कभी न कभी जरूर दबोचता है कानून !
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 6, 2025 06:45 IST2025-02-06T06:45:28+5:302025-02-06T06:45:33+5:30
भारत में भी तो इसी तरह के तिकड़म हो रहे हैं. न जाने कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों ने वैध कागजात तक बनवा लिए हैं.

कभी न कभी जरूर दबोचता है कानून !
जिन लोगों को अमेरिका से बाहर किया गया है, उन्होंने तो यही सोचा होगा कि एक बार किसी तरह अमेरिका पहुंच गए तो वहां छिप जाएंगे या रुकने का कोई न कोई कानूनी रास्ता तलाश लेंगे. लेकिन वे यह भूल गए कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, चाहे वो किसी भी देश का कानून हो! और जब कानून के हाथ गिरेबां तक पहुंचते हैं तो मुश्किलों का ऐसा दौर शुरू होता है जिसका अंत मुश्किल होता है.
ऐसे लोगों के साथ किसी की सहानुभूति हो भी नहीं सकती क्योंकि वे कानून तोड़ने वाले होते हैं. कुछ लोग सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर रहे हैं जिसमें कुछ लोगों को विमान में चढ़ाया जा रहा है जिनके हाथों में हथकड़ी लगी है. ये वीडियो किसी दूसरे देश के नागरिकों का है लेकिन बिना जांच पड़ताल किए इन्हें भारतीय बताया जा रहा है और इसे इस तरह प्रचारित किया जा रहा है जैसे अमेरिका में भारत की कोई इज्जत ही नहीं रह गई होगी.
इस तरह की बात करने वाले यह भूल जाते हैं कि दुनिया के किसी भी देश के नागरिक को यह अधिकार नहीं है कि वह अवैध तरीके से किसी दूसरे देश में घुसे और फिर शरण पाने के लिए वहां के कानून को अपनी उंगली पर नचाए. अमेरिका ने अभी 18 हजार भारतीयों की पहचान की है जो अवैध प्रवासी हैं. वैसे यह संख्या लाखों में हो सकती है क्योंकि अवैध रूप से अमेरिका पहुंचाने वाला संगठित गिरोह काम कर रहा है.
यह गिरोह कई बार पचास से साठ लाख रुपए लेता है और कनाडा तथा मैक्सिको की सीमा से लोगों को अमेरिका पहुंचा देता है. जनवरी 2022 की वो घटना आपको याद होगी जब गुजरात के 39 वर्षीय जगदीश पटेल अपनी पत्नी वैशाली बेन, 11 साल की बेटी विहांगी और 3 साल के बेटे धार्मिक के साथ अमेरिका कनाडा सीमा पर मृत पाए गए थे. बाद में पता चला कि बर्फीले इलाके में मीलों पैदल चलने के कारण उनकी मौत हुई थी.
मानव तस्करी के इस मामले में दो लोगों को सजा भी हुई थी. लेकिन ऐसे न जाने कितने मामले सामने भी नहीं आ पाते हैं. सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि लोग बेहतर अवसर की तलाश में अमेरिका पहुंचते हैं. यह बात सही भी है लेकिन अवैध रूप से घुसने के बाद उनमें से कुछ लोग जो रास्ता अख्तियार करते हैं वह बहुत आपत्तिजनक है. ऐसे हजारों उदाहरण हैं जब लोगों ने यह कहा कि वे खालिस्तान का समर्थन करते हैं और उन्हें भारत सरकार से डर है इसलिए अमेरिका में शरण दी जाए.
अमेरिकी कानून ऐसे शरणार्थियों को उनके आवेदन की सुनवाई पर अंतिम निर्णय होने तक देश में रुकने की छूट देता है. खालिस्तान समर्थक ऐसे बहुत से लोग अमेरिका में रह रहे हैं, जिनके लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ तौर पर कहा कि अलगाववादियों को वे अमेरिका में बर्दाश्त नहीं करेंगे. ट्रम्प को यह पता है कि अमेरिकी कानून को लोग कैसे चकमा देने में लगे हुए हैं.
ऐसा ही एक रास्ता है कि कोई व्यक्ति यदि किसी अमेरिकी नागरिक से शादी कर ले तो उसे कानूनन वहां रहने का अधिकार मिल जाता है. और भी कई तिकड़म किए जाते हैं. भारत में भी तो इसी तरह के तिकड़म हो रहे हैं. न जाने कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों ने वैध कागजात तक बनवा लिए हैं. रोहिंग्या भी बड़ी संख्या में भारत में घुस आए हैं. अमेरिका से हमें भी सीख लेनी चाहिए और अवैध प्रवासियों को निकाल बाहर करने के लिए बड़ा अभियान चलाना चाहिए. क्या हम ऐसा कर पाएंगे?