हिंजेवाड़ी आईटी पार्कः महाराष्ट्र में निवेशकों की चिंताएं गंभीर

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 28, 2025 21:25 IST2025-07-28T21:25:07+5:302025-07-28T21:25:56+5:30

pune Hinjewadi IT Park: महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम की ओर से निर्मित एवं 2,800 एकड़ में फैला एक विशाल प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक पार्क है.

pune Hinjewadi IT Park Investors Maharashtra worried rupee ajit pawar | हिंजेवाड़ी आईटी पार्कः महाराष्ट्र में निवेशकों की चिंताएं गंभीर

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Highlightsव्यावसायिक पार्क में 800 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं.यातायात, जलभराव और अतिक्रमण जैसी समस्याओं पर चर्चा की थी. क्षेत्र के कामों की हर सप्ताह समीक्षा का भी तय किया गया था.

pune Hinjewadi IT Park: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मीडिया कर्मियों से भले ही बंद कमरे में कहा हो, लेकिन दिल से अपनी बात रखी. उनके अनुसार पुणे के हिंजेवाड़ी का पूरा आईटी पार्क राज्य से बाहर जा रहा है. उसे बेंगलुरू और हैदराबाद में ले जाया जा रहा है. हिंजेवाड़ी में राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क स्थित है, जो महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम की ओर से निर्मित एवं 2,800 एकड़ में फैला एक विशाल प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक पार्क है. इस व्यावसायिक पार्क में 800 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं.

पिछले दिनों मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मुंबई में अधिकारियों के साथ बैठक कर आईटी पार्क के आस-पास यातायात, जलभराव और अतिक्रमण जैसी समस्याओं पर चर्चा की थी. पवार भी बैठक में उपस्थित थे और अधिकारियों से परेशानियों को प्राथमिकता से हल करने के लिए कहा था. इसके साथ ही क्षेत्र के कामों की हर सप्ताह समीक्षा का भी तय किया गया था.

बावजूद इसके परिस्थितियों में अधिक परिवर्तन नहीं देखा गया. महाराष्ट्र में औद्योगिक निवेश मुंबई के बाद पुणे में हुआ है. जिसका आधार आधारभूत संरचना की मजबूती थी. किंतु कुछ वर्षों से व्यवस्थाएं गड़बड़ाने लगी हैं. जिनकी शिकायतों को नजरअंदाज करने पर निवेशकों का स्थानांतरण निश्चित हो गया है. वास्तविक रूप से यह राज्य के अनेक औद्योगिक क्षेत्रों की स्थिति है.

जिसके पीछे बड़ा कारण औद्योगिक क्षेत्रों में बढ़ता राजनीतिक हस्तक्षेप है. अनेक सत्ताधारी नेता अपनी ताकत का उपयोग कर मनमाने काम के लिए अधिकारियों को विवश करते हैं. छत्रपति संभाजीनगर में राज्य के मंत्री को औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड देने के लिए नियम बदल दिए जाते हैं. मुंबई में भाषा के नाम पर उद्यमियों और व्यवसायियों को धमकाया जाता है.

संस्थानों और प्रतिष्ठानों की नाम पट्टिका के लिए कार्रवाई की जाती है. रंगदारी से लेकर हिस्सेदारी तक को संभालना उद्योग जगत की मजबूरी हो चली है. वहीं दूसरी ओर निवेश को आकर्षित करने के लिए दुनियाभर में प्रयास किए जाते हैं. उद्योग जगत में यदा-कदा किसी मामले को हल करना आसान होता है, परंतु अक्सर होने वाली नकारात्मक गतिविधियों के बाद विकल्पों पर विचार होना तय है.

राज्य में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) की स्थापना 1962 में हुई थी, जिसका काम औद्योगिक क्षेत्र के बुनियादी ढांचे का विकास करना था. इसका बड़े से छोटे शहरों तक विस्तार किया गया. पहले भी इस पर आंतरिक राजनीतिक प्रभाव था, जो नेताओं के क्षेत्र के विकास से जुड़ा था. मगर अब वह राजनेताओं के निजी हितों से जुड़ गया है.

इससे बाहरी निवेशकों के समक्ष समस्याएं पैदा होना स्वाभाविक है. इस परिस्थिति में यदि राज्य सरकार केवल निवेश लाने में विश्वास करती है तो ठीक है, लेकिन वह निवेशकों को स्थाई करना चाहती है तो उसे समस्याओं का समाधान करना होगा, जो कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार से लेकर रोजाना की जिंदगी से जुड़ी हैं.

उपमुख्यमंत्री पवार का गुस्सा और चिंता पुणे को लेकर है, लेकिन यह नाराजगी कमोबेश राज्य के हर एक औद्योगिक क्षेत्र में है. जिसे दूर किया जाना नितांत आवश्यक है. अन्यथा मुट्ठी से रेत फिसलते देर नहीं लगेगी.

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