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भारत आखिर क्यों बने किसी का मोहरा? वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: March 16, 2021 20:55 IST

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने अपना ध्यान केंद्रित किया कोरोना महामारी से लड़ने पर.

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ठळक मुद्देचीन के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला जबकि माना जा रहा है कि यह चौगुटा बना ही है.चारों विदेश मंत्रियों का कोई संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो सका.भारत नहीं चाहता था कि यह चौगुटा चीन-विरोधी मोर्चा बन जाए.

भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया- इन चार राष्ट्रों के चौगुटे का जो पहला शिखर-सम्मेलन हुआ, उसमें सबसे ध्यान देनेवाली बात यह हुई कि किसी भी नेता ने चीन के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला जबकि माना जा रहा है कि यह चौगुटा बना ही है.

चीन को टक्कर देने के लिए. इसका नाम है- क्वाड यानी ‘क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ अर्थात् सामरिक समीकरण ही इसका लक्ष्य है लेकिन इसमें भाग ले रहे भारत के प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्नी स्कॉट मोरिसन ने अपना ध्यान केंद्रित किया कोरोना महामारी से लड़ने पर.

पिछले माह जब इसके विदेश मंत्रियों का सम्मेलन हुआ था, तब भी चाहे अमेरिकी विदेश मंत्नी ने चीन के विरुद्ध जब-तब कुछ बयान दिए थे लेकिन चारों विदेश मंत्रियों का कोई संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो सका, क्योंकि भारत नहीं चाहता था कि यह चौगुटा चीन-विरोधी मोर्चा बन जाए. भारत आज तक किसी भी सैनिक गुट में शामिल नहीं हुआ.

चीन ने इस चौगुटे को पहले ही ‘एशियाई नाटो’ घोषित किया हुआ है. इसमें शक नहीं है कि पिछले 10-15 साल में चीन की चुनौती से अमेरिका प्रकंपित है और इसीलिए उसने प्रशांत-क्षेत्न को भारत-प्रशांत क्षेत्न (इंडो-पैसिफिक) घोषित किया लेकिन भारत के नेता इतने कच्चे नहीं हैं कि वे अमेरिकी गोली को निगल जाएंगे. वे अमेरिका की खातिर चीन से दुश्मनी नहीं बांधेंगे.

खुद बाइडेन का अमेरिका चीन के साथ टक्कर जरूर ले रहा है लेकिन वह ट्रम्प की तरह बेलगाम नहीं है. इसके अलावा उसे पता है कि जापान और ऑस्ट्रेलिया का चीन सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. अमेरिका के यूरोपीय साथी फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्थाओं का चीन एक बड़ा सहारा है.

इसीलिए इस शिखर सम्मेलन के संयुक्त वक्तव्य में चारों देशों ने कहा है कि यह चौगुटा समान विचारवाले देशों का लचीला संगठन है इसमें कुछ नए देश भी जुड़ सकते हैं. यह ठीक है कि प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्न में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने अपने-अपने सामरिक अड्डे बना रखे हैं और चीन व उनके हितों में सामरिक प्रतिस्पर्धा भी है लेकिन भारत किसी भी राष्ट्र या गुट का मोहरा क्यों बनेगा?

भारत और चीन के बीच सीमांत को लेकर आजकल तनाव जरूर बना हुआ है लेकिन उस पर वार्ता चल रही है. इसके अलावा भारत और चीन ‘ब्रिक्स’ और ‘एससीओ’, इन दो संगठनों के सहभागी सदस्य भी हैं. चीन से आपस में निपटने में भारत सक्षम है. इसलिए भारत इस चौगुटे का फायदा उठाते हुए भी किसी का मोहरा क्यों बनेगा?

टॅग्स :नरेंद्र मोदीजो बाइडनऑस्ट्रेलियाअमेरिकाजापान
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