Air Pollution: गंभीर बीमारियां पैदा कर हर साल लाखों को लील रहा प्रदूषण?, 2010 के बाद से 5 करोड़ से अधिक लोग वायु प्रदूषण से पीड़ित...
By योगेश कुमार गोयल | Updated: December 2, 2024 05:20 IST2024-12-02T05:20:01+5:302024-12-02T05:20:01+5:30
Air Pollution: राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को प्रदूषण को रोकने में मददगार विभिन्न कानूनों के बारे में लोगों को अधिकाधिक जागरूक करना है.

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Air Pollution: प्रदूषण को लेकर उद्योगों को जागरूक करने तथा लोगों में प्रदूषण और इसके खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ मनाया जाता है. इस दिवस को मनाए जाने का मूल उद्देश्य देश में प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों की आवश्यकता की ओर बहुत ज्यादा ध्यान देने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. वास्तव में यह दिन 1984 की उस भयानक गैस त्रासदी की घटना के कारण पीड़ित हुए लोगों के निर्दोष जीवन को याद करने के लिए चिह्नित किया गया है, जिसमें हजारों लोग भोपाल की यूसीआईएल फैक्टरी से मिथाइल गैस के हुए रिसाव के कारण मौत की नींद सो गए थे. इस दिन विशेष रूप से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया जाता है.
देश में बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में भी लोगों को बताया जाता है. राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को प्रदूषण को रोकने में मददगार विभिन्न कानूनों के बारे में लोगों को अधिकाधिक जागरूक करना है. हालांकि औद्योगिक प्रदूषण की जांच के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एनपीसीबी) बनाया हुआ है.
जो जांच करता है कि उद्योगों ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन किया है या नहीं लेकिन इसके बावजूद देश में औद्योगिक प्रदूषण को लेकर आज भी स्थिति कितनी विकराल है, यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है. वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि यह न केवल तरह-तरह की गंभीर बीमारियों का जनक बन रहा है.
बल्कि प्रतिवर्ष लाखों लोग वायु प्रदूषण के ही कारण काल के भी ग्रास बन रहे हैं. विश्व बैंक द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया जा चुका है कि दुनियाभर में करीब चार अरब लोग खाना पकाने के लिए आज भी लकड़ी, कोयला, केरोसिन ऑयल, गोबर इत्यादि ऐसे ईंधन पर निर्भर हैं, जो बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं और इनका गंभीर असर पर्यावरण के साथ-साथ खाना पकाने वालों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है.
हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक बाहर तथा घर के अंदर लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा, डायबिटीज, फेफड़ों का कैंसर तथा जन्म के समय होने वाली बीमारियों इत्यादि की चपेट में आकर अब हर साल भारत में कई लाख लोगों की मौत हो रही है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण और हृदय एवं फेफड़े के रोगों के बीच संबंध होने के स्पष्ट साक्ष्य हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010 के बाद से पांच करोड़ से अधिक लोग घर के अंदर वायु प्रदूषण से पीड़ित हुए हैं.