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ब्लॉग: एचएमपीवी संक्रमण से निपटने में हमारी स्वास्थ्य सेवा सक्षम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 7, 2025 06:38 IST

चिकित्सक तथा वैज्ञानिक कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने के लिए तमाम तरह के प्रयोग कर रहे थे,

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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) वायरस को लेकर देश में चिंता पैदा हो गई है. कोविड-19 महामारी से उबरे देश को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. उसकी विभीषिका को महसूस करने के बाद एचएमपीवी वायरस को लेकर चिंता पैदा होना स्वाभाविक है. लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि यह वायरस कोविड-19 की त्रासदी को पुनर्जीवित न कर दे लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों ने नागरिकों को आश्वस्त किया है कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है. यह वायरस संक्रामक जरूर है लेकिन कोविड-19 की तरह घातक नहीं.

कर्नाटक में दो तथा गुजरात में इस वायरस का एक मामला सामने आया है. तीनों मरीज तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं. पीड़ितों में दो नवजात शिशु हैं. इस वायरस में सांस लेने तथा सर्दी-खांसी जैसी दिक्कतें पैदा होती हैं. यह वायरस चीन से पूरी दुनिया में फैल रहा है लेकिन भारत सरकार तथा कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक हमारे देश के लिए यह वायरस नया नहीं है. यह वायरस पहले से मौजूद है और उससे तीन से पांच दिन में मरीज स्वस्थ हो जाता है.

यह जरूर है कि इसने चीन में सिर उठाया और कई देशों के लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. इसके मरीजों की संख्या में एकाएक वृद्धि से यह डर पैदा हो गया कि कहीं फिर से कोविड-19 जैसी भयावह स्थिति तो पैदा नहीं हो जाएगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को स्पष्ट किया कि एचएमपीवी की भारत सहित दुनिया के लगभग सभी मुल्कों में पहले से मौजूदगी है लेकिन हाल के दिनों में इसका तेजी से प्रसार होने से डर पैदा हो रहा है. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि देश में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामलों में कोई असामान्य क्षति नहीं हुई है. वर्ष 2020 से 2022 तक दुनिया ने कोविड-19 महामारी का प्रकोप झेला है.

इस महामारी ने करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. एक दौर ऐसा भी था जब कोविड-19 से मरने वालों की संख्या रोजाना हजारों में होती थी. कोविड-19 की चपेट में आने वाले 70 से 80 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाया करती थी. कोविड-19 का टीका जल्द विकसित करने में वैज्ञानिकों को सफलता मिल गई. दुनिया ने एकजुट होकर कोविड-19 का मुकाबला किया. भारत ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उसने कोविड-19 के टीकों का निर्माण करने के बाद न केवल अपनी जरूरत पूरी की, बल्कि दुनिया के कई देशों को उसका वितरण कर करोड़ों लोगों की जान भी बचाई. आज कोविड-19 का भय खत्म हो चुका है और वह तीन से पांच दिन में ठीक होनेवाला बुखार बनकर रह गया है.

एचएमपीवी से निपटने में भारत सहित पूरी दुनिया सक्षम है. कोविड-19 वायरस नया था, उसके इलाज के तरीकों से डॉक्टर अनजान थे. ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं थी जो कोविड-19 को खत्म कर सके. चिकित्सक तथा वैज्ञानिक कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने के लिए तमाम तरह के प्रयोग कर रहे थे, अलग-अलग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कर रहे थे. वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई और अब कोविड-19 मामूली वायरस बनकर रह गया है. एचएमपीवी के साथ ऐसी बात नहीं है.

डॉक्टरों की नजर में यह एक ऐसा वायरस है जो बहुत आम है और उसका इलाज आसानी से उपलब्ध है. एचएमपीवी वायरस संक्रामक है और वह एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैलता है. हम सावधानी बरत कर इसकी चपेट में आने से बच सकते हैं. मौसम में बदलाव के साथ कुछ विशिष्ट बीमारियां फैलाने वाले वायरस सक्रिय हो जाते हैं और एचएमपीवी वायरस भी उनमें से एक है.

इसने दुनिया को कभी आतंकित नहीं किया और न ही कोविड-19 जैसी तबाही मचाई. इसके अलावा कोविड-19 से सबक सीखकर भारत ने ग्रामीण स्तर तक अपने ढांचे को मजबूत बनाया है. कोविड-19 ने हमारी चिकित्सा व्यवस्था की खामियां उजागर कर दी थीं लेकिन सरकार ने समय गंवाए बिना इन खामियों को पूरा किया. हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि हमारी स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चुस्त-दुरुस्त हो गई है लेकिन जिला तथा तहसील स्तर पर अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध होने लगी है.

इससे एचएमपीवी से ग्रस्त मरीजों को महानगरों में आकर महंगा इलाज करवाना नहीं पड़ेगा. छोटे शहरों में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक इस वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज करने में सक्षम हैं. इस तथाकथित नये वायरस को लेकर कुछ क्षेत्रों में अनावश्यक रूप से भय पैदा किया जा रहा है. देश उससे निपटने में पूरी तरह सक्षम है.

टॅग्स :ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी)Health Department
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