Weather Update: मार्च 2022 पिछले 120 सालों में सबसे गर्म माह, हीटवेव की पूर्व चेतावनी की पुख्ता व्यवस्था बहुत जरूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 11, 2022 18:20 IST2022-04-11T18:18:44+5:302022-04-11T18:20:05+5:30
Weather Update: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के निदेशक डॉक्टर दिलीप मावलंकर का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सीधे धूप में काम कर रहा है और तापमान 4-5 डिग्री बढ़ जाता है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा और उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है.

भारत में हम एक दूसरे से जुड़े खतरों के मिश्रण से जूझ रहे हैं. इनमें अत्यधिक गर्मी, वायु प्रदूषण, भीषण सूखा और बाढ़ शामिल हैं.
Weather Update: साल 2022 का मार्च पिछले 120 सालों में सबसे गर्म मार्च का महीना रहा. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन को लेकर लांसेट काउंट डाउन रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में 65 वर्ष या उससे अधिक के 46000 से ज्यादा लोगों की मौत का संबंध अत्यधिक तापमान से था.
इन तथ्यों के चलते विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से गर्मी बढ़ रही है उसके मद्देनजर हीटवेव की पूर्व चेतावनी की पुख्ता व्यवस्था बहुत जरूरी है और इसे अधिक व्यापक रूप देते हुए सभी नगरों तक ले जाया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (एनआरडीसी) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष बपना का कहना है कि दुनिया का लक्ष्य वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है लेकिन इस वक्त हम 2.7 डिग्री सेल्सियस वैश्विक तापमान वृद्धि की तरफ बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में हम एक दूसरे से जुड़े खतरों के मिश्रण से जूझ रहे हैं. इनमें अत्यधिक गर्मी, वायु प्रदूषण, भीषण सूखा और बाढ़ शामिल हैं. एनआरडीसी और अधिक समानतापूर्ण स्वास्थ्य तैयारी को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है. वर्ष 2013 में हमने गांधीनगर में हीट एक्शन प्लान को लागू करने में मदद की.
यह दक्षिण एशिया में अपनी तरह का पहला एक्शन प्लान था. इसमें अर्ली वार्निग सिस्टम और समन्वित प्रतिक्रिया की प्रणालियां शामिल थीं. इस प्लान को देश के बाकी तमाम शहरों में भी लागू किया जाना चाहिए. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय मोहपात्ना देश में रियल टाइम मॉनिटरिंग पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी के मुद्दों का जिक्र करते हुए कहते हैं कि हीटवेव की पूर्व चेतावनी को लेकर हाल के वर्षो में देश में काफी प्रगति हुई है. नगरों और जिला स्तर पर हीट एक्शन प्लान के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 के बाद देश में गर्मी के कारण मौतों की संख्या में कमी आई है.
उन्होंने कहा कि मौसम विभाग बढ़ती गर्मी के बीच हीटवेव की पूर्व चेतावनी को लेकर काफी काम कर रहा है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के निदेशक डॉक्टर दिलीप मावलंकर का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति सीधे धूप में काम कर रहा है और तापमान 4-5 डिग्री बढ़ जाता है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा और उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है.
उस वक्त उसके बचने की उम्मीद सिर्फ 60 प्रतिशत ही रह जाती है. भारत में हीट स्ट्रोक के जितने मामले रिपोर्ट किए जाते हैं, वे सिर्फ ‘टिप ऑफ आइसबर्ग’ ही हैं क्योंकि पश्चिमी देशों के विपरीत भारत में ‘ऑल कॉज डेली मॉर्टेलिटी’ रिपोर्ट नहीं की जाती है. भीषण गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाला दबाव बुजुर्गों, शहरों में रहने वाले लोगों और दिल तथा फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों में रह रहे लोगों तथा कम आमदनी वाले समुदायों के लिए घातक बनता जा रहा है.
गर्मी के कारण जनस्वास्थ्य पर बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारतीय विशेषज्ञ इस खतरे के प्रति पूर्वानुमान, जन जागरूकता और सरकारी प्रतिक्रियाओं को मजबूत करके स्थानीय स्तर पर लचीलेपन को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. तपिश से संबंधित विस्तृत पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी के आधार पर हीट एक्शन प्लान कमजोर आबादी को इस तीव्र खतरे से बचाने के लिए और गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता में सुधार करने में मदद करते हैं.
पिछले कुछ हफ्तों में देश के अनेक हिस्सों में तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ना शुरू हो चुका है. कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से चार से 8 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा महसूस किया गया. आने वाले महीनों में और भी ज्यादा गर्म और खतरनाक स्थितियों के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है. ऐसे में हीटवेव की पूर्व चेतावनी की मजबूत व्यवस्था करना जन स्वास्थ्य के लिहाज से एक आवश्यकता नहीं बल्कि अनिवार्यता बन गई है.