वेदप्रताप वैदिक: क्या घी-दूध और क्या दवाएं-जहां देखें वहीं मिलावट, ऐसे में मिलावटखोरों को फांसी क्यों नहीं?

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: October 24, 2022 15:10 IST2022-10-24T14:57:53+5:302022-10-24T15:10:14+5:30

आपको बता दें कि 2006 के ‘खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम’ के अनुसार, जो लोग मिलावट करते है, उन्हें 10 लाख रु. तक जुर्माना और छह माह से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जाती है।

ghee-milk and medicines adulteration is everywhere why not hang adulterers up news | वेदप्रताप वैदिक: क्या घी-दूध और क्या दवाएं-जहां देखें वहीं मिलावट, ऐसे में मिलावटखोरों को फांसी क्यों नहीं?

फोटो सोर्स: ANI

Highlightsआजकल मिलावट इतनी आम हो गई है कि असल-नकल का फर्क ही नहीं रहा है।ताजा मामला यूपी का है जहां नकली प्लाज्मा देने के कारण मरीज की मौत हो गई है। ऐसे तो मिलावट को रोकने के लिए कानून है लेकिन फिर भी धड़ल्ले मिलावट हो रहा है।

नई दिल्ली: दिवाली के मौके पर गरीब से गरीब आदमी भी खाने-पीने की चीजें दिल खोलकर खरीदना चाहता है लेकिन जो चीजें बाजार में उसे मिलती हैं, उनमें से कई नकली तो होती ही हैं, वे उसके लिए प्राणलेवा भी सिद्ध हो जाती हैं. 

नकली प्लाज्मा से मरीज की हुई मौत

प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत इसलिए हो गई कि डॉक्टरों ने उसकी नसों में प्लाज्मा चढ़ाने की बजाय मौसम्बी का रस चढ़ा दिया. इस नकली प्लाज्मा की कीमत 3 हजार से 5 हजार रु. है. नकली प्लाज्मा ने मरीज की जान ले ली. प्रयागराज की पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. 

आखिर क्यों नकली चीजें बिकती है ज्यादा

लगभग इसी तरह का काम गोरखपुर में नकली तेल बेचने का, दिल्ली में नकली जीरा खपाने का और कुछ शहरों में नकली घी और दूध भी पकड़ा गया है. दिवाली के मौके पर पड़े इन छापों से पता चला है कि ये नकली चीजें, असली चीजों के मुकाबले ज्यादा बिकती हैं, क्योंकि उनकी कीमत लगभग आधी होती है और दुकानदारों को मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. 

नकली चीजें आज नहीं तो कल नुकसान पहुंचाती ही है

जो लोग इन चीजों को खरीदते हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता है कि वे असली हैं या नकली हैं. कुछ नकली चीजें उन्हें सेवन करनेवालों की जान ले लेती हैं और कई चीजें इतने धीरे-धीरे जान का खतरा बनती हैं कि उसके उपभोक्ताओं को इसका पता ही नहीं चलता. 

आपकी दवाइयों में भी होती है असली-नकली

यह कुकर्म सिर्फ खाने-पीने की चीजों में ही नहीं होता, यह अक्सर दवाइयों में भी बड़ी चालाकी से किया जाता है. इस तरह के मिलावटखोरों को पकड़ने के लिए सरकार ने अलग विभाग बना रखा है और ऐसे अपराधियों के विरुद्ध कानून के कई प्रावधान भी हैं. 

गौरतलब है कि 2006 के ‘खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम’ के अनुसार ऐसे अपराधियों पर 10 लाख रु. तक जुर्माना और छह माह से लेकर उम्रकैद तक की सजा भी हो सकती है. लेकिन मेरी राय में इन अपराधियों को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए.

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