विश्व में भारत का प्रभाव बढ़ने से ही चीन पड़ेगा अलग-थलग

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 9, 2023 01:10 PM2023-09-09T13:10:55+5:302023-09-09T13:11:30+5:30

हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल नहीं होने को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। जहां तक पुतिन की बात है, जाहिर है कि यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण उन्हें अमेरिका और यूरोपीय देशों की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है और इन देशों के प्रमुखों की शिखर सम्मेलन में मौजूदगी के बीच, पुतिन के आने से माहौल कड़वाहट भरा और उत्तेजक होता तथा उसके विस्फोटक स्तर तक पहुंचने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता था।

China will become isolated only as India's influence increases in the world | विश्व में भारत का प्रभाव बढ़ने से ही चीन पड़ेगा अलग-थलग

विश्व में भारत का प्रभाव बढ़ने से ही चीन पड़ेगा अलग-थलग

भारत आज शनिवार से जी-20 शिखर सम्मेलन का जो विशाल वैश्विक आयोजन करने जा रहा है, वह 1983 में राजधानी दिल्ली में आयोजित हुए गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मेलन के बाद कदाचित पहली बार ही है। हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल नहीं होने को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। जहां तक पुतिन की बात है, जाहिर है कि यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण उन्हें अमेरिका और यूरोपीय देशों की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है और इन देशों के प्रमुखों की शिखर सम्मेलन में मौजूदगी के बीच, पुतिन के आने से माहौल कड़वाहट भरा और उत्तेजक होता तथा उसके विस्फोटक स्तर तक पहुंचने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता था। इसलिए यह भी हो सकता है कि पुतिन ने अपने मित्र देश भारत को इस विकट स्थिति में पड़ने से बचाने के लिए आने से मना किया हो!

 लेकिन जहां तक चीन का सवाल है, इसमें कोई दो राय नहीं कि वह भारत में होने वाले वैश्विक आयोजन को विफल करने की मंशा रखता है और उसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होना उसकी इसी मंशा को दर्शाता है। लेकिन जाहिर है कि भारत पर चीन की इस चाल से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। यही कारण है कि चीन को करारा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 सितंबर को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित वार्षिक आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के मंच से चीन की विस्तारवादी नीति और बढ़ती सैन्य आक्रामकता पर सख्त टिप्पणी की। मोदी ने कहा कि दक्षिणी चीन सागर किसी एक का नहीं है बल्कि समुद्री सीमाएं साझा करने वाले इससे जुड़े सभी देशों का इस पर समान अधिकार है। 

दरअसल पिछले माह 28 अगस्त को बीजिंग ने ‘चीन के मानक मानचित्र’ का 2023 संस्करण जारी किया था जिसमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी क्षेत्रों के रूप में दर्शाया है। भारत ने तो इस ‘मानचित्र’ को खारिज करते हुए चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज किया ही है, मलेशिया, वियतनाम और फिलीपीन्स जैसे आसियान के कई सदस्य देशों ने भी चीन के दावे पर सख्त प्रतिक्रिया जाहिर की है। इसीलिए आसियान देशों के साथ एकजुटता दर्शाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 बैठक की तैयारी की व्यस्तता के बावजूद जकार्ता की बैठक में पहुंचे थे। अब राजधानी दिल्ली में होने वाला जी-20 का शिखर सम्मेलन भी एक ऐसा मौका है जहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जापान के प्रधानमंत्री किशिदो, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक योल आदि वैश्विक नेताओं के बीच भारत का महत्व साबित हो सकेगा और चीन खुद ही अपने को अलग-थलग महसूस करेगा।

Web Title: China will become isolated only as India's influence increases in the world

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