प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में डालता कोरोना

By प्रमोद भार्गव | Published: March 2, 2020 11:19 AM2020-03-02T11:19:48+5:302020-03-02T11:19:48+5:30

दवा कंपनियों की समिति ‘इंडिया फार्मास्युटिकल एलायंस’ (आईपीए) ने भारत सरकार को सूचित किया है कि फिलहाल दो से तीन माह की दवाओं का भंडार उपलब्ध है.

Pramod Bhargava's blog: Corona jeopardizing global economy | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में डालता कोरोना

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में डालता कोरोना

चीन में फैला कोरोना वायरस अब मानव स्वास्थ्य के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को संकट में डालता दिख रहा है. इसका ताजा असर अमेरिका से लेकर भारत के शेयर बाजार तक में देखने में आया है.

इस संकट के चलते भारत और चीन के बीच होने वाला 87 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार अवरुद्घ हो गया है. चीन के ब्रांडों को भारत में विपणन का एकीकृत मंच देने वाले संगठन क्रेयंस द्वारा आयोजित परिचर्चा से स्पष्ट हुआ है कि भारत में औषधि, ऑटोमोबाइल, वस्त्र, दूरसंचार, इलेक्ट्रिक और टिकाऊ  उपभोक्ता सामग्री समेत कई उद्योग चीन से आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं. दवा उद्योग पर इसका सबसे ज्यादा असर दिख रहा है. 

औषधि विशेषज्ञों का कहना है कि दवाओं के आयात में चीन की कुल हिस्सेदारी 67. 56 प्रतिशत है. चीन में कोरोना का कहर जल्द खत्म नहीं हुआ तो औषधि निर्माण में उपयोग में लाए वाले रसायनों की कमी का सामना करना पड़ेगा. इसके चलते दवाओं की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है.

इस संकट से यह सबक लेने की जरूरत है कि किसी एक देश पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता नहीं बढ़ाई जानी चाहिए. अब दूसरे देशों से आयात की सीमा बढ़ाने के साथ, कुछ ऐसे उपाय किए जाएं कि देश में ही उपलब्ध कच्चे माल से दवाओं के रसायन एवं ऑटो, टेलीकॉम व टेक्सटाइल से जुड़े उपकरण भारत में ही बनें. होली, दीवाली व रक्षाबंधन से संबंधित त्यौहारों पर आयात किए जाने वाले चीनी उत्पादों से तो अब पूरी तरह बचने की जरूरत है. पिचकारी, दीपक और राखी जैसी सामग्रियां हमारे घरेलू उद्योगों में आसानी से बनाई जा सकती हैं.

दवा कंपनियों की समिति ‘इंडिया फार्मास्युटिकल एलायंस’ (आईपीए) ने भारत सरकार को सूचित किया है कि फिलहाल दो से तीन माह की दवाओं का भंडार उपलब्ध है. चीन से पिछले करीब दो माह से कोई सामग्री नहीं आ पाई है. समिति के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा है कि यदि सरकार विनिर्माण इकाइयों के लिए तेजी से पर्यावरणीय मंजूरी दे दे तो चीन पर निर्भरता कम हो जाएगी. भारत चीन से 17000 करोड़ रु. का दवा निर्माण संबंधी कच्चा माल आयात करता है. 

भारत में दवाएं बनाने का ज्यादातर कच्चा माल भारतीय जंगलों-पहाड़ों में उपलब्ध है. देश में एलोपैथी के साथ अन्य वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को भी मजबूत करने की जरूरत है. चीन के साथ दवा आयात -निर्यात के सिलसिले में विडंबना है कि भारतीय दवा कंपनियां जहां अमेरिका और यूरोपीय संघ को जेनरिक दवाओं का बड़ी मात्र में निर्यात करती हैं, वहीं चीन को इनका निर्यात नहीं हो पा रहा है.

Web Title: Pramod Bhargava's blog: Corona jeopardizing global economy

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