संकल्प, जज्बे और जुनून की गाथा है यह जीत?, भारतीय नारियों की अविस्मरणीय उपलब्धि

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: November 4, 2025 05:16 IST2025-11-04T05:16:04+5:302025-11-04T05:16:04+5:30

सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, वीवीएस लक्ष्मण ने स्टेडियम में मौजूद रहकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया.

icc wc 2025 victory saga determination, passion and enthusiasm unforgettable achievement Indian women | संकल्प, जज्बे और जुनून की गाथा है यह जीत?, भारतीय नारियों की अविस्मरणीय उपलब्धि

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Highlightsऐसे दिग्गजों की मौजूदगी में कौन प्रेरित नहीं होगा.भारत को चैंपियन बनाने में परदे के पीछे भी काफी कुछ चल रहा था.भविष्य में भी इसी तरह कामयाबियों ने नित नए शिखर फतह करेगी.   

विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय नारियों की अविस्मरणीय उपलब्धियों में रविवार रात एक कड़ी और जुड़ गई जब महिला टीम आईसीसी वनडे विश्व कप स्पर्धा में विजेता बन गई. यह कामयाबी रातोंरात हासिल नहीं हुई या किसी पारलौकिक शक्ति ने टीम को थाली में सजाकर नहीं दी. इस ऐतिहासिक कामयाबी से भारतीय महिला टीम की प्रदीर्घ संघर्ष गाथा जुड़ी हुई है. सन्‌ 1973 में विमेंस  क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूसीए) का गठन होने के बाद भारतीय टीम इस संगठन के अंतर्गत खेलने लगी. वह दौर था जब टीम के पास न पैसा था और न कोई प्रायोजक मिलता था.

हरमनकौर की टीम की खिलाड़ियों को आज पांचसितारा सुविधाएं मुहैया हैं लेकिन तीन दशक पहले की भारतीय टीम  ट्रेन के अनारक्षित कोच में सफर करती थी. डॉरमेट्री में फर्श पर खिलाड़ी सोती थीं और अपना बिस्तर खुद ले जाती थीं. एक बार तो ऐसा हुआ जब खिलाड़ी न्यूजीलैंड दौरे पर धन के अभाव में होटल में रुक नहीं सकी थीं.

उन्होंने प्रवासी भारतीयों के परिवार में दिन गुजारे. उन दिनों के मुकाबले भारतीय महिला क्रिकेट अब काफी बेहतर स्थिति में है. सन्‌ 2006 में डब्ल्यूसीए का बीसीसीआई में विलय हो गया. इसके बाद भारत में महिला क्रिकेट के दिन बहुरने लगे. लेकिन फिर भी बीसीसीई पर तोहमतें लगती रहीं कि वह महिला क्रिकेट की उपेक्षा कर रहा है.

हालांकि यह भी सच है किसी भी टीम को दुनिया में श्रेष्ठता का पैमाना  हासिल करने के लिए वक्त लगता है. भारतीय पुरुष टीम अचानक ही तीनों प्रारूप में सरताज नहीं बनी. बीसीसीआई ने खिलाड़ियों पर मेहनत की. काफी पैसा खर्च किया. महिला क्रिकेटरों को भी तलाशने और तराशने में वक्त लगा और अब जो हुआ वह ऐतिहासिक है.

इसका श्रेय खिलाड़ियों और प्रबंधन को है. भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी पिछली गलतियों से सबकर सीखकर अपनी गुणवत्ता का विस्तार किया. छह-सात साल पहले भारतीय टीम में कई तरह की खामियां नजर आ रही थीं  और लगता था कि तकनीकी तौर पर वह पुरुष टीम से गौण है. खिलाड़ियों में समर्पण जरूर था, पर तकनीकी  दृढ़ता के अभाव में वह पिछड़ जाती थी.

लेकिन चैंपियन टीम में जो खिलाड़ी हैं वे तकनीकी तौर पर काफी मजबूत हैं. इसके अलावा उनमें इच्छाशक्ति भी गजब की है. टूर्नामेंट के लीग चरण  में तीन महत्वपूर्ण मुकाबले लगातार हार जाने के बाद भारतीय टीम पर नॉकआउट से पहले ही बाहर होने का खतरा मंडराने लगा था. किसी भी बहुराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस तरह के हालात चुनौतियों से भरे होते हैं.

कप्तान समेत खिलाड़ियों में ऐसे हालात में इच्छाशक्ति का प्रबल होना जरूरी है और इच्छाशक्ति खिलाड़ियों में तब बढ़ती है जब वे तकनीकी तौर पर सक्षम हो जाते हैं. भारतीय टीम ने इसे साबित कर दिया. सेमीफाइनल में कई गुना ताकतवर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत के बाद खिलाड़ियों में जिद बढ़ गई और यह जिद ही जीत की तरफ ले गई.

कुशल टीम प्रबंधन को भी इस कामयाबी का श्रेय है. नियमित सलामी बल्लेबाज प्रतीका रावल के चोटिल होने के बाद शेफाली वर्मा को अंतिम ग्यारह में शामिल कराने का फैसला सटीक रहा. इस सलामी बल्लेबाज ने फाइनल में बल्ले और गेंद से भी योगदान दिया और प्लेयर ऑफ द मैच चुनी गईं. यह खिलाड़ी केवल दो ही मैच खेल पाई.

तारीफ जय शाह की भी करनी होगी जो इस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के चेयरमैन  हैं. वे कम बोलते हैं लेकिन क्रिकेट को लेकर उनका नजरिया एक शानदार प्रशासक का है. उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट में युवा खिलाड़ियों को मौका देना शुरू किया, जिसके परिणाम अब मिलने लगे हैं. महिलाओं को चैंपियन बनाने में भारतीय पुरुष क्रिकेटरों का भी परोक्ष योगदान रहा है.

सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, वीवीएस लक्ष्मण ने स्टेडियम में मौजूद रहकर खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया. ऐसे दिग्गजों की मौजूदगी में कौन प्रेरित नहीं होगा. मतलब भारत को चैंपियन बनाने में परदे के पीछे भी काफी कुछ चल रहा था. उम्मीद है कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम भविष्य में भी इसी तरह कामयाबियों ने नित नए शिखर फतह करेगी.   

Web Title: icc wc 2025 victory saga determination, passion and enthusiasm unforgettable achievement Indian women

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