अश्विनी महाजन का ब्लॉग: भारत का प्रयास बनेगा मिसाल!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 1, 2020 08:06 IST2020-04-01T08:06:26+5:302020-04-01T08:06:26+5:30
हालांकि अधिकांश तौर पर लॉकडाउन सफल है, लेकिन प्रवासी मजदूरों का अपने गांवों में पलायन इस लॉकडाउन की सबसे कमजोर कड़ी बन चुकी है. केंद्र और राज्यों की सरकारें, पुलिस एवं नागरिक प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन एवं संस्थाएं इस समस्या के समाधान और कुल मिलाकर लॉकडाउन को सफल बनाने में जुट चुकी हैं. इन सब प्रयासों के चलते भारत दुनिया में इस महामारी के प्रकोप को रोकने की मुहिम में अभी तक सफल दिखाई देता है.

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
आज पूरी दुनिया एक महामारी के दौर से गुजर रही है. 1918 के स्पेनिश फ्लू के एक सदी के पश्चात दुनिया एक ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी हुई है, जहां अमेरिका, इटली, फ्रांस जर्मनी, कनाडा जैसे विकसित देशों के लोग भी लगभग असहाय स्थिति में पहुंच चुके हैं. यह रोग इतनी तेजी से फैलता है जैसा शायद पहले कभी नहीं देखा गया. जहां भी इस रोग के संक्रमण को रोकने का प्रभावी प्रयास नहीं हुआ, इसका फैलाव तेजी से हुआ है.
सर्वविदित है कि मानव शरीर की विशेषता है कि उसमें रोग के विरुद्घ लड़ने की क्षमता होती है या रोग होने पर यह प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद सांख्यिकी विशेषज्ञों के मॉडल को चुनौती देते हुए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत मॉडल में कहा गया है कि वास्तव में महामारी अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. इस मॉडल के अनुसार यह संक्रमण ब्रिटेन की आधी जनसंख्या तक पहुंच चुका है, लेकिन अधिकांश लोगों में इसका कोई लक्षण नहीं है अथवा अत्यंत थोड़े लक्षण हैं. इसलिए इस बीमारी से डरने की कोई जरूरत नहीं है.
अध्ययन हालांकि लॉकडाउन का समर्थन भी करता है ताकि जो भी थोड़ा बहुत संक्रमण बचा हो, वह भी पूरी तरह से नष्ट हो जाए. ऑक्सफोर्ड का अध्ययन हालांकि ब्रिटेन के लिए है लेकिन यह भारत पर और अधिक लागू होता है.
चीन, अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मनी समेत कई देशों में इस बीमारी के भीषण प्रकोप के चलते वहां की अति विकसित स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी चरमराई सी दिखाई देती हैं. भारी संख्या में मौतों की भयावहता को देखने से ही विश्व घबराया हुआ है. ऐसे में भारत जैसे कम संसाधन संपन्न देश में, जहां विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या रहती है, यह महामारी कितनी तबाही मचा सकती है इसकी कल्पना भी भयभीत करने वाली है. पूरे देश को लॉकडाउन करने का एक कठिन निर्णय देश ने लिया है.
हालांकि अधिकांश तौर पर लॉकडाउन सफल है, लेकिन प्रवासी मजदूरों का अपने गांवों में पलायन इस लॉकडाउन की सबसे कमजोर कड़ी बन चुकी है. केंद्र और राज्यों की सरकारें, पुलिस एवं नागरिक प्रशासन, स्वयंसेवी संगठन एवं संस्थाएं इस समस्या के समाधान और कुल मिलाकर लॉकडाउन को सफल बनाने में जुट चुकी हैं. इन सब प्रयासों के चलते भारत दुनिया में इस महामारी के प्रकोप को रोकने की मुहिम में अभी तक सफल दिखाई देता है. भारत का यह प्रयास दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक सिद्ध हो सकता है.