लाइव न्यूज़ :

ब्लॉगः मानसून और अल-नीनो के रिश्तों से कहीं बढ़ी गर्मी, कहीं पड़ी ठंड

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 11, 2023 10:33 IST

भारतीय उपमहा‍द्वीप के ऊपर ईएनएसओ प्रभाव हर जगह एक समान नहीं रहता। ईएनएसओ और मानसून के बीच संबंध वर्ष 1901 से लेकर अब तक एक जैसा नहीं रहा है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ईएनएसओ और मानसून का आपसी संबंध वर्ष 1901 से 1940 के बीच मजबूत होता गया।

Open in App

निशांत सक्सेनाः मानसूनी बारिश और अल-नीनो नाम की समुद्री तरंग में वैसे तो हमेशा गहरा नाता रहा है, मगर भारत के विभिन्‍न क्षेत्रों में पिछली सदी के दौरान इन दोनों के रिश्तों के रंग बदल चुके हैं। इस बात का पता चलता है पुणे स्थित भारतीय उष्‍णदेशीय मौसम विज्ञान संस्‍थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक रोक्‍सी मैथ्‍यू कोल की अगुवाई में हुए एक अध्‍ययन में। साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट में उत्तरी, मध्‍य और दक्षिणी भारत में अल नीनो और मानसून के आपसी रिश्‍तों में उल्‍लेखनीय बदलाव का जिक्र किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जहां दक्षिण भारत में अल नीनो-मानसून संबंध मध्‍यम रूप से मजबूत और स्थिर रहे, वहीं इसी दौरान उत्तर भारत में यह अप्रत्‍याशित रूप से ज्‍यादा मजबूत हो गया। इसके अलावा हाल के दशकों में मध्‍य भारत के क्षेत्रों (कोर मानसून जोन) में यह संबंध उल्‍लेखनीय रूप से कमजोर और अस्तित्‍वहीन हो गया है।

भारतीय मानसून में समय के साथ उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। मानसून के साल-दर-साल उतार-चढ़ाव काफी हद तक प्रशांत क्षेत्र में समुद्र के तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव से नियंत्रित होते हैं। प्रशांत महासागर में इन दोलनों पर मध्य-पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में गर्म और ठंडे पानी के चरणों यानी अल नीनो और ला नीना का दबदबा होता है। इन्हें अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन(ईएनएसओ) के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर अल नीनो प्रभाव की वजह से प्रशांत क्षेत्र में बहने वाली ट्रेड विंड्स कमजोर होती हैं। ये हवाएं भारत में नमी से भरी मानसूनी हवाओं से जुड़ी होती हैं। इस तरह यह मानसून को भी धीमा कर देती हैं, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा कम हो जाती है। ऐतिहासिक रूप से, अल नीनो के कम से कम आधे वर्ष मानसून के लिहाज से सूखे थे जहां अखिल भारतीय स्‍तर पर मानसूनी बारिश दीर्घकालिक औसत के 10% से कम है।

भारतीय उपमहा‍द्वीप के ऊपर ईएनएसओ प्रभाव हर जगह एक समान नहीं रहता। ईएनएसओ और मानसून के बीच संबंध वर्ष 1901 से लेकर अब तक एक जैसा नहीं रहा है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ईएनएसओ और मानसून का आपसी संबंध वर्ष 1901 से 1940 के बीच मजबूत होता गया। वर्ष 1941 से 1980 तक यह स्थिर रहा और उसके बाद हाल की अवधि (1981 और उसके बाद) में यह कमजोर हुआ है।

ईएनएसओ और मानसून के संबंधों में यह बदलाव क्षेत्रीय स्तर पर एक समान नहीं है। दक्षिण भारत के क्षेत्र में ईएनएसओ-मानसून संबंधों पर कोई भी उल्लेखनीय बदलाव नजर नहीं आता। वहीं, उत्तर भारत में हाल के दशकों में यह संबंध और मजबूत हो रहा है। इसके विपरीत मध्य भारत में ईएनएसओ और वर्षा का संबंध हाल के वर्षों में बहुत कमजोर हुआ है।

टॅग्स :मौसमभारतीय मौसम विज्ञान विभाग
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारसाल 2025 में 21361 अंतरराष्ट्रीय और 10.47 लाख से ज्‍यादा घरेलू पर्यटक पहुंचे, कुल पर्यटकों की संख्या 10,68,811, देखिए 12 माह रिपोर्ट कार्ड

भारतकश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

भारतWeather Report 20 December: मौसम विभाग ने इन राज्यों में घने कोहरे के लिए रेड और येलो अलर्ट जारी किया

स्वास्थ्यस्ट्रोक, हृदय, श्वसन, अल्जाइमर और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में तेजी से वृद्धि?, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, हर पल इस प्रकोप का असर?

कारोबारदिल्ली प्रदूषण नियंत्रणः 14 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच 1,56,993 चालान, प्रत्येक पर 10000 रुपये का जुर्माना

भारत अधिक खबरें

भारतभारत रत्न चौधरी चरण सिंह जयंतीः किसानों की बुलंद आवाज थे चौधरी चरण सिंह

भारतकफ सीरप मामले में सीबीआई जांच नहीं कराएगी योगी सरकार, मुख्यमंत्री ने कहा - अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा

भारतगोवा जिला पंचायत चुनावः 50 में से 30 से अधिक सीट पर जीते भाजपा-एमजीपी, कांग्रेस 10, आम आदमी पार्टी तथा रिवोल्यूश्नरी गोअन्स पार्टी को 1-1 सीट

भारतलोनावला नगर परिषदः सड़क किनारे फल बेचने वालीं भाग्यश्री जगताप ने मारी बाजी, बीजेपी प्रत्याशी को 608 वोट से हराया

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोशल मीडिया ‘इंस्टाग्राम’ पर मिली धमकी, पुलिस ने दर्ज की प्राथमिकी, जुटी जांच में