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वाह रे दिल्ली! न सर्दी जीने लायक और न ही गर्मी, यहां घुट-घुट के मर रहा है इंसान

By धीरज पाल | Updated: June 16, 2018 19:04 IST

मुझे दिल्ली रहते एक साल से अधिक हो गया है, लेकिन जितना दिल्ली के बारे में सुना उससे कहीं कुछ अलग ही नजारा दिख रहा है। सर्दियों में स्मॉग की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया था और अब गर्मियों में विषैली हवा की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया है।

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नई दिल्ली, 16 जून: दिल्ली में मौसम कोई सा भी हो लेकिन लेकिन प्रदूषण का अपना अलग ही प्रकोप है। सर्दी में दिल्ली वासी स्मॉग से परेशान थे तो गर्मी में गर्म हवा में फैले जहरीले प्रदूषण से। इससे उन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता जो दिन रात एसी की हवा खा रहे हैं। लेकिन उन दिल्ली के आम वासी और प्रवासी लोगों को जरूर फर्क पड़ता है जो अन्य दूसरे शहर या देश से आए हैं। जिनके पास एसी जैसी कोई सुविधा नहीं है। कोई भी इंसान बाहर से आता है और जब वह देश की राजधानी के बारे में पूछता है तो हम 52 इंच का सीना तानकर नई दिल्ली के बारे में बताना शुरू करते हैं। बताते हैं कि भारत की राजधानी नई दिल्ली है, सबसे बड़ा न्याय का मंदिर यहीं है, यहीं हमारा लोकतंत्र का मंदिर संसद है और हां, चौथे स्तंभ के सभी महाधिराज यहीं बैठते हैं।

फिर हम पर्यटन क्षेत्र के बारे में बताने लगते हैं कि यहां दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है, यहां महात्मा गांधी जी का मरणस्थली है। यहां स्थित पांचवे मुगल शासक शाहजहां द्वारा बनवाया गया विशाल और प्रसिद्ध लाल किला जैसी चीजों का बखान करने लगते हैं। लेकिन कभी दिल्ली के वातावरण को लेकर बात नहीं करते हैं। 

दिल्ली की आबोहवा कुछ ऐसी है कि फूल जाता है दम   

मुझे दिल्ली रहते 1 साल से अधिक हो गया है, लेकिन जितना दिल्ली के बारे में सुना उससे कहीं कुछ अलग ही नजारा दिख रहा है। सर्दियों में स्मॉग की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया था और अब गर्मियों में विषैली हवा की वजह से सांस लेना मुश्किल हो गया है। दिल्ली से सटे नोएडा और गाजियाबाद जैसे कई इलाकों की हालत बद से बदतर है। इन इलाकों में किसी भी वक्त कुछ दूरी तय करने पर आपका दम घुटने लगता है। गर्मी, जहरीली हवा, बसें, एसी कार और फैक्ट्री से निकले वाली हवाएं हमारे दम घूटने में मददगार साबित हो रहे हैं।

इसका जीता जगाते उदाहण के लिए कोई तस्वीर नहीं बल्कि अस्पतालों के बाहर लगे मरीजों की कतार बंया कर रहे हैं। यहां मरीजों की लगी कतार को शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि वो यहां किस वजह से खड़े हैं। आम आदमी को हमेशा लगता है कि छोटी-मोटी बिमारी तो जीवन का एक हिस्सा है। इसके लिए किससे लड़ा जाए? 

पेड़ों की जगह बसता कंक्रीट का जंगल

दिल्ली में जिंदगी की रोजमर्रा में हम इतने खो जाते हैं कि हमारी जिंदगी काम और चार दीवार तक सीमित रह जाती है। कभी शाम में छत पर जाकर आसपास का नजारा देखने का मौका भी नहीं मिलता है। किसी भी वक्त फुर्सत निकालिए और अपने छत पर जाएं। वहां से दूर तलक देखने पर पेड़ों की जंगलों की जगह कंक्रीट के विशाल जंगल नजर आएंगे। इस कंक्रीट के जंगल के चारों ओर और बीच में बसे बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलते जहरीली हवा से यहां के लोगों का नाता काफी पुराना हो गया है। जिसके कारण इन जंगलों में न तो शुद्ध हवा ले पाता है और न हीं पीने के लिए शुद्ध पानी। दिल्ली समेत कई इलाकों में पानी प्रदूषित है। जिस प्रकार से हम अपने गांवों में पानी पीने के संसाधन जैसे हैंडपंप, कुंआ से सीधे तौर पर पानी पी लेते हैं यहां इसकी संभावना ही खत्म हो गई है। लो प्यूरिफाई या फिल्टर की गई पानी पीते हैं।    

दिल्ली से सत्ता चलने के बावजूद हालात बदतर  

आज ही खबर आई जिसके अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार , पीएम10 का स्तर (10 मिलीमीटर से कम मोटाई वाले कणों की मौजूदगी) आज दिल्ली - एनसीआर में 522 और दिल्ली में 529 मापा गया।  बीते पांच दिनों से दिल्ली का प्रदूषण अपने स्तर पर बरकरार है। एक ओर जहां अन्य जगहों पर मानसून ने दस्तक दे दी है। वहीं, दिल्ली में अभी तक मानसून ने दस्तक नहीं दी है। हालांकि दिल्ली वासी आंधी और तुफान से जरूर टकरा रहे हैं। जेहन में एक प्रश्न उठता है कि दिल्ली से सत्ता चलने के बावजूद यहां पर्यावरण की हालात ऐसी क्यों है? अच्छे स्वास्थ्य को लेकर हाल ही में मंत्री, फिल्म सेलिब्रेटियों ने फिटनेस चैलेंज के लिए वीडियो शेयर किया था। लेकिन अभी दिल्ली की दूर्दशा को देखकर ये मंत्री और सेलिब्रेटी कहां गएं।

सिर्फ जिम और घर की हॉल में लगे एसी के नीचे पुश-अप मारने से हमारे देश का स्वास्थ्य चैलेंज पूरा नहीं हो सकता है। अगर सेहत के लिए चैलेंज देना है तो इस गर्मी में दिल्ली समेत उन इलाकों में जाकर पुश-अप कीजिए जहां बगल में फैक्ट्री से निकलता धूंआ हो या एसी मोटर कार से निकलती जहरीली हवा के बीच। तब जाकर हमारे देश का स्वास्थ्य चैलेंज का मिशन पूरा होगा।  

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