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ब्लॉग: समग्र जीवन के लिए उत्कृष्टता की साधना है ध्यान

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: December 21, 2024 06:51 IST

उन विघ्न-बाधाओं को साक्षी या दृष्टा के नजरिये से देखना चाहिए. ध्यान को लेकर प्रतिरोध को भी संभालना आवश्यक है.

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आज मनुष्य का जीवन सूचनाओं के दिन-प्रतिदिन बढ़ते भार के तले दबा जा रहा है. हमसे बिना पूछे बिना रुके चौबीसों घंटे सूचना का अखंड प्रवाह हम तक पहुंच रहा है. इंटरनेट, मोबाइल, आईपाॅड, आईपैड, और सूचना प्रौद्योगिकी के दूसरे उपकरणों के जरिये लगातार सूचनाओं का अंबार लगता जाता है. वैसे तो सूचना पाना बड़ा रोचक और विस्मयजनक होता है, पर सूचनाओं की अति या उसका कोलाहल हमारे मन-मस्तिष्क को बहरा किए जा रहा है. इसके बावजूद कि मस्तिष्क लचीला होता है, उसकी क्षमता अतुलनीय है और वह जीवन में विस्तृत व्यापक होती रहती है सूचना का अतिभार (ओवरलोड) खतरनाक होता जा रहा है. सूचना हमारे अवधान (अटेंशन) की क्षमता को निगलती जा रही है.

आज किसी चीज पर ध्यान को संजोकर टिकाए रख पाना मुश्किल हो रहा है. इससे खुद अपने साथ, अन्य व्यक्तियों के साथ और बाह्य संसार के साथ हमारे रिश्ते टूट रहे हैं और हम अस्वस्थ हो रहे हैं. इस परिप्रेक्ष्य में ध्यान या मेडिटेशन अत्यंत महत्व का विषय हो गया है. इसके महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ मनाने का निश्चय किया है.

विगत कुछ दशकों में ध्यान को लेकर देश-विदेश में वैज्ञानिक अध्ययन बड़े पैमाने पर शुरू हुए हैं. इनसे कई बातों का पता चला है. अनेक अध्ययन तनाव (स्ट्रेस) को कम करने में ध्यान को बड़ा सहायक बताते हैं. ध्यान से कोर्टिसोल नामक रसायन का स्तर घटता है. ध्यान करने से भावनात्मक रूप से आदमी अपना ठीक से नियमन कर पाता है. ध्यान में सुकून और विश्राम की अनुभूति तो एक आम बात है जिसे सभी लोग अक्सर अनुभव करते हैं. ध्यान करने से अपने अवधान को किसी विषय पर लगाना और केंद्रित करना आसान हो जाता है. ध्यान करने से संज्ञानात्मक क्रियाएं भी सुगम या सहज हो जाती हैं.

इससे हमारी कार्य क्षमता और उत्पादकता भी बढ़ती है. मानसिक तैयारी होने से बौद्धिक स्पष्टता आती है. प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है, रक्तचाप सामान्य होता है और अच्छी नींद आती है. कुल मिलाकर कहें तो ध्यान से समग्र स्वास्थ्य में सुधार आता है.

दैनिक जीवन में ध्यान को शामिल करने के लिए यह समझ जरूरी है कि आपाधापी के बीच हम अपने आप को उपेक्षित न करें. इसलिए ध्यान के लिए समय अलग निकाल कर सुरक्षित रखना हितकर होता है. ध्यान का अभ्यास करते हुए अनेक व्यवधान आते हैं. उन विघ्न-बाधाओं को साक्षी या दृष्टा के नजरिये से देखना चाहिए. ध्यान को लेकर प्रतिरोध को भी संभालना आवश्यक है.

सतत अभ्यास का महत्व समझना होगा. धीरे-धीरे ध्यान की मात्रा बढ़ाई जाती है. ध्यान समूहों और व्यक्तियों से सहायता लेना भी लाभकर होता है. स्वीकार के भाव के साथ अभ्यास किया जाना चाहिए. आधुनिक जीवन शैली जिस तरह की हो रही है उसमें ध्यान का महत्व बढ़ता जा रहा है. इसकी सहायता से हम स्वयं को उत्कृष्ट जीवन दे सकेंगे और अपने समाज को भी सार्थक योगदान कर सकेंगे.

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