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ब्लॉग: कोरोना के नए रूप 'ओमीक्रॉन' की दुनिया में क्यों है दहशत?

By प्रमोद भार्गव | Updated: December 2, 2021 09:02 IST

वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमीक्रॉन बीटा और डेल्टा रूपों से आनुवंशिक रूप से भिन्न है. लेकिन फिलहाल ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि आनुवंशिक परिवर्तन इसे ज्यादा खतरनाक बनाते हैं या नहीं.

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दक्षिण अफ्रीका से निकले कोरोना विषाणु के नए स्वरूप (वेरिएंट) से भारत समेत दुनिया दहशत के साथ चिंता में है. जीनोम सीक्वेसिंग की निगरानी करने वाली वैज्ञानिकों की संस्था इन्साकॉग का मानना है कि यह नया ओमीक्रॉन का रूप अगर डेल्टा वायरस से मिश्रित होता है तो गंभीर संकट पैदा हो सकता है. 

हालांकि इस मिश्रण के कोई साक्ष्य अब तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन यह विषाणु यदि भारत में प्रवेश कर जाता है तो संकट बढ़ सकता है. कोरोना के इस रूप का वैज्ञानिक नाम बी.1.1.529 रखा गया है. इसकी सबसे पहले पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई है. इसके बाद देखते-देखते 20 से अधिक देशों में ओमीक्रॉन के 160 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. 

यूरोप में इसका विस्तार सबसे ज्यादा देखने में आया है. इस कारण भारतीय वैज्ञानिक चिंतित हैं. नई दिल्ली स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि पहली बार कोविड-19 का ऐसा विचित्र विषाणु देखने में आया है, जो 32 बार अपना स्वरूप परिवर्तन कर चुका है. 

इस वायरस की स्पाइक संरचना में सबसे अधिक बदलाव हुए हैं. इसी वजह से ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन (वैक्सीन लेने के बावजूद दोबारा संक्रमित होना) के मामले दर्ज किए जाते हैं. इसलिए भारत में यदि यह रूप प्रवेश कर जाता है और यदि इसका संयोग डेल्टा वायरस के रूपों से बन जाता है, तो यह खतरनाक हो सकता है. क्योंकि अकेले डेल्टा रूप में ही 25 बार परिवर्तन हो चुका है. 

इन्साकॉग के अनुसार भारत में अब तक 1.15 लाख नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है, जिनमें से 45,394 नमूने गंभीर पाए गए हैं.  

बीते करीब दो साल से कोविड-16 विषाणु की जैसी प्रकृति देखी गई है, उसके मद्देनजर यह आशंका बनी हुई थी कि आने वाले दिनों में कोरोना का प्रकोप फिर बढ़ सकता है. हालांकि भारत में एक अरब से भी ज्यादा टीकाकरण हो जाने से कोरोना का विस्तार नियंत्रित हुआ है. इसीलिए लोग तेजी से सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन यदि सावधानी नहीं बरती गई तो एक बार फिर बढ़ते कदमों में ओमिक्रॉन बेड़ियां डाल सकता है. 

वैज्ञानिकों की ऐसी धारणा है कि वायरस जब परिवर्तित रूप में सामने आता है तो इसके पहले रूप आपने आप समाप्त हो जाते हैं. लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि अपवादस्वरूप नया रूप खतरनाक अवतार में भी पेश आया है. दरअसल स्वरूप परिवर्तन की प्रक्रिया इतनी तेज होती है कि प्रयोगशाला में वैज्ञानिक एक रूप की संरचना को ठीक से समझ भी नहीं पाते और इसका नया रूप सामने आ जाता है. 

भारत में कोरोना के वर्तमान में छह प्रकार के रूप प्रसार में हैं और डेल्टा प्लस सातवां रूप है. लेकिन अकेला डेल्टा ही 25 रूप धारण कर चुका है. कोरोना सबसे पहले चीन के वुहान में मिला था. यहीं से दुनिया में सबसे अधिक फैला है.  

भारत समेत पूरी दुनिया में जो वैक्सीन लगाई जा रही हैं, वे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम हैं. लिहाजा वायरस नए रूपों में परिवर्तित होता भले ही चला जाए, वह टीके को निष्प्रभावी नहीं कर पाएगा. हालांकि इस धारणा के विपरीत ग्लास्गो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड का कहना है कि हो सकता है वायरस ऐसा परिवर्तन कर ले, जो टीके के असर से बच जाए. यदि ऐसा हुआ तो फिर हालात फ्लू जैसे हो सकते हैं. 

नतीजतन वैक्सीन को अपडेट करना जरूरी हो जाएगा. कोरोना की जो वैक्सीन बन रही हैं, वे इतनी लचीली हैं कि उनमें कोरोना के बदलते स्वरूप के आधार पर बदलाव आसानी से किए जा सकते हैं. लेकिन अपडेट करने से पहले वायरस के नए अवतार की संपूर्ण संरचना को समझना जरूरी होगा. इसमें समय तो लगता ही है, धीरज रखने की भी जरूरत पड़ती है.

ओमीक्रॉन की संरचना के परीक्षण के बाद जो आरंभिक साक्ष्य मिले हैं, उनसे पता चला है कि यह रूप उन लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है, जो कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. यानी रि-इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा है. अर्थात जो लोग कोविड-19 की चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं, वे इसकी चपेट में फिर से आ सकते हैं.  

वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमीक्रॉन बीटा और डेल्टा रूपों से आनुवंशिक रूप से भिन्न है. लेकिन फिलहाल ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि आनुवंशिक परिवर्तन इसे ज्यादा खतरनाक बनाते हैं या नहीं. इसलिए यह उम्मीद भी है कि ओमीक्रॉन गंभीर बीमारी में बदलने में सक्षम नहीं है. इस लिहाज से कोरोना के इस नए अवतार से भयभीत होने की बजाय सावधानी बरतने की जरूरत है.

टॅग्स :कोरोना वायरसबी.1.1529DeltaDelta Plus
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