नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर टूट रहीं भ्रांतियां
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 20, 2025 07:29 IST2025-09-20T07:29:13+5:302025-09-20T07:29:17+5:30
2000 से अब तक रिन्यूएबल एनर्जी के विस्तार से वैश्विक बिजली क्षेत्र को कम-से-कम 409 अरब अमेरिकी डॉलर की ईंधन लागत बचत हुई है.

नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर टूट रहीं भ्रांतियां
निशांत सक्सेना
नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) को लेकर अब भी कई पुराने मिथक लोगों की सोच पर हावी हैं-जैसे कि सोलर और विंड एनर्जी महंगी है, भरोसेमंद नहीं है या फिर पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होती है. लेकिन जीरो कार्बन एनालिटिक्स की नई रिपोर्ट ने इन धारणाओं को तथ्यों के साथ खारिज किया है.
रिपोर्ट कहती है कि आज की तारीख में रिन्यूएबल एनर्जी दुनिया की सबसे सस्ती और सबसे तेजी से बढ़ने वाली बिजली का स्रोत बन चुकी है. 2010 के बाद से सोलर एनर्जी की लागत 90% और विंड एनर्जी की लागत 70% तक गिर गई है. 2023 में ऑनशोर विंड से बिजली बनाने का खर्च फॉसिल फ्यूल विकल्पों से 67% कम और सोलर एनर्जी का खर्च 56% कम रहा. 2000 से अब तक रिन्यूएबल एनर्जी के विस्तार से वैश्विक बिजली क्षेत्र को कम-से-कम 409 अरब अमेरिकी डॉलर की ईंधन लागत बचत हुई है.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि रिन्यूएबल एनर्जी प्रणाली अब तकनीकी रूप से भरोसेमंद है. बैटरी स्टोरेज, स्मार्ट ग्रिड और विविध स्रोतों की मदद से बिजली आपूर्ति लगातार बनाए रखी जा सकती है. 2024 में अकेले 450 गीगावॉट नई सोलर क्षमता स्थापित हुई, जिसने वैश्विक एनर्जी सुरक्षा को नई दिशा दी.
वन्यजीवों पर असर को लेकर उठाए जाने वाले सवालों को भी रिपोर्ट ने संज्ञान में लिया. आंकड़ों के मुताबिक फॉसिल फ्यूल से उत्पन्न हर गीगावॉट-घंटा बिजली पर औसतन 5.2 पक्षियों की मौत होती है, जबकि विंड एनर्जी में यह संख्या महज 0.3 से 0.4 है. विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन खुद जैव विविधता के लिए कहीं बड़ा खतरा है और रिन्यूएबल एनर्जी उसे रोकने में अहम भूमिका निभा सकती है.
जहां तक कचरे की बात है, कोयले की राख और तेल से निकलने वाले अवशेषों की तुलना में सोलर पैनलों या विंड टर्बाइन से निकलने वाला कचरा नगण्य है. अनुमान है कि 2050 तक कोयले की राख 45 अरब टन तक पहुंच जाएगी, जबकि सोलर पैनलों से निकलने वाला कचरा केवल 160 मिलियन टन होगा. आधुनिक तकनीकों से सोलर और विंड उपकरणों के 95% तक हिस्सों को रीसाइकल किया जा सकता है.
जीरो कार्बन एनालिटिक्स की रिपोर्ट का निष्कर्ष साफ है- रिन्यूएबल एनर्जी अब न महंगी है, न अविश्वसनीय और न ही प्रकृति के लिए असहनीय. बल्कि यह एनर्जी परिवर्तन की रीढ़ है और वैश्विक जलवायु संकट से निपटने का सबसे ठोस उपाय भी.