अच्छे कामों के लिए किस तरह से अत्याधुनिक तकनीक का फायदा उठाया जा सकता है, ओडिशा के नवापाड़ा जिले के भलेश्वर पंचायत की सरपंच सरोज अग्रवाल ने इसकी मिसाल पेश की है. अपने पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव भुटकपाड़ा में रहने वाले दिव्यांग हेताराम सतनामी को अपनी सरकारी पेंशन लेने के लिए हर महीने घने जंगल से होकर दो किमी की बेहद तकलीफदेह यात्रा करनी पड़ती थी.
सरपंच ने इसके लिए ऑनलाइन एक ड्रोन खरीदा और उसकी मदद से हेताराम तक पेंशन पहुंचाई. शुरुआत में ड्रोन का उपयोग सैन्य दृष्टि से ही किया जाता था लेकिन अब यह जीवन के हर क्षेत्र को अपने वजूद से आसान बना रहा है, चाहे वह स्वास्थ्य क्षेत्र हो, फिल्म निर्माण हो, फोटोग्राफी हो या अन्य कोई क्षेत्र. ड्रोन की मदद से आज औद्योगिक क्षेत्र में तो अनगिनत काम हो ही रहे हैं, खेती-बाड़ी में भी यह बहुत मददगार साबित हो रहा है.
फसलों में रासायनिक खाद-कीटनाशकों के छिड़काव और आवारा पशुओं से फसल की रक्षा से लेकर, कीड़े-मकोड़ों से फसल को बचाने, खरपतवार पर निगरानी रखने जैसे अनेक कामों में ड्रोन आज किसानों की मदद कर रहा है. सरकार इसके लिए सब्सिडी भी दे रही है. लेकिन हकीकत यही है कि चुनिंदा किसान ही आज इस सुविधा का लाभ ले पा रहे हैं. इसका कारण आर्थिक अभाव के बजाय जानकारी जा जागरूकता का अभाव ज्यादा है. ग्रामपंचायतों को सरकार की ओर से जो फंड मिलता है, उससे वे चाहें तो आधुनिक तकनीकी का लाभ ग्रामीणों तक पहुंचा सकती हैं.
भलेश्वर पंचायत की सरपंच सरोज अग्रवाल द्वारा उठाया गया कदम इसी का उदाहरण है. जरूरत सिर्फ इस बारे में जागरूकता फैलाने की है. ऐसा नहीं कि ड्रोन का दुरुपयोग कम हो रहा है. सीमा पर पाकिस्तान की ओर से अवैध हथियार और ड्रग्स लेकर आने वाले ड्रोनों को हमारे जवानों ने सैकड़ों बार पकड़ा है, नष्ट किया है. युद्धों में तबाही मचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है. असामाजिक तत्व समाज विरोधी कार्यों के लिए इसकी मदद ले रहे हैं. लेकिन किसी भी तकनीक का सदुपयोग-दुरुपयोग करना हमारे हाथों में ही है.
इसलिए हमें समाज की भलाई के लिए उसका अधिक से अधिक सदुपयोग करना चाहिए. भलेश्वर पंचायत की सरपंच से जो रास्ता दिखाया है, उसका पूरे देश को अनुसरण करना चाहिए और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर आम जनता की दिक्कतों को दूर करना चाहिए.