जब दवा ही जहर बन जाए तो कोई कैसे बचे !

By प्रमोद भार्गव | Updated: October 7, 2025 07:14 IST2025-10-07T07:13:25+5:302025-10-07T07:14:03+5:30

नकली दवा बनाने वालों से लेकर बेचने वालों तक को दस साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था.

When the medicine itself becomes poison how can anyone survive | जब दवा ही जहर बन जाए तो कोई कैसे बचे !

जब दवा ही जहर बन जाए तो कोई कैसे बचे !

मध्य प्रदेश और राजस्थान में सर्दी-खांसी की दवा के सेवन से 16 बच्चों की मौत हो गई. इन बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप स्वास्थ्य लाभ के लिए दिया गया था, किंतु वह मौत का कारण बन गया.  इसकी गुणवत्ता संदेह के दायरे में है.  मध्य प्रदेश के खाद्य एवं दवा नियंत्रक दिनेश कुमार मौर्य ने कहा है कि संदिग्ध सिरप को परीक्षण के लिए 1 अक्तूबर को तमिलनाडु भेजा था. इसकी रिपोर्ट तीसरे दिन मिल गई थी.  किंतु मध्य प्रदेश  में 29 सितंबर से जांच जारी है, जो अभी तक पूरी नहीं हुई. जबकि इसी बीच स्वास्थ्य विभाग का कार्य देख रहे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने सार्वजनिक बयान दे दिया कि सिरप के नौ नमूनों में हानिकारक तत्व नहीं मिले हैं.

 यह सिरप श्रीसन कंपनी बनाती है, जिसकी उत्पादन इकाई तमिलनाडु के कांचीपुरम में है. मप्र सरकार के कहने पर तमिलनाडु सरकार के औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी की उत्पादन इकाई से नमूने लेकर जांच की तो एसआर-13 बैच में हानिकारक रसायन डायथिलीन ग्लायकल (डीईजी) पाया गया. दवा में इसकी निर्धारित मात्रा 0.1 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि इसका प्रतिशत जांच में बहुत अधिक पाया गया.

इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश सरकार सक्रिय हुई और इसके उपयोग एवं विक्रय पर रोक लगा दी.  सतर्कता बरतते हुए कई राज्य सरकारों ने इस दवा को प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्र सरकार ने भी सलाह दी है कि दो वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सिरप नहीं पिलाया जाए. इस पूरी प्रक्रिया से लगता है कि प्रदेश में ही नहीं देश में भी निगरानी तंत्र कमजोर है.

यूपीए सरकार ने जब नकली दवाओं से छुटकारे के नजरिये से औषधीय एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम बनाया था तब यह मान लिया गया था कि अब नकली दवाओं पर कमोबेश प्रतिबंध लग जाएगा. क्योंकि इस कानून के तहत न केवल इस धंधे को गैरजमानती बना दिया गया था, बल्कि नकली दवा बनाने वालों से लेकर बेचने वालों तक को दस साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था.

 लेकिन देखने में आया है कि दवा दुकानों पर लगातार नकली दवाओं के भंडार बरामद हो रहे हैं और लोग बेमौत मारे जा रहे हैं. साफ है, नकली दवा कारोबार न केवल बेखौफ जारी है बल्कि इसमें बेइंतहा इजाफा हो रहा है. यही नहीं, ये दवाएं सरकारी अस्पतालों के माध्यम से भी धड़ल्ले से उपयोग में लाई जा रही हैं.  इससे जाहिर होता है कि सरकारी चिकित्सा-तंत्र का एक बड़ा हिस्सा इस कारोबार को ताकत दे रहा है.

Web Title: When the medicine itself becomes poison how can anyone survive

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