वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: पाकिस्तान के दिखावटी तेवर
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 23, 2019 03:50 PM2019-02-23T15:50:13+5:302019-02-23T15:50:13+5:30
आतंकवाद पर पाकिस्तान की सरकार आजकल दिखावटी दंगल में व्यस्त है. वह अपनी जनता को यह बताने की कोशिश कर रही है
आतंकवाद पर पाकिस्तान की सरकार आजकल दिखावटी दंगल में व्यस्त है. वह अपनी जनता को यह बताने की कोशिश कर रही है कि वह आतंकवाद को खत्म करके रहेगी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्नी इमरान खान यह कहने पर अड़े हुए हैं कि उनका या उनकी सरकार का आतंकी गतिविधियों से कुछ लेना-देना नहीं है और उन्होंने अब फिर से हाफिज सईद के संगठनों- जमात-उद-दावा और फलाहे-इंसानियत पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध की घोषणा पिछले साल फरवरी में एक अध्यादेश के जरिए हुई थी. अब उस अध्यादेश की अवधि समाप्त होने पर उसे दुबारा लागू किया गया है.
यहां सवाल यह उठता है कि इन प्रतिबंधों का महत्व क्या है? ये संगठन और इनके सरगना पाकिस्तान में अपना काम खुलेआम करते हैं और सरकारें उनकी अनदेखी करती रहती हैं. किसी की हिम्मत नहीं पड़ती कि वह इनके खिलाफ बोले. सरकार व फौज का अदृश्य वरद-हस्त इनके सिर पर रहता है.
यदि अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण इन संगठनों के साथ कुछ सख्ती बरती जाती है तो ये तुरंत अपना नाम बदलकर काम करने लगते हैं. आश्चर्य यह है कि पाकिस्तानी सरकार ने जमात-उद-दावा पर तो प्रतिबंध लगाया लेकिन जैश-ए-मोहम्मद के बारे में वह मौन क्यों है? क्या उसे पता नहीं कि सुरक्षा परिषद की चीन समेत पांचों महाशक्तियों ने पुलवामा हत्याकांड पर अपना रोष जाहिर किया है और पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी कड़ी भर्त्सना की है? असलियत तो यह है कि पाकिस्तानी फौज जब तक भारत-विरोधी आतंकियों का सफाया करने का दृढ़ संकल्प नहीं लेगी, इमरान या नवाज कुछ नहीं कर सकते. उनकी खुद की जीवन-लीला फौज पर निर्भर है. वे आतंक का जबानी विरोध इसलिए करते हैं कि महाशक्तियां पाक पर आर्थिक प्रतिबंध न लगा दें.