ब्लॉग: राज्यसभा में मनोनयन की प्रासंगिकता

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: February 7, 2024 12:01 PM2024-02-07T12:01:36+5:302024-02-07T12:14:30+5:30

राज्यसभा में प्रारंभ में विशिष्ट लोगों को मनोनीत करने का उद्देश्य सदन के बौद्धिक स्तर को बढ़ाना था। अब मनोनयन के माध्यम से विचारधारात्मक संदेश दिया जाता है तथा इसमें ग्लैमर, जाति और दलगत संबद्धता के भी आयाम होते हैं।

Blog: Relevance of nomination to Rajya Sabha | ब्लॉग: राज्यसभा में मनोनयन की प्रासंगिकता

फाइल फोटो

Highlightsराज्यसभा में प्रारंभ में विशिष्ट लोगों को मनोनीत करने का उद्देश्य सदन के बौद्धिक स्तर को बढ़ाना थालेकिन अब राज्यसभा मनोनयन के माध्यम से विचारधारात्मक संदेश दिया जाता हैबीते सात दशकों में मनोनीत सांसदों की भूमिका एवं गुणवत्ता में भारी बदलाव आया है

प्रारंभ में राज्यसभा में विशिष्ट लोगों को मनोनीत करने का उद्देश्य सदन के बौद्धिक स्तर को बढ़ाना था। अब मनोनयन के माध्यम से विचारधारात्मक संदेश दिया जाता है तथा इसमें ग्लैमर, जाति और दलगत संबद्धता के भी आयाम होते हैं। बीते सात दशकों में मनोनीत सांसदों की भूमिका एवं गुणवत्ता में भारी बदलाव आया है। वे या तो अनुपस्थित रहते हैं या बहस से परे रहकर पीछे बैठे होते हैं।

कुछ दिन पहले राष्ट्रपति ने निजी संस्थान चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के संस्थापक सतनाम सिंह को शिक्षा में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले सिंह बेहद सफल उद्यमी साबित हुए हैं। उनका चयन गरीब या सामान्य सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले अनजान लोगों को चुनने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मॉडल को प्रतिबिंबित करता है।

कांग्रेस के दौर में मनोनीत सांसद उसके वैचारिक सहयोगी हुआ करते थे। अब जो लोग मनोनीत हो रहे हैं, वे राजनीतिक रूप से तटस्थ हैं। वर्ष 1952 में राज्यसभा की स्थापना के बाद से लगभग 145 लोग मनोनीत हुए हैं, इनमें से कुछ का चयन एक बार से अधिक हुआ है। इनमें सबसे अधिक संख्या (24) मनोरंजन जगत से आने वालों की है. जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने 65, राजीव गांधी ने 12 तथा मनमोहन सिंह ने 19 लोगों को मनोनीत किया था। सभी 14 प्रधानमंत्रियों के लिए केवल मेधा ही मानक नहीं रही है, लेकिन मनोनयन प्रक्रिया का प्रारंभ कृपादृष्टि के सर्कस के रूप में नहीं हुआ था।

नेहरू ने विभिन्न क्षेत्रों के सबसे उत्कृष्ट लोगों को मनोनीत किया था। पहले 12 मनोनीत सदस्यों में जाकिर हुसैन (शिक्षाविद), अल्लादी कृष्णास्वामी (कानून विशेषज्ञ), सत्येंद्रनाथ बोस (वैज्ञानिक), रुक्मिणी देवी अरुंडेल (कलाकार), काकासाहब कालेलकर (विद्वान), मैथिलीशरण गुप्त (कवि) एवं पृथ्वीराज कपूर (कलाकार) शामिल थे।

भारतीय सिनेमा के बहुत बड़े नाम पृथ्वीराज कपूर ने अपने पहले भाषण में कहा था, ‘हम भले आकाश में उड़ें, पर धरती से हमारा जुड़ाव कभी नहीं टूटना चाहिए, पर यदि हम बहुत अर्थशास्त्र और राजनीति पढ़ने लगते हैं, तब हमारा यह जुड़ाव गायब होने लगता है, हमारी आत्मा सूखने लगती है। आत्मा के इस सूखने से हमारे नेताओं को बचाना होगा। इसी उद्देश्य के लिए मनोनीत सदस्य- शिक्षाविद, वैज्ञानिक, कवि, लेखक और कलाकार- यहां हैं।’

हालांकि नेहरू ने यह सुनिश्चित किया था कि पहली टीम वाम उदारवाद और अंतरराष्ट्रीयतावाद से वैचारिक रूप से जुड़ी हुई हो, बाद के उनके चुनाव भी बहुत उत्कृष्ट थे- तारा चंद (इतिहासकार), जयरामदास दौलतराम, मोहन लाल सक्सेना व आर.आर. दिवाकर (सामाजिक कार्यकर्ता)। नेहरू शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों को पसंद करते थे और इंदिरा ने भी यही राह अपनाई, पर वे वैसे लोगों को तरजीह देती थीं, जो उनके प्रति निष्ठावान भी हों और उनके राजनीतिक दर्शन को भी आगे बढ़ाएं, जैसे कवि हरिवंश राय बच्चन, वामपंथी इतिहासकार नुरूल हसन, उदारवादी शिक्षाविद रशीदुद्दीन खान व वीपी दत्त और कलाकार हबीब तनवीर।

राजीव गांधी ने सलीम अली (पक्षी विज्ञानी), अमृता प्रीतम (साहित्यकार), इला भट्ट (सामाजिक कार्यकर्ता), एमएफ हुसैन (कलाकार), आरके नारायण (साहित्यकार) और रवि शंकर (संगीतज्ञ) को मनोनीत किया था। नरसिम्हा राव वैजयंती माला समेत केवल चार मनोनयन कर सके। इससे आईके गुजराल को लाभ हुआ, जिन्होंने एक ही दिन में आठ लोगों को मनोनीत किया, जिनमें शबाना आजमी भी थीं।

वाजपेयी ने भी हर क्षेत्र के सेलिब्रिटी लोगों के मनोनयन के सिद्धांत का अनुकरण किया, पर साथ ही जाति या क्षेत्र के आधार पर असफल या सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़े नेताओं को भी मनोनीत किया। साल 1998 से 2003 के बीच मनोनीत 11 सदस्यों में तीन-लता मंगेशकर, दारा सिंह और हेमा मालिनी-बॉलीवुड से थे। वाजपेयी ने तीन वैज्ञानिकों, राजनीतिक लाभ के लिए अर्थशास्त्री बिमल जालान, प्रख्यात न्यायविद फली नरीमन तथा तीन नेताओं को चुना।

इनमें से कुछ ने बहसों में बड़ा योगदान दिया, पर विधायिका के जटिल काम से लगभग अलग ही रहे। मनमोहन सिंह ने भी नाम और प्रसिद्धि के आधार पर चयन किया। उनकी सरकार ने लगभग 15 लोगों को मनोनीत किया, जिनमें तीन फिल्म जगत से थे- जावेद अख्तर, श्याम बेनेगल और रेखा। रेखा का चयन एक रहस्य है, क्योंकि उन्होंने किसी भी विषय पर शायद ही कभी एक पंक्ति बोला हो।

मनमोहन के अन्य चयन में दो मीडिया पेशेवर, दो कॉर्पोरेट नेता- अशोक गांगुली और अनु आगा, हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन और अर्थशास्त्री सी रंगराजन का नाम शामिल है। दबाव में उन्होंने गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान कपिला वात्स्यायन और मणिशंकर अय्यर को भी जगह दी। मशहूर वकील राम जेठमलानी को लालूप्रसाद के दबाव के कारण मनोनीत करना पड़ा था।

अपने पहले कार्यकाल में मोदी ने पार्टी एवं बाहर के विभिन्न समूहों व व्यक्तियों के प्रायोजित लोगों को मनोनीत किया, पर बाद में वे निष्ठा और उपयोगिता को देखने लगे। अभी तक उन्होंने लगभग 20 मनोनयन किया है। उनकी सेलिब्रिटी पसंद के वैचारिक और राजनीतिक आयाम हैं- पश्चिम बंगाल से रूपा गांगुली, केरल से सुरेश गोपी एवं पीटी उषा, तमिलनाडु से इलैयाराजा और पूर्वोत्तर से मेरी कॉम।

मोदी ने राजनीतिक शोरगुल को अनदेखा कर पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को मनोनीत किया। अभी तक इनकी बहस की प्रतिभा नहीं देखी गई है। इलैयाराजा शायद ही कभी दिखते हैं. गोगोई की उपस्थिति 40 प्रतिशत है। पहले सेलिब्रिटी लोगों के प्रभाव का उपयोग नेहरूवादी और कांग्रेसी विचार को बढ़ाने के लिए होता था, पर वर्तमान में वे मिशन मोदी को बढ़ावा देने में विफल रहे हैं। उन्हें चुनाव में लड़ा कर ही मंत्री बनाया जाना चाहिए।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि मनोनीत सदस्यों में से अधिकतर ने देश का गौरव बढ़ाया है लेकिन अशोक विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि बीते 12 वर्षों में मनोनीत सदस्य ज्यादातर अनुपस्थित रहे हैं। सचिन तेंदुलकर की उपस्थिति 22 और दारा सिंह की 57 प्रतिशत रही थी। अधिकतर सदस्यों ने विकास कार्यों के लिए आवंटित धन को भी खर्च नहीं किया। समय आ गया है कि मनोनयन की अवधारणा की समीक्षा हो। सदन के कामकाज में भागीदारी ही उच्च सदन में मनोनयन का ध्येय होना चाहिए।

Web Title: Blog: Relevance of nomination to Rajya Sabha

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे