ब्लॉग: दिल्ली-लखनऊ के बीच मौन संघर्ष! ठग संजय राय शेरपुरिया की गिरफ्तारी पर उठ रहे कई सवाल

By हरीश गुप्ता | Published: May 4, 2023 11:30 AM2023-05-04T11:30:39+5:302023-05-04T11:38:44+5:30

अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सभी केंद्रीय मंत्रियों से कहा जा रहा है कि वे अपने मंत्रालय के अलावा भी अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं के कामकाज और उपलब्धियों से अवगत रहें। माना जाता है कि यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय से आया है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंत्रियों की जानकारी का स्तर किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं रहना चाहिए।

conman Sanjay Rai Sherpuria arrest by stf stunned as central agency informed about him bjp pm modi | ब्लॉग: दिल्ली-लखनऊ के बीच मौन संघर्ष! ठग संजय राय शेरपुरिया की गिरफ्तारी पर उठ रहे कई सवाल

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsठग संजय राय शेरपुरिया की गिरफ्तारी को लेकर कई सवाल उछ रहे है।ऐसा इसलिए क्योंकि एक केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा जानकारी देने के बाद एसटीएफ उसे गिरफ्तार किया है।यही नहीं खबर ये भी है कि शेरपुरिया मामले को शीघ्र ही सीबीआई को स्थानांतरित भी किया जा सकता है।

नई दिल्ली:  दिल्ली में उच्च और शक्तिशाली लोगों के साथ संबंध रखने वाले ठग संजय राय शेरपुरिया की पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा की गई गिरफ्तारी ने दिल्ली में सत्ता को झटका दिया है. उसने जहां धनकुबेरों को यह कहकर बेवकूफ बनाया था कि वह उनके केंद्रीय जांच एजेंसी में लंबित मामलों को रफादफा करवा देगा, वहीं 2019 लोकसभा चुनाव के पहले कई राजनेताओं को भी अच्छा खासा ‘असुरक्षित ऋण’ देकर उपकृत किया था. 

रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है

रिपोर्टों के अनुसार इन असुरक्षित कर्जों का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है. इसमें जहां एक उपराज्यपाल का नाम पहले ही सामने आ चुका है, वहीं सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि कुछ केंद्रीय मंत्रियों को भी शेरपुरिया ने उपकृत किया था. अनेक मंत्रियों, नौकरशाहों के साथ उसकी तस्वीरें भी चर्चा में हैं. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि एक केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के बाद एसटीएफ की नोएडा इकाई ने उसे गिरफ्तार किया है. 

पहले दावा किया गया था कि एसटीएफ ने खुद ही उसके खिलाफ कार्रवाई की थी. यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि आखिर क्यों एक केंद्रीय एजेंसी ने खुद ही कार्रवाई करने के बजाय एसटीएफ को सूचना दी. कहा जा रहा है कि शेरपुरिया का मामला दिल्ली और लखनऊ के बीच एक मौन युद्ध छिड़ने का संकेत है. योगी आदित्यनाथ दिल्ली में कुछ नेताओं से बेहद असहज हैं और कई प्रमुख क्षेत्रों में उन्हें खुली छूट नहीं दी जा रही है.

शेरपुरिया मामले को शीघ्र ही सीबीआई को किया जा सकता है स्थानांतरित

हालांकि योगी अडिग हैं क्योंकि वे पहले ही हिंदुत्व की ताकतों के लिए एक प्रतीक बन चुके हैं. ऐसी खबरें हैं कि शेरपुरिया के मामले को शीघ्र ही सीबीआई को स्थानांतरित किया जा सकता है क्योंकि ठग अपनी गतिविधियों का संचालन कई राज्यों से कर रहा था. शेरपुरिया गिरफ्तार होने वाला पहला ठग नहीं है. उसके पहले खुद को पीएमओ का एक उच्च अधिकारी बताते वाले ठग किरण पटेल को जम्मू-कश्मीर पुलिस मार्च में गिरफ्तार कर चुकी है. उसे आगे जांच के लिए गुजरात पुलिस के हवाले किया गया है.

उपराष्ट्रपति धनखड़ का बढ़ता ग्राफ

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का ग्राफ दिनोंदिन ऊपर की ओर जा रहा है. इसका एक संकेत तब मिला जब सरकार ने संसद टीवी की गवर्निंग काउंसिल का पुनर्गठन कर जगदीप धनखड़ को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया, जबकि ओम बिड़ला इसके उपाध्यक्ष होंगे. बता दें कि संसद टीवी तब अस्तित्व में आया था जब सरकार ने मार्च 2021 में लोकसभा और राज्यसभा टेलीविजन के विलय का फैसला किया. 

संसद टीवी को अंतत: 15 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था. विलय के बाद, जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है तो दोनों चैनलों में एक समान कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है. दोनों चैनलों के विलय के पूर्व लोकसभा टीवी को लोकसभा सचिवालय द्वारा और राज्यसभा चैनल को राज्यसभा सचिवालय द्वारा नियंत्रित किया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब धनखड़ दोनों चैनलों के संचालन की देखरेख करेंगे.

 रंजीत पुन्हानी संसद टीवी के सीईओ नियुक्त हुए हैं

गवर्निंग काउंसिल ने लोकसभा के महासचिव यू.के. सिंह के स्थान पर तत्काल प्रभाव से रंजीत पुन्हानी (1991 बैच के आईएएस) की संसद टीवी के सीईओ के रूप में नियुक्ति की है. यू.के. सिंह अतिरिक्त कार्यभार देख रहे थे. राज्यसभा और लोकसभा के महासचिव गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे, जबकि संसद टीवी के सीईओ सदस्य सचिव होंगे. सरकार के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि धनखड़ ने प्रधानमंत्री के साथ जबर्दस्त सामंजस्य बनाकर रखा है, जो कि उनके पूर्ववर्ती एम. वेंकैया नायडू नहीं बना पाए थे. 

धनखड़ उत्कृष्ट वकील होने के कारण अपनी उस क्षमता का भी उपयोग कई मामलों में कड़ा फैसला लेने के लिए कर पाते हैं, जैसा कि उनके पूर्ववर्तियों ने कभी नहीं किया. धनखड़ ने एक राज्यसभा सांसद द्वारा एक विभाजनकारी किस्म का लेख लिखने के मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने का अभूतपूर्व कदम उठाने में संकोच नहीं किया.

मंत्रियों को मोदी का उपदेश

मोदी सरकार में वर्तमान में एक दिलचस्प प्रयोग चल रहा है. अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सभी केंद्रीय मंत्रियों से कहा जा रहा है कि वे अपने मंत्रालय के अलावा भी अन्य महत्वपूर्ण परियोजनाओं के कामकाज और उपलब्धियों से अवगत रहें. माना जाता है कि यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय से आया है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मंत्रियों की जानकारी का स्तर किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं रहना चाहिए. 

इसके बजाय वे सरकार के कामकाज और उसकी सफलता की कहानियों से मोटे तौर पर परिचित रहें. इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि इससे मंत्रियों को मीडिया के सवालों का सामना करने में और अन्य अवसरों पर मदद मिलेगी. 

मंत्री नहीं दे पा रहे है परिवार को समय

जाहिर है कि सरकार चाहती है कि उसके मंत्रियों को अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र से बाहर के सवालों का जवाब देने में लड़खड़ाना न पड़े. दूसरी ओर, मोदी सरकार के मंत्रियों के लिए अपने घर के सदस्यों को समय दे पाना कठिन हो गया है. एक मंत्री ने तो अपने एक इंटरव्यू में कह ही दिया कि उनकी पुत्री बहुत परेशान है क्योंकि वे उसको रविवार तक को समय नहीं दे पा रहे हैं. एक अन्य केंद्रीय मंत्री कहते हैं ‘‘हम एक वॉर मशीन या ‘रोबोट’ जैसे बन गए हैं.’’ 

मंत्रियों को दिए जाते है दिशानिर्देश 

एक मंत्री की शिकायत है कि वे किसी न किसी कारण से हफ्ते में कम से कम चार दिन सुबह व्यायाम के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, जबकि एक अन्य भुनभुनाते हैं कि उनके लिए शाम को परिवार के साथ भोजन के लिए समय निकाल पाना कठिन हो रहा है. वे कहते हैं,‘हम सब हर समय मानो युद्ध के मैदान में रहते हैं और बीच में मैदान छोड़ नहीं सकते.’ उनके लिए नए दिशानिर्देश हैं, जैसे किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में जाने से पूर्व नेतृत्व के बारे में उनके पास सभी सवालों का जवाब होना चाहिए. 

अगर वे अपने गृह राज्य में किसी सार्वजनिक समारोह में शामिल होने जा रहे हैं तो उन्हें उस राज्य के पार्टी अध्यक्ष को इसकी जानकारी देनी चाहिए. यहां तक कि पार्टी मामलों से संबंधित किसी टीवी इंटरव्यू में शामिल होने के लिए भी उन्हें निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि समूची प्रणाली केंद्रीकृत है.
 

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