्तियों में रहने वालों पर होगा.

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