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ब्लॉग: जलवायु परिवर्तन से बदल रहा समुद्रों का रंग

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 18, 2023 7:13 AM

मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन का असर अब हमारे समुद्रों पर भी दिखने लगा है।

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ठळक मुद्देएमआईटी और यूके के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने ग्लोबल वार्मिंग की बड़ी शोधशोध में पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर अब समुद्रों पर भी दिखने लगा हैशोध में यह खुलासा हुआ है कि पिछले दो दशकों में समुद्र अपना रंग बदल रहे हैं

मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) और यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान केंद्र के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन का असर अब हमारे समुद्रों पर भी दिखने लगा है।

हाल ही में हुए इस शोध में यह खुलासा हुआ है कि पिछले दो दशकों में समुद्र अपना रंग बदल रहे हैं। इस अध्ययन में पाया गया है कि साल 2002 से 2022 के बीच समुद्र के पानी में रंग परिवर्तन का अनुभव हुआ है। यह व्यापक अध्ययन नेचर जर्नल में ‘समुद्र पारिस्थितिकी के संकेतकों में पाए गए वैश्विक जलवायु-परिवर्तन रुझान’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ है जिसके अनुसार पिछले दो दशकों के दौरान समुद्र का 56 प्रतिशत हिस्सा नीले से हरा हो गया है।

हमारी पृथ्वी के कुल 70 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्से में समुद्र मौजूद हैं और इन समुद्रों का आधे से ज्यादा हिस्सा रंग बदल चुका है। चिंता की बात तो यह है कि इस बदलाव की रफ्तार बेहद तेज है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हालांकि समुद्र के पानी के रंग में होने वाला परिवर्तन नग्न आंखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन यह बदलाव केवल आश्चर्यजनक ही नहीं बल्कि भयावह भी है।

दरअसल वैज्ञानिकों ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र की सतह पर फाइटोप्लांकटन जीवों की तादाद बेतहाशा बढ़ गई है। ये जीव छोटे पौधों की तरह दिखते हैं और इनमें पौधों की तरह ही क्लोरोफिल होता है। क्लोरोफिल के हरे रंग की वजह से पानी की सतह भी हरी दिखाई देती है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, समुद्र का रंग बदलना भविष्य के लिए एक खतरनाक संकेत है क्योंकि फाइटोप्लांकटन के बनने से समुद्र में दूसरे समुद्री जीव-जंतुओं के लिए जगह कम हो रही है और पानी में ऑक्सीजन की कमी होने के कारण उनका जीवन संकट में है।समुद्री जीवन पर केवल समुद्री जीव ही नहीं बल्कि इंसानों की एक बड़ी आबादी भी निर्भर रहती है।

विशेषकर तटीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग समुद्री भोजन के भरोसे रहते हैं लेकिन समुद्र में ऐसे मृत क्षेत्र बनने से समुद्री जीवन खत्म हो जाएगा और इससे इंसानों के लिए भी रोजी-रोटी का खतरा पैदा हो जाएगा। ब्रिटेन के नेशनल ओशनोग्राफी सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरा पारिस्थितिकी तंत्र मानवीय गतिविधियों से गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है और समुद्र के पानी का नीले से हरा होना पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव का संकेत है।

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