Trump India Tariffs 2025: भारत का जवाब भी ‘जैसे को तैसा’ ही होना चाहिए
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 9, 2025 05:15 IST2025-08-09T05:15:03+5:302025-08-09T05:15:03+5:30
Trump India Tariffs 2025: अमेरिका ने जब चीन को धमकाने की कोशिश की तो चीन ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया था और उसके बाद ट्रम्प, चीन के मामले में, काफी हद तक बैकफुट पर आ गए.

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Trump India Tariffs 2025: कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बिल्कुल सही कहा है कि हमें अमेरिका को अब कोई तरजीह नहीं देनी चाहिए और उस पर भी 50 प्रतिशत टैरिफ लगा देना चाहिए. यदि अमेरिका को हमारी परवाह नहीं है तो हमें भी उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए. मुहावरे की भाषा में इसे अंग्रेजी में ‘टिट फॉर टैट’ और हिंदी में ‘जैसे को तैसा’ कहते हैं. अमेरिका ने जब चीन को धमकाने की कोशिश की तो चीन ने भी उसी अंदाज में जवाब दिया था और उसके बाद ट्रम्प, चीन के मामले में, काफी हद तक बैकफुट पर आ गए.
हालत यह है कि रूस से चीन सबसे ज्यादा तेल खरीद रहा है लेकिन ट्रम्प फिलहाल उसका नाम भी नहीं ले रहे और भारत को धमकाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. भारत ने हालांकि ट्रम्प का नाम लिए बगैर यह जरूर कहा है कि अमेरिका खुद रूस से कई सारी चीजें खरीद रहा है. भारत के इस खुलासे को लेकर जब जब डोनाल्ड ट्रम्प से पूछा गया तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है. कितनी बचकानी बात है यह! आप अमेरिका के राष्ट्रपति हो और कुछ पता ही नहीं! ट्रम्प ने अभी तक इस बात का भी जवाब नहीं दिया है कि चीन के खिलाफ भारत जैसा रवैया उनका क्यों नहीं है?
सीधी सी बात है कि चीन को ट्रम्प से कोई खौफ नहीं है. ट्रम्प जैसी हरकत करेंगे, चीन उसी अंदाज में जवाब देगा. ट्रम्प यह अच्छी तरह समझते हैं. जहां तक भारत का सवाल है तो उन्हें लगता है कि भारत किसी भी स्थिति में चीन जैसी प्रतिक्रिया नहीं देगा. यही कारण है कि ट्रम्प भारत के खिलाफ निरंतर उपद्रव किए जा रहे हैं.
अब तक करीब 30 बार वे दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने ही जंग रुकवाई! भारत ने भलमनसाहत का परिचय दिया और इससे इनकार करते हुए केवल इतना कहा कि ऑपरेशन सिंदूर रोकने का आग्रह पाकिस्तान की ओर से आया था. यानी भारत ने ट्रम्प के दावे को नकारा लेकिन ट्रम्प को इस तरह की शालीन भाषा समझ में कहां आती है!
भारत को सीधे शब्दों में कहना चाहिए था कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं, उन्होंने कोई समझौता नहीं करवाया. दरअसल ट्रम्प के सीने में एक चाहत पल रही है कि उन्हें शांति का नोबल पुरस्कार मिल जाए. उनके कहने पर ही पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष जनरल मुनीर ने उन्हें नोबल पुरस्कार देने की मांग की थी. इधर व्हाइट हाउस यह दावा भी कर चुका है कि ट्रम्प ने अब तक नौ युद्ध रुकवाए हैं.
ये कौन से युद्ध हैं, यह ट्रम्प को ही पता होगा! बाकी दुनिया तो यही देख रही है कि अभी तो जो दो युद्ध, रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास के बीच चल रहे हैं, उन्हें भी बंद कराने के कई दावे ट्रम्प कर चुके हैं लेकिन कोई उनकी सुन नहीं रहा है. ऐसे में नोबल पुरस्कार कैसे मिलेगा? भारत यदि उनके द्वारा युद्ध रुकवाने का झूठी कहानी मान लेता तो शायद नोबल पुरस्कार के लिए दावेदारी थोड़ी मजबूत हो जाती.
मगर भारत ने ठेंगा दिखा दिया. ट्रम्प शायद इसीलिए भारत को लेकर ज्यादा बौखलाए हुए हैं. अब जो हालात हैं, उसमें ट्रम्प के रहते अमेरिका के साथ रिश्ते बेहतर होने की कोई उम्मीद बेमानी है. यदि हम उम्मीद करें भी तो ट्रम्प इसे हमारी कमजोरी समझेंगे. राजनयिक रिश्तों के लिए भारतीय संस्कृति में एक पुरानी कहावत है कि ‘भय बिन होय न प्रीति’ यानी भय के बिना दोस्ती नहीं होती.
इसलिए ट्रम्प को उनकी भाषा से भी ज्यादा तीखी भाषा में जवाब देना जरूरी हो गया है. ध्यान रखिए कि 1971 की जंग मेंं अमेरिका हमारे दुश्मन पाकिस्तान के साथ खड़ा था, और हम आज की तरह इतने मजबूत भी नहीं थे, फिर भी भारत ने वह जंग न केवल जीती बल्कि दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा दुश्मन सैनिकों से हथियार भी रखवाया.
जरूरत केवल नेतृत्व की अडिगता की है और इस मामले में हमारे प्रधानमंत्री की साख ऐसी हैै कि किसी दबाव में नहीं आते. उन्होंने यह प्रदर्शित भी किया है लेकिन अभी जो हालात हैं, उसमें ट्रम्प को लेकर हमें अपनी भाषा कठोर करने की जरूरत है.
ट्रम्प ने दोस्ती को तार-तार कर दिया है तो हम बुनाई और तुरपाई क्यों करते रहें? हम दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले 140 करोड़ लोग हैं. हमारी ताकत का सम्मान हर किसी को करना होगा, चाहे वह कितना भी महारथी क्यों न हो!