ब्लॉग: अब खत्म होना चाहिए कावेरी जल विवाद

By प्रमोद भार्गव | Published: September 30, 2023 02:34 PM2023-09-30T14:34:27+5:302023-09-30T14:35:01+5:30

इसी आधार पर प्राधिकरण ने तमिलनाडु को कावेरी के 58 प्रतिशत पानी का हकदार बताया था। लेकिन कर्नाटक केवल एक हजार टीएमसी पानी देने को तैयार है।

Cauvery water dispute should end now | ब्लॉग: अब खत्म होना चाहिए कावेरी जल विवाद

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

कावेरी जल बंटवारे को लेकर दशकों से चला आ रहा विवाद अब थम जाना चाहिए। दरअसल, शीर्ष न्यायालय ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और कावेरी जल नियमन समिति के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है, जिसमें कर्नाटक सरकार को तमिलनाडु के लिए प्रतिदिन पांच हजार घन मीटर पानी देने की बात कही गई है।

तमिलनाडु ने राज्य में सूखे के कारण 7200 घन मीटर पानी मांगा था। समिति ने उसकी मांग को उचित तो माना लेकिन दूसरे राज्यों में जल समस्या का ध्यान रखते हुए पानी की मात्रा घटाकर पांच हजार घन मीटर कर दी है।

यही फैसला कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने भी दिया था। तमिलनाडु ने इस निर्णय पर सहमति जता दी है लेकिन कर्नाटक में इस निर्णय के विरुद्ध असंतोष पनपने के साथ विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं।

दक्षिण भारत की गंगा मानी जाने वाली कावेरी नदी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहने वाली जीवनदायी सदानीरा नदी है। नदी विवाद जल अधिनियम के तहत 1990 में ट्रिब्यूनल बनाया गया।

इस ट्रिब्यूनल ने कर्नाटक को आदेश दिया कि तमिलनाडु को 419 अरब क्यूसेक फीट पानी, केरल को 30 अरब तथा पांडिचेरी को 2 अरब क्यूसेक पानी दिया जाए किंतु कर्नाटक सरकार ने इस आदेश को मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस पानी पर हमारा पूरा हक है इसलिए हम पानी नहीं देंगे।

तमिलनाडु कावेरी के पानी पर ज्यादा हक की मांग इसलिए करता है क्योंकि कावेरी का 54 प्रतिशत बेसिन इलाका उसके क्षेत्र में है। कर्नाटक में बेसिन क्षेत्र 42 प्रतिशत है। इसी आधार पर प्राधिकरण ने तमिलनाडु को कावेरी के 58 प्रतिशत पानी का हकदार बताया था। लेकिन कर्नाटक केवल एक हजार टीएमसी पानी देने को तैयार है।

Web Title: Cauvery water dispute should end now

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