ब्लॉगः भाजपा-विरोधी राष्ट्रमंच की नाकामी, यशवंत सिन्हा ने पहल की, शरद पवार भी शामिल
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 24, 2021 19:21 IST2021-06-24T19:20:19+5:302021-06-24T19:21:47+5:30

क्या वह इस लायक भी नहीं कि राष्ट्रमंच के नेताओं को वह अपने कुछ रचनात्मक सुझाव दे सके?
आठ विपक्षी दलों के नेता शरद पवार के आवास पर एकत्रित हुए और उन्होंने देश के समक्ष मौजूद कई मुद्दों पर चर्चा की.
तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने पहल की और अपने ‘राष्ट्रमंच’ की ओर से देश के राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई.
विपक्षी दलों की इस बैठक की हफ्ते भर से बड़ी चर्चा हो रही थी. कहा जा रहा था कि सारे विपक्षी दलों का जबर्दस्त गठबंधन खड़ा किया जाएगा, जो अगले आम चुनाव में भाजपा को चित कर देगा. लेकिन हुआ क्या? खोदा पहाड़ और उसमें से चुहिया भी नहीं निकली.
बैठक के बाद इसके प्रवक्ता ने सबसे बड़ी बात यह कही कि यह बैठक उन्होंने वैकल्पिक सरकार बनाने के हिसाब से नहीं बुलाई थी और इसका लक्ष्य भाजपा सरकार का विरोध करना नहीं है. यदि ऐसा ही था तो फिर इसे क्यों बुलाया गया था? इसमें सभी छोटी-मोटी पार्टियों को तो बुलाया गया था लेकिन भाजपा को आयोजक लोग कैसे भूल गए? भाजपा को इसमें क्यों नहीं बुलाया गया?
देश की स्थिति सुधारने में क्या उसका कोई योगदान नहीं हो सकता है? क्या वह इस लायक भी नहीं कि राष्ट्रमंच के नेताओं को वह अपने कुछ रचनात्मक सुझाव दे सके? देश के इस सत्तारूढ़ दल की उपेक्षा तो स्वाभाविक थी ही लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य यह रहा कि इस जमावड़े में देश का सबसे प्रमुख विरोधी दल भी शामिल नहीं हुआ.
कांग्रेस के पांच नेताओं को निमंत्नण भेजे गए लेकिन पांचों ने ही लिख दिया कि वे अति व्यस्त हैं. उनसे पूछिए कि वे काहे में व्यस्त थे? नहीं, वे जानते थे कि उस बैठक में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है. देश की दोनों प्रमुख अखिल भारतीय पार्टियों का कोई मामूली नेता भी इस बैठक में नहीं था.
जिन आठ पार्टियों के नेता इसमें शामिल हुए, वे प्रांतों में सिकुड़ी हुई हैं और वे नेता भी कोई बड़े नेता नहीं माने जाते, हालांकि उनमें कई बड़े समझदार लोग भी हैं. दूसरे शब्दों में राजनीतिक दृष्टि से यह समागम महत्वहीन बनकर रह गया. लेकिन इसमें संतोष का विषय यही है कि इस बैठक में लगभग आधा दर्जन ऐसे बुद्धिजीवी उपस्थित थे, जिनकी मुखरता, स्पष्टवादिता सुविख्यात है.
इन सज्जनों का अपना बौद्धिक और नैतिक महत्व है लेकिन इनकी बड़ी खूबी यह है कि ये पार्षद का चुनाव भी अपने दम पर नहीं जीत सकते. दूसरे शब्दों में वैकल्पिक राजनीतिक गठबंधन खड़ा करने की दृष्टि से यह प्रकल्प नाकाम सिद्ध हो गया है. वैकल्पिक प्रकल्प तभी सफल हो सकता है, जबकि उसके पास भाजपा से बेहतर घोषणा पत्न हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उच्चतर छवि का कोई नेता हो. इन दोनों के अभाव में ऐसे जबानी जमा-खर्च होते रहेंगे और भाजपा दनदनाती रहेगी.
पवार के आवास पर बैठक में शामिल होने वाले विपक्षी दल के नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, सपा के घनश्याम तिवारी, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी, आप के सुशील गुप्ता, भाकपा के बिनॉय विश्वम, माकपा के निलोत्पल बासु और टीएमसी के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा समेत अन्य नेता शामिल थे.
पूर्व कांग्रेस नेता संजय झा और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व नेता पवन वर्मा ने भी बैठक में भाग लिया. नेताओं के अलावा कई प्रतिष्ठित हस्तियों जैसे कि जावेद अख्तर, पूर्व राजदूत के सी सिंह और न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) ए पी शाह भी मंगलवार को हुई बैठक में शामिल हुए.