New Year 2025: वर्ष 2025 में बेहतर होगी अर्थव्यवस्था?, महंगाई-रोजगार चिंताजनक मुद्दे
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: January 2, 2025 05:35 IST2025-01-02T05:35:35+5:302025-01-02T05:35:35+5:30
New Year 2025: हम नये वर्ष 2025 को बीते वर्ष 2024 से मिलने वाली आर्थिक विरासत को देखें तो पाते हैं कि इस विरासत में जहां कई चुनौतियां हैं, वहीं विकास के कई मजबूत आर्थिक आधार भी हैं.

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New Year 2025: वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संगठनों के द्वारा नए वर्ष 2025 की आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाशित विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक नया वर्ष 2025 भारत के लिए उजली आर्थिक संभावनाओं वाला वर्ष होगा. नये वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था बीते वर्ष 2024 से मिली आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए आगे बढ़ेगी और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित होगी. यदि हम नये वर्ष 2025 को बीते वर्ष 2024 से मिलने वाली आर्थिक विरासत को देखें तो पाते हैं कि इस विरासत में जहां कई चुनौतियां हैं, वहीं विकास के कई मजबूत आर्थिक आधार भी हैं.
यद्यपि बीते वर्ष 2024 की शुरुआत 8 फीसदी विकास दर के साथ हुई थी, लेकिन बीते वर्ष की जुलाई से सितंबर की तिमाही में महज 5.4 फीसदी की विकास दर के कारण कई आर्थिक गणित गड़बड़ा गए. बीते वर्ष में भारत के आर्थिक परिदृश्य पर प्रमुखतया महंगाई तथा रोजगार चिंताजनक मुद्दे रहे हैं. महंगाई के मोर्चे पर मुश्किलें लगभग अधिकांश महीनों में बनी रहीं.
खासतौर से नवंबर 2024 के बाद एक बार फिर थोक एवं खुदरा महंगाई बढ़ने लगी और महंगाई रिजर्व बैंक के निर्धारित दायरे से बाहर रही. बीते वर्ष में यद्यपि शहरी बेरोजगारी में कमी आई, लेकिन असंगठित सेक्टर में रोजगार के मौके घट गए. बीते वर्ष में विदेश व्यापार घाटा भी बढ़ा. बीते हुए वर्ष में रुपया वर्षभर लुढ़कता रहा.
वर्षभर डॉलर की तुलना में रुपए की कीमत घटती गई और दिसंबर 2024 में डॉलर के मुकाबले रुपया लुढ़ककर 85 से भी नीचे के स्तर पर पहुंच गया. वर्ष 2024 में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी कभी कमी तो कभी वृद्धि होती रही. दिसंबर 2024 में विदेशी मुद्रा कोष घटते हुए करीब 652 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया.
निश्चित रूप से नए वर्ष 2025 को पिछले बीते वर्ष से आर्थिक विकास के ठोस आधार भी मिले हैं. अर्थविशेषज्ञ एक मत से कारोबारी और वित्तीय ऊंचाई को लेकर आशावादी हैं और वे विकासमूलक संकेत देते हुए देश की मजबूत बैलेंस शीट प्रस्तुत कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि कृषि, खनन, निर्माण तथा औद्योगिक उत्पादन को तेज रफ्तार मिलेगी.
नई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं व नये मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) आकार लेते हुए दिखाई देंगे. खासतौर से सीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी, होटल, ट्रांसपोर्ट, ऑटो मोबाइल, फॉर्मा, केमिकल, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल, ई-कॉमर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, टूरिज्म, रिटेल ट्रेड आदि क्षेत्रों में तेज विकास होगा.
इससे रोजगार और स्वरोजगार के मौके बढ़ते हुए दिखाई देंगे. नए वर्ष 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों पर पहुंचते हुए दिखाई देंगे. साथ ही सोना-चांदी के भावों की नई उड़ान भी दिखाई देगी. नि:संदेह नए वर्ष 2025 में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. देश में कृषि उन्नयन, खेती में नवाचार को प्रोत्साहन देने, लागत को कम करते हुए उत्पादन के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का अभूतपूर्व अभियान आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा. इसमें कोई दो मत नहीं है कि सरकार को बीते हुए वर्ष से जो बेहतर मानसून विरासत में मिला है.
उससे नए वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था रफ्तार से बढ़ेगी, ग्रामीण इलाकों में खपत भी बढ़ेगी. देश में कृषि क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ेगा. ज्ञातव्य है कि फसल वर्ष 2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 32.22 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच गया. वर्ष 2023-24 में गेहूं और चावल का अधिक उत्पादन हुआ है. गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 1132.92 लाख टन और चावल का उत्पादन 1378.25 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया.
यह अनुमान किया गया है कि सरकार की नई कृषि विकास रणनीति से नए वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा.यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि नए वर्ष 2025 में भारत में कर संग्रह में तेज वृद्धि होगी. उद्योग-कारोबार में बेहतरी से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में वृद्धि होगी.
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इस अवधि के मुकाबले 9 फीसदी बढ़कर 14.56 लाख करोड़ रुपए हो गया है. इसी प्रकार मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में बीते हुए वर्ष से अधिक आयकर रिटर्न और अधिक आयकर प्राप्ति का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है.
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 7.28 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए. इसमें कोई दो मत नहीं है कि नए वर्ष में दुनिया की तेज बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के तहत बढ़ते उद्योग-कारोबार, सर्विस सेक्टर, शेयर बाजार और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति की नई ऊंचाइयों के कारण देश में टैक्स संग्रहण में तेज वृद्धि होगी.
वस्तुतः कर संग्रह में तेज वृद्धि से बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की क्षमता बढ़ेगी. सरकार की मुट्ठियों में बढ़ता कर राजस्व अर्थव्यवस्था के नवनिर्माण में मदद करेगा. हम उम्मीद करें कि जनवरी 2025 में ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका द्वारा चीन पर भारी व्यापार प्रतिबंधों की संभावना से भारत के नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश बनने की संभावना बढ़ेगी. नये वर्ष में भारतीय शेयर बाजार की राह कठिन नहीं होगी, शेयर बाजार को सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंचाने में घरेलू फंडों की अहम भूमिका होगी और काॅर्पोरेट आय को बढ़ावा मिलेगा.
हम उम्मीद करें कि नए वर्ष 2025 में सरकार के द्वारा आर्थिक और वित्तीय सुधारों, कृषि सुधारों, मेक इन इंडिया, निर्यात बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों की आमदनी बढ़ाने के रणनीतिक प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. हम उम्मीद करें कि नये वर्ष में भारत की विकास दर 7 फीसदी के स्तर पर होगी.
इस समय जो भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, नए वर्ष 2025 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगा और ऐसे तेज आर्थिक विकास से नये वर्ष में देश के आम आदमी के चेहरे पर भी आर्थिक मुस्कुराहट बढ़ेगी.