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Mpox : नया वायरस, नई चिंताएं

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: August 21, 2024 09:44 IST

कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड-19 के प्रकोप से बाहर आई दुनिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से एमपॉक्स को सार्वजनिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करना साबित करता है कि अब शायद ही कोई देश इस संक्रामक बीमारी को हल्के में लेने की गलती करेगा.

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ठळक मुद्देताजा मामला एमपॉक्स नामक वायरस के तेजी से बढ़ने का है जिसने भारत के पड़ोसी पाकिस्तान में घुसपैठ कर ली है.अब यह कब सीमापार कर आतंकियों की तरह हमारे देश में प्रवेश कर जाए- कहा नहीं जा सकता. चेचक (स्मॉल पॉक्स) परिवार से संबंधित एमपॉक्स नामक संक्रमण असल में एक जूनोटिक बीमारी है. 

अब यह लगभग साबित हो गया है कि हमारी मेडिकल साइंस ने जितनी ज्यादा तरक्की की है, वायरसों की नई-नई किस्मों ने और ज्यादा तेजी से फैलने की क्षमता हासिल कर ली है. ताजा मामला एमपॉक्स नामक वायरस के तेजी से बढ़ने का है जिसने भारत के पड़ोसी पाकिस्तान में घुसपैठ कर ली है. अब यह कब सीमापार कर आतंकियों की तरह हमारे देश में प्रवेश कर जाए- कहा नहीं जा सकता. 

कोरोना वायरस से पैदा महामारी कोविड-19 के प्रकोप से बाहर आई दुनिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से एमपॉक्स को सार्वजनिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित करना साबित करता है कि अब शायद ही कोई देश इस संक्रामक बीमारी को हल्के में लेने की गलती करेगा. चेचक (स्मॉल पॉक्स) परिवार से संबंधित एमपॉक्स नामक संक्रमण असल में एक जूनोटिक बीमारी है. 

इसे जूनोटिक कहने का तात्पर्य यह है कि यह जानवरों में पैदा होकर मनुष्यों में फैल गई है.  एमपॉक्स के बारे में अनुमान है कि मूल रूप से यह मध्य और पश्चिमी अफ्रीका का स्थानीय वायरस है. 

इन स्थानों के स्तनधारी जानवरों-खासतौर से बंदरों की कई प्रजातियों में पाए जाने वाले इस वायरस के सबसे पहले 1970 में मनुष्यों तक पहुंचने की खबर कांगो में मिली थी, जिसके बाद से इससे होने वाली बीमारी की प्रहार क्षमता और गंभीरता, दोनों में काफी वृद्धि हुई है. मपॉक्स वायरस जिस संक्रामक परिवार का सदस्य है, उसमें चेचक के अलावा काऊपॉक्स, हॉर्सपॉक्स और कैमलपॉक्स प्रमुख हैं. एमपॉक्स के दो प्रकार हैं. 

पहला है क्लेड-1 जो अधिक गंभीर है लेकिन इसका दायरा सीमित माना जाता है. दूसरा प्रकार क्लेड-2 है, जो इधर दुनिया के कई इलाकों में फैल गया है. चूंकि यह ऐसी जूनोटिक बीमारी है जिसमें म्यूटेशन हो सकता है, इसलिए खतरा यह है कि एक बार इंसानों में प्रवेश कर जाने के बाद यह मनुष्यों से मनुष्यों में फैल सकता है. यह स्पर्श, यौन संपर्क, संक्रमित मांस के संपर्क में आने या संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से फैल सकता है. 

यानी कोविड-19 की तरह यह छूने (शारीरिक संपर्क) और छींक-खांसी (हवा में तरल पदार्थ के कणों के प्रसार) से आसानी से फैल सकता है. इसी बात ने दुनिया में एमपॉक्स को लेकर यह डर पैदा कर दिया है कि कहीं एक बार फिर वैश्विक लॉकडाउन के हालात न पैदा हो जाएं. 

हालांकि अफ्रीका से बाहर इसका पहला मामला 21 साल पहले अमेरिका में दर्ज किया गया था, लेकिन इसके वैश्विक प्रसार का खतरा अब से करीब दो साल पहले पैदा हुआ माना जाता है. 

वर्ष 2022-23 में सामुदायिक प्रसार (कम्युनिटी स्प्रेड) के लक्षणों के साथ नाइजीरिया (अफ्रीका) के बाहर इसके मामलों का पता चला तो माना गया कि कोविड-19 के दौर में दुनिया का ध्यान चेचक संबंधी टीकाकरण से हटा तो एमपॉक्स ने अपने लिए फौरन जगह बना ली. 

वैसे अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार, अकेले अफ्रीका में एमपॉक्स के क्लेड-1 के 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें से 500 लोगों की मौत हो गई. इस साल इसका सबसे ज्यादा प्रकोप डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखा गया है.

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