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ब्लॉगः बजट से छोटे करदाताओं की क्या पूरी हो पाएंगी उम्मीदें ?

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: January 31, 2023 13:00 IST

बीते दिनों एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं इसलिए मैं मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं। पिछले वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, साथ ही पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोत्तरी भी देखी गई है।

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इस समय जब एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश किए जाने वाले आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की ओर देश के मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं, तब 30 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मंत्रियों को मध्यम वर्ग तक पहुंचकर उनके लिए की गई कई पहलों से अवगत कराने के दिए गए निर्देश अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री नए बजट के माध्यम से इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि करके अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकती हैं।

बीते दिनों एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं इसलिए मैं मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं। पिछले वर्ष 2022-23 के बजट में इस वर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, साथ ही पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोत्तरी भी देखी गई है। इसके साथ-साथ इस बार का बजट लोकसभा चुनाव 2024 के पहले का आखिरी पूर्ण बजट है। ऐसे में सरकार के द्वारा आगामी बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किए जा सकते हैं।

निस्संदेह केंद्रीय बजट 2023-24 के तहत छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। जो आयकरदाता आयकर के पुराने स्लैब को अपनाए हुए हैं, उनके लिए विभिन्न टैक्स छूटों में वृद्धि किया जाना जरूरी है। मौजूदा समय में धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपए की छूट मिलती है। इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है। मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए धारा 80सी के तहत 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है। कोई व्यक्ति 1.50 लाख की छूट यदि होम लोन के मूलधन पर ले लेता है तो उसके पास अन्य जरूरी निवेश पर छूट लेने का विकल्प नहीं बचता है। अतएव धारा 80सी के तहत कर छूट की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपए किया जाना उपयुक्त होगा। आयकर अधिनियम की धारा 80सी की सीमा बढ़ाने से सबसे ज्यादा फायदा छोटी बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसी खरीदारों, म्यूचुअल फंड निवेशकों, लोनधारकों और वरिष्ठ नागरिकों को होगा। पिछली बार वित्त वर्ष 2014-15 में इस सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए किया गया था। तब से इस कटौती सीमा को नहीं बदला गया है।

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