रंगहीन पानी भी हमें बना सकता है बेरंग, बुजुर्ग कहते-पानी और आग से सदैव बचकर रहो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 12, 2025 05:26 IST2025-07-12T05:26:42+5:302025-07-12T05:26:42+5:30

अक्सर यह होता है कि लोग अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने, पिकनिक पर किसी नदी किनारे का स्थान चुनते हैं.

Colourless water also make us colourless Elders say that one should always stay away from water and fire blog Dr Mahesh Parimal | रंगहीन पानी भी हमें बना सकता है बेरंग, बुजुर्ग कहते-पानी और आग से सदैव बचकर रहो

सांकेतिक फोटो

Highlightsबुजुर्ग कहते हैं कि पानी और आग से सदैव बचकर रहना चाहिए. सभी एक ऐसी वीरान जगह पर पहुंच जाते हैं जहां कोई नहीं होता. बिना हम उसकी पुकार को सुनकर उस तक पहुंच जाते हैं.

डॉ. महेश परिमल

पानी के बारे में कहीं पढ़ा था कि कोई रंग नहीं होता इस बारिश के पानी का, मगर बरसते ही फिजां को रंगीन बना देता है. पानी हमारे जीवन में रंग भरने का काम करता है. इसके बिना जीवन बेरंग हो जाता है. पानी हमारे जीवन का आवश्यक अंग है. पर हममें से कितने ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पानी को समझने की कोशिश की है? इसलिए पानी को समझे बिना उस पर उतरने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए. बुजुर्ग कहते हैं कि पानी और आग से सदैव बचकर रहना चाहिए. अक्सर यह होता है कि लोग अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने, पिकनिक पर किसी नदी किनारे का स्थान चुनते हैं.

फिर वे सभी एक ऐसी वीरान जगह पर पहुंच जाते हैं जहां कोई नहीं होता. बस यहीं से होती है पानी से हमारे रिश्ते की शुरुआत. यहां नदी के किनारे हमें लुभाते हैं, आकर्षित करते हैं. जब सभी व्यस्त हो जाते हैं, तब नदी हमारे भीतर से पुकारती है. हम नदी की ओर आकर्षित होते हैं. नदी को समझे बिना हम उसकी पुकार को सुनकर उस तक पहुंच जाते हैं.

नदी में उतरते ही विवेक हमारा साथ छोड़ने लगता है. हम नदी को कुछ और ही अपने भीतर समाने लगते हैं. नदी में छलांग लगाने के लिए हम तैयार हो जाते हैं. इसी बीच नदी की तलहटी में फैले कीचड़ हमारे पांवों को जकड़ लेते हैं.  हमारी चीखें अनसुनी रह जाती हैं. हम पानी को समझ नहीं पाए, इसलिए डूबने-उतराने लगते हैं.

कुछ देर बाद नदी का यही पानी हमें अपने भीतर समा लेता है. हमारे जीवन का अंत आ जाता है. तब हमारे अपनों को यह ध्यान आता है कि यहां पर कई तख्तियां लगी हैं, जिसमें चेतावनी दी गई है कि यहां नहाना मना है, नदी की गहराई अधिक होने के कारण डूबने का खतरा बना रहता है.

पहले हमें यह चेतावनी दिखाई ही नहीं देती, यदि देती भी है तो हम उसे अनदेखा कर देते हैं. पानी के स्वभाव या पानी की प्रवृत्ति को पहचानना आना चाहिए. पानी के नीचे जमा कीचड़, बेलें या इंसानों द्वारा फेंका गया कचरा तैरने वाले के पांव में उलझ जाता है. नदी-तालाब, झील-झरने आदि स्थानों पर स्पष्ट निर्देश दिए जाते हैं कि गहराई वाली जगह पर न जाएं,

पर लोग मानते ही नहीं. जो पानी का स्वभाव नहीं जानते, वे यह भी नहीं जानते कि पानी के नीचे का कीचड़ कितना चिकना है. उस पर पांव धंसते चले जाते हैं. जितनी कोशिशें करो, उतने ही हालात बेकाबू होने लगते हैं. यही स्थिति आखिर में जान पर बन आती है.

Web Title: Colourless water also make us colourless Elders say that one should always stay away from water and fire blog Dr Mahesh Parimal

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