ब्लॉग: जन्म से जुड़े भारत-बांग्लादेश की साझा सफर के पचास साल

By शोभना जैन | Updated: December 18, 2021 15:06 IST2021-12-18T14:59:21+5:302021-12-18T15:06:13+5:30

भारत-बांग्लादेश संबंधों की बात करें तो दोनों के रिश्ते खास तौर पर बीते डेढ़ दशक में निरंतर मजबूत हुए हैं. फिलहाल भारत-बांग्लादेश संबंध काफी अच्छे दौर में हैं, यह सच है कि संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं.

Bangladesh liberation story and how India journey with Bangladesh in development | ब्लॉग: जन्म से जुड़े भारत-बांग्लादेश की साझा सफर के पचास साल

ब्लॉग: जन्म से जुड़े भारत-बांग्लादेश की साझा सफर के पचास साल

16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक दोपहर...पाकिस्तान ने अपने ही एक हिस्से, तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर जिस तरह से दमनचक्र चला रखा था, उस दमनचक्र के खिलाफ वहां हो रहे राजनैतिक संघर्ष के बाद क्षेत्र के लोगों को मानवीय मदद देने के लिए आखिरकार भारत ने अपने जांबाज सैनिकों को भेजा, उनके अदम्य शौर्य पराक्रम के सक्रिय सहयोग और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनकी टीम की पैनी प्रशासकीय दक्षता से भरे फैसले से पाकिस्तान के शिकंजे से तब का पूर्वी पाकिस्तान मुक्त हुआ और दुनिया के नक्शे पर एक नया देश बांग्लादेश जन्मा. 

निश्चित तौर पर विजय पर्व का यह दिन कितने ही वीर जवानों के पराक्रम और शहादत को दोनों देशों द्वारा नमन किए जाने का दिन है. ये सब सफे अब गौरवपूर्ण ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा हैं. निश्चय ही उन वीरों की शहादत, तत्कालीन सैन्य जनरलों, नीतिकारों और श्रीमती गांधी की सामूहिक टीम के बीच आपसी भरोसे की साझीदारी और रणनीतिक कौशल से पाकिस्तान के दमनचक्र से मुक्त होकर जो देश जन्मा उसकी इन पचास वर्षो की यात्र, दमन चक्र  से मुक्त होकर एक स्वतंत्र देश बनने की छाटपटाहट के बाद एक प्रगतिशील देश के रूप में विकसित होने की अवधारणा पर पूरी उतरी प्रतीत होती है. 

बांग्लादेश के उदय 50वीं सालगिरह और भारत-बांग्लादेश संबंधों की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर ढाका में आयोजित जश्न में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए. राष्ट्रपति कोविंद ने इस मौके पर दोनों देशों की तरफ से कमोबेश समान व्यापक जनभावनाओं को स्वर देते हुए कहा ‘भारत के लिए यह सम्मान की बात है कि वह बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का हिस्सा रहा है, दोनों के बीच 50 बरस पहले साझी भाषा, भाईचारा, धर्म और साझी सांस्कृतिक विरासत और आपसी सम्मान की भावना से एक खास रिश्ता शुरू हुआ.’ 

'पड़ोसी सबसे पहले’ की भारत की विदेश नीति में बांग्लादेश का एक खास स्थान है. भारत की बांग्लादेश के साथ विकास संबंधी मुद्दों को लेकर अत्याधिक व्यापक साझीदारी है साथ ही दोनों देशों के बीच इतनी परिपक्वता है कि अत्याधिक जटिल समस्याओं से भी निबट सकते हैं.

गौरतलब है कि बांग्लादेश की मुक्ति समारोह की पचासवीं सालगिरह और बांग्लादेश के जनक बंग बंधु मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी यानी ‘मुजीव वर्षो’ के वर्षर्पयत  समारोह  में गत मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि बतौर आमंत्रित थे. बाद में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी मैत्री दिवस के समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व किया.  

दरअसल मुक्ति के बाद से बांग्लादेश की पचास साल की अब तक की यात्र सफलता की यात्र रही है. वर्ष 1971 में जहां उसकी प्रति व्यक्ति औसत आय पाकिस्तान की तुलना में  61  प्रतिशत कम थी, वहीं अब वह उससे 62 प्रतिशत ज्यादा हो गई है. विदेशी मुद्रा भंडार लगभग दुगना हुआ है.  सबसे कम विकसित देश की श्रेणी से निकल कर वह जिस तेजी से विकासशील देशों की श्रेणी में आ गया है, उससे वहां के लोगों के जीवन स्तर में खासा बदलाव आ गया है. 

भारत हमेशा से बांग्लादेश के साथ सहयात्रा में साथ रहा है. इसकी विकास यात्र में सहयोगी रहा है.  बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक में तीव्र गति से बढ़ी है.

भारत-बांग्लादेश संबंधों की बात करें तो दोनों के रिश्ते  खास तौर पर बीते डेढ़ दशक में निरंतर मजबूत हुए हैं. फिलहाल भारत-बांग्लादेश संबंध काफी अच्छे दौर में हैं, यह सच है कि संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं. अनेक विषम मुद्दों पर आपसी सहमति कायम होने के बावजूद तीस्ता नदी जल बंटवारे जैसे कुछ अनसुलझे मुद्दे हैं. 

हाल के वर्षो में बांग्लादेश में जिहादी आतंकवाद एक बड़ी चुनौती रहा है जिसे बाहरी ताकतें शह देती रही हैं, और ये तत्व हमेशा भारत के खिलाफ सक्रिय रहे हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि हसीना सरकार इनसे सख्ती से निबटती रही हैं. विगत दिनों भारत में कुछ धार्मिक   कट्टरपंथियों द्वारा धार्मिक भावनाएं भड़काए जाने के जबाव में बांग्लादेश में भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण कार्यवाही के लिए हमेशा सक्रिय रहने वाले इस्लामी कट्टरपंथी ताकतों के भारत विरोधी गतिविधियों को दोनों ही पक्षों ने तूल नहीं दिया. 

दोनों ही देशों की सरकारें आपसी विश्वास और सहयोग से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करती रही हैं, दोनों के बीच अनेक नए क्षेत्रों में सहयोग  बढ़ रहा है, साथ ही दोनों एक-दूसरे के सरोकारों, चिंताओं को लेकर भी सजग हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि साझे अतीत से जुड़ी देशों की अपनी-अपनी यात्रओं के साथ सह यात्र एक और ऊंचे धरातल पर पहुंचेगी.

Web Title: Bangladesh liberation story and how India journey with Bangladesh in development

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