ब्लॉग: मुंबई का सम्मेलन बताएगा विपक्षी गठबंधन की दिशा

By राजकुमार सिंह | Published: August 31, 2023 08:35 AM2023-08-31T08:35:48+5:302023-08-31T08:42:53+5:30

विपक्षी नेताओं के पटना मंथन के बाद बेंगलुरु में बने 'इंडिया' गठबंधन की दिशा अब मुंबई में तय होने की उम्मीद है।

Blog: Mumbai conference will tell the direction of opposition alliance | ब्लॉग: मुंबई का सम्मेलन बताएगा विपक्षी गठबंधन की दिशा

फाइल फोटो

Highlightsपटना मंथन के बाद बेंगलुरु में बने 'इंडिया' गठबंधन की दिशा अब मुंबई में तय होने की उम्मीद है26 दलों के विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को हो रही है बैठकयह तो तय है कि बेंगलुरु बैठक के बाद अब हो रही ‘इंडिया’ की बैठक का राजनीतिक असर होगा

पटना में मंथन के बाद बेंगलुरु में बने विपक्षी गठबंधन की दिशा अब मुंबई बताएगी। 26 दलों के विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) की मुंबई में 31 अगस्त और एक सितंबर को होनेवाली तीसरी बैठक कई कारणों से महत्वपूर्ण है।

बेंगलुरु बैठक के बाद हुए कुछ घटनाक्रम ऐसे हैं, जिनका असर ‘इंडिया’ की राजनीति-रणनीति पर पड़े बिना नहीं रह सकेगा। इस बीच राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हो चुकी है तो दिल्ली से ले कर राजस्थान-छत्तीसगढ़ तक कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनावी तेवर दिखा रहे हैं।

बेंगलुरु बैठक में गठबंधन के नामकरण से लेकर संयोजक तक पर मतभेद की खबरें आई थीं। फिर भी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ नामकरण में सफल रहा। यह अलग बात है कि उसे अदालत में चुनौती दी जा चुकी है। अब मुंबई में विपक्षी क्षत्रपों को न सिर्फ संयोजक के चयन से जूझना होगा, बल्कि बेंगलुरु की घोषणा के मुताबिक 11 सदस्यीय समन्वय समिति भी बनानी होगी।

बेंगलुरु बैठक में विपक्ष के मंच पर 26 दलों के नेता नजर आए थे। मुंबई में यह संख्या बढ़ेगी या घटेगी-देखना दिलचस्प होगा। आखिरकार ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा पाला बदल कर एनडीए में जा चुकी है। चर्चाएं कुछ और छोटे दलों को लेकर भी हैं।

खैर, दलों-नेताओं के पाला बदल का खेल तो ऐन चुनाव तक चल सकता है, लेकिन इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार की अपने बागी भतीजे अजित पवार से मुलाकातों से विपक्षी खेमे में संदेह और सवाल उभरे हैं।

अरविंद केजरीवाल मुंबई बैठक में शामिल तो होंगे, पर पटना और बेंगलुरु की विपक्षी बैठकें भी कांग्रेस-आप के बीच अविश्वास मिटा पाने में नाकाम रही हैं। सीट बंटवारे पर तो टकराव अन्य दलों के बीच भी तय है लेकिन कांग्रेस-आप के बीच शह-मात का खेल ज्यादा बड़ी समस्या है।

शरद पवार और अरविंद केजरीवाल को लेकर विपक्षी खेमे में संदेह और सवालों के रहते हुए मुंबई बैठक में ‘इंडिया’ का लोगो जारी करना बड़ी समस्या न हो, पर संयोजक और 11 सदस्यीय समन्वय समिति की घोषणा बड़ी चुनौती साबित होनेवाला है। इसलिए भी कि संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के नाम अरसे से चर्चा में हैं, पर सांसदी बहाली के बाद राहुल को लेकर कांग्रेसी महत्वाकांक्षाएं फिर से हिलोरें मारने लगी हैं।

फिलहाल गठबंधन राजनीति में सोनिया गांधी के अनुभव के आधार पर कांग्रेस अपना दावा आगे बढ़ा रही है, लेकिन एकसूत्रीय लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के विरुद्ध राहुल गांधी को संयुक्त विपक्ष का चेहरा बनाना ही है।

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