Congress Rahul gandhi: राहुल के नए प्रयोग से कांग्रेस का कितना भला होगा?, देश के 700 जिला प्रमुख केंद्रीय चुनाव समिति का हिस्सा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: April 2, 2025 05:18 IST2025-04-02T05:18:46+5:302025-04-02T05:18:46+5:30

Congress Rahul gandhi: राहुल गांधी या प्रियंका गांधी की सभा में भीड़ अलग बात है और कांग्रेस से युवाओं का लगाव बिल्कुल दूसरी बात है.

Congress Rahul gandhi How much Rahul's new experiment benefit Congress 700 District Congress Presidents country part Central Election Committee | Congress Rahul gandhi: राहुल के नए प्रयोग से कांग्रेस का कितना भला होगा?, देश के 700 जिला प्रमुख केंद्रीय चुनाव समिति का हिस्सा

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Highlightsसवाल यह उठता है कि क्या वाकई इससे कांग्रेस की सेहत पर फर्क पड़ेगा?कांग्रेस के भीतर नीचे से लेकर ऊपर तक चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है.गुटबाजी है कि हर नेता एक-दूसरे को निपटाने की हर संभव कोशिश हर समय करता रहता है.

Congress Rahul gandhi: कांग्रेस को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए राहुल गांधी एक नया फॉर्मूला लेकर आए हैं. अब देश के 700 जिला कांग्रेस अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति का हिस्सा होंगे. वैसे यह पैटर्न तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी द्रविड़ प्रगति संघ का है जिसे नए स्वरूप में कांग्रेस के लिए राहुल गांधी लागू करने जा रहे हैं.  राहुल गांधी की सोच शायद यह है कि यदि वे इन जिला अध्यक्षों को सशक्त करेंगे तो नीचे के स्तर पर पार्टी मजबूत होगी. सवाल यह उठता है कि क्या वाकई इससे कांग्रेस की सेहत पर फर्क पड़ेगा?

सामान्य नजरिए से देखें तो फर्क पड़ना चाहिए लेकिन नीचे के स्तर पर कांग्रेस की स्थिति का गहराई से विश्लेषण करें तो यह काम इतना आसान है नहीं जितना कि सोचा जा रहा है. पिछले कई दशकों से जमीनी स्तर पर कांग्रेस को पोषित करने का काम लगभग समाप्त हो चुका है. पार्टी के भीतर नीचे से लेकर ऊपर तक चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है.

जो प्रक्रिया बची है, वह केवल दिखावा है. मौजूदा वक्त की हकीकत यह है कि देश को दिशा देने वाली युवा शक्ति से कांग्रेस पूरी तरह कट चुकी है. राहुल गांधी या प्रियंका गांधी की सभा में भीड़ अलग बात है और कांग्रेस से युवाओं का लगाव बिल्कुल दूसरी बात है. कांग्रेस का कोई भी नेता इस वक्त ऐसा करिश्मा नहीं दिखा पा रहा है जिससे युवाओं को भविष्य की कोई राह दिखाई दे.

बल्कि यह साफ दिखाई दे रहा है कि पार्टी के भीतर नीचे से लेकर राज्य के स्तर तक इतनी गुटबाजी है कि हर नेता एक-दूसरे को निपटाने की हर संभव कोशिश हर समय करता रहता है. इसका नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस की नीतियों को लेकर आगे बढ़ने वाले ईमानदार लोग पिछले पायदान पर पहुंच चुके हैं. यह बात कड़वी जरूर है लेकिन सभी जानते हैं कि कांग्रेस में पदों का वितरण कैसे होता है.

यदि आपके पास पहुंच है तो पद आपकी जेब में है. राज्यों के क्षत्रप केवल अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हुए हैं. पार्टी की फिक्र किसी को नहीं है. अब चलिए मान लेते हैं कि 700 जिला कांग्रेस अध्यक्ष यदि केंद्रीय चुनाव समिति में पहुंच जाते हैं तो वे किसकी बात करेंगे? या तो अपनी बात करेंगे यो फिर उन नेताओं की बात करेंगे जिनकी बदौलत वे जिला कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं.

यानी केंद्रीय चुनाव समिति में गुटबाजी और ज्यादा बढ़ेगी ही. राहुल गांधी के लिए यह संभव तो है नहीं कि वे एक-एक जिले का विश्लेषण करें! कांग्रेस के आनुषंगिक संगठन युवक कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल एवं एनएसयूआई करीब-करीब कब्र में पड़े हुए हैं. उसके लिए संजीवनी बूटी कौन तैयार करेगा?

चलिए, यह सब काम करने की ईमानदार शुरुआत अभी हो भी जाए तो यह भी देखना जरूरी है कि कांग्रेस को मुकाबला उस भारतीय जनता पार्टी से करना है जिसके पास नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे रणनीतिकार तो हैं ही, राज्यों के स्तर पर योगी आदित्यनाथ और देवेंद्र फडणवीस जैसे कुशाग्र लोग भी हैं.

मौजूदा वक्त की वास्तविकता यही है कि भारतीय जनता पार्टी कैडर बेस्ड तो है ही, उसके न जाने कितने आनुषंगिक संगठन चल रहे हैं. एक और महत्वपूर्ण बात है कि भाजपा का राजनीतिक और सामाजिक नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है जबकि कांग्रेस के पास ऐसा कोई स्पष्ट नजरिया नजर नहीं आ रहा है. केवल आरोप लगाने से कांग्रेस की सेहत सुधरने वाली नहीं है. कांग्रेस को सोचना होगा कि जनता उसके साथ कैसे जुड़े? 

Web Title: Congress Rahul gandhi How much Rahul's new experiment benefit Congress 700 District Congress Presidents country part Central Election Committee

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