Make in India: देश में करीब दस साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल की जिस तरह से रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने सराहना की है, उससे साबित हुआ है कि मोदी की इस पहल ने दुनिया का कितना ध्यान आकर्षित किया है. पुतिन ने कहा कि विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. दरअसल रूस भी इसी तरह की पहल कर रहा है और पुतिन ने बिना किसी झिझक के स्वीकार किया है कि उनकी यह पहल भारत के मेक इन इंडिया से प्रेरित है. उन्होंने रूस के आयात प्रतिस्थापन कार्यक्रम को भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के समान बताते हुए कहा कि भारत का नेतृत्व अपने हितों को प्राथमिकता देने की नीति पर केंद्रित है. पुतिन ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का भी ऐसा ही एक कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ है. यह हमारे कार्यक्रम से बहुत मिलता-जुलता है.’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 सितंबर, 2014 को शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल का लक्ष्य भारत को विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना है. इसके अंतर्गत नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाते हुए जहां कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, वहीं कई चीजों को लाइसेंस की जरूरतों से हटाया गया है.
विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्र खोले गए हैं और सरकार तथा उद्योगों के बीच साझेदारी बनाई गई है. राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के जरिये कुशल मानव शक्ति भी उपलब्ध कराई जा रही है. इस अभियान के तहत भारत को 25 क्षेत्रों में अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें ऑटोमोबाइल, विमानन, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन, निर्माण, रक्षा उत्पादन, विद्युत मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण आदि का समावेश है. इस अभियान से जहां भारत में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, वहीं समावेशी विकास भी सुनिश्चित हुआ है.
इसकी सफलता से आकर्षित होकर ही रूसी राष्ट्रपति ने भारत में रूसी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की पेशकश की है. पुतिन ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के विकास के लिए स्थिर परिस्थितियों का निर्माण करने में भारत सरकार की सफलता का भी बखान किया. रूस आजादी के बाद से ही भारत का भरोसेमंद साथी रहा है. निश्चित रूप से पुतिन द्वारा भारत में निवेश को लाभकारी बताए जाने से वैश्विक स्तर पर पहले से ही मजबूत भारत की छवि को और भी मजबूती मिलेगी.