लाइव न्यूज़ :

राष्ट्रीय नवोन्मेष और विकास की चुनौतियां

By गिरीश्वर मिश्र | Updated: December 31, 2025 05:54 IST

रोजगार के अधिक अवसर, सामाजिक गतिशीलता और आम जनों के जीवन-स्तर में उन्नति के संदर्भ में भी देखना होगा.

Open in App
ठळक मुद्दे2025 में अक्तूबर तक 22 करोड़ लोग अयोध्या में राम लला के दर्शन कर चुके थे.साल के अंत तक यह संख्या 50 करोड़ हो सकती है.आर्थिक विकास को केवल वृद्धि दर के अर्थ में ही नहीं.

पिछले एक दशक में भारत की छवि निश्चित रूप से एक सशक्त देश के रूप में निखरी है. नए वर्ष में इस बदलते भारत के भविष्य के बारे में सोचते हुए हमें देश की समृद्ध प्राचीन सभ्यता और आधुनिक राष्ट्र राज्य की संकल्पना दोनों को ध्यान में रखना होगा. लोक की स्मृति में अभी भी नैतिक और न्यायपूर्ण शासन के लिए राम-राज्य की अमिट छवि कायम है. न केवल 1950 में लागू भारत के संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों वाले अध्याय के आरंभ में राम का चित्र अंकित किया गया था बल्कि 2025 में अक्तूबर तक 22 करोड़ लोग अयोध्या में राम लला के दर्शन कर चुके थे.

साल के अंत तक यह संख्या 50 करोड़ हो सकती है. इसलिए जहां वैश्वीकरण के अनुकूल आकांक्षाओं को ध्यान में रखना होगा वहीं नैतिकता, सत्य तथा अहिंसा जैसे मानदंडों की भी चिंता करनी है. राम-राज्य धर्म के राज्य की संकल्पना है जिसमें समता, समानता और सौहार्द के साथ सबका हर तरह से कल्याण मुख्य लक्ष्य है.

देश की प्रगति की कथा को देखें तो उसमें निरंतरता और परिवर्तन दोनों के तत्व मिलते हैं.  आज हमें संयत होकर यह विचार करना होगा कि विकसित भारत कैसा होगा? भविष्य पर गौर करते हुए ताजे अनुभवों पर ध्यान देना ठीक होगा. बीता वर्ष भारत के लिए चुनौतियों भरा था.  अमेरिकी नीति ने भारत के निर्यात, रुपए की कीमत, निवेश तथा भुगतान संतुलन आदि को लेकर मुश्किलें खड़ी कर दीं.

राष्ट्रपति ट्रम्प की तथाकथित अमेरिकी हितों को आक्रामक ढंग से आगे धकेलने की नीति ने निश्चित ही व्यापारिक दृष्टि से अहित किया. इन सब को देखते हुए स्थिति को संभालने के लिए भारत ने कई कदम उठाए.  जीएसटी की दरें कम की गईं और श्रम कानून में बदलाव लाया गया.

यह बड़ी उपलब्धि है कि अंतर्राष्ट्रीय अनिश्चितिता की विकट परिस्थितियों में भी भारत की जीडीपी की दर विश्व में अव्वल दर्जे की बनी रही. इन सबके साथ यह भी याद रखना जरूरी है कि देश का भविष्य सिर्फ आर्थिक उन्नति के सूचकों तक सीमित नहीं किया जा सकता. आर्थिक विकास को केवल वृद्धि दर के अर्थ में ही नहीं,

बल्कि रोजगार के अधिक अवसर, सामाजिक गतिशीलता और आम जनों के जीवन-स्तर में उन्नति के संदर्भ में भी देखना होगा. जनसंख्या का विशाल आकार और सबके लिए गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है. इस हेतु हमारी अर्थव्यवस्था को ज्ञान-केंद्रित और सामाजिक रूप से ज्यादा उत्तरदायी भी बनाना होगा.

टॅग्स :राम मंदिरअयोध्याउत्तर प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टघर पर अकेली थी मासूम और शिक्षक को आपबीती सुनाई?,  13 वर्षीय बेटी से 35 वर्षीय पिता ने किया रेप

भारतनोएडा यातायात पुलिसः इन रास्ते पर जानें से बचिए, नए साल में प्रवेश बैन?, 31 दिसंबर और 1 जनवरी को घर से निकलने से पहले देखिए गाइडलाइन

ज़रा हटकेरील के चक्कर में मौत को दी खुली चुनौती, चलती ट्रेन के नीचे लेटा युवक, देखें वीडियो

भारतयूपी में दवा के थोक विक्रेताओं को खरीद-बिक्री का देना होगा वीडियो रिकॉर्ड

पूजा पाठवृन्दावन श्री बांके बिहारी जीः भक्तगण 5 जनवरी 2025 तक मंदिर आने से बचिए?, देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारभारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी बना, 2030 तक जर्मनी को भी पछाड़ देगा

कारोबारआधार-पैनकार्ड लिंक स्टेटस: अगर आप 31 दिसंबर की डेडलाइन मिस कर गए हैं तो क्या होगा?

कारोबारराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘जशक्राफ्ट’ एवं जशपुर की जनजातीय मातृशक्ति कौशल की सराहना की, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कार्तिक जतरा में हुए शामिल 

कारोबारDollar vs Rupee: रुपये में वापसी की कोशिश जारी, डॉलर के मुकाबले शुरुआती कारोबार में 3 पैसे की मजबूती

कारोबारStock Market Today: गिरावट के साथ खुला शेयर मार्केट, जानें सेंसेक्स, निफ्टी का हाल